विशेष: आइये गढे़ संस्कारवान पीढी़ 'गुरुकुल' पंडित जी की पाठशाला।
कृष्ण मंदिर में गीता नहीं राम मंदिर में रामायण नहीं आश्रमों में वेद नहीं तो फिर बचा क्या ? इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिये ...
इस ग्रीष्म कालीन अवकाश में 3 साल के बच्चे से लेकर 73 साल के दादा दादी तक बच्चों को कहानी,खेल,मंत्र, आउट डोर गेम के मनोरंजक माध्यम से संस्कार वान बनाने का छोटा सा प्रयास किया। आदरणीय पंडित जी के नेतृत्व में पठन पाठन की ,कंठस्थ की प्रक्रिया से संस्कार वान पीढ़ी गुरुकुल_पंडित जी की पाठशाला बच्चों के लिए तो है ही पर बड़े भी आते हैं। बच्चों को फन नये इनोवेटिव आइडिया के साथ रामायण ,मानस की कहानियाँ सुनाई जाती हैं।
सभी बच्चे बड़े डेढ़ घन्टा तक मंदिर में एक प्यारी सी क्रियेटिव एनर्जी पाते हैं।
इस अभिनव अभियान को सोचकर क्रियान्वित करने वाली दिल्ली निवासी मधु खंडे़लवाल ने बताया कि ये शिविर 21 मई को आरम्भ हुआ था। ये चालीस दिन का शिविर है। 30 जून को ग्रेंड फिनाले होगा। मधु खंडेलवाल ने बताया कि मन, तन और धन — ये तीनों मानव जीवन के महत्वपूर्ण अंग हैं। यदि किसी एक का भी उपयोग सामाजिक कार्यों के लिए हम नि:स्वार्थ भाव से करते हैं तो हम जीवन के सर्वोच्च उद्देश्य दूसरों के लिए उपयोगी बन सकते हैं।
यदि हर व्यक्ति अपने सामर्थ्यानुसार मन, तन या धन में से किसी एक का भी थोड़ा अंश समाज सेवा में लगाए तो यह सामाजिक कार्यों में बड़ा बदलाव लायेगा। बच्चे हनुमान चालीसा,मंत्र, स्तोत्र, हिन्दी माह के नाम,वृक्षारोपण और योग करेंगे। एकल परिवार के बच्चे आउट डोर गेम तथा शेयरिंग भी सीख रहे हैं। वे ज्यादा मित्रता कर रहे हैं,इको फ्रेंडली बन रहे हैं अनुशासन और विनम्रता सीख रहे हैं यही गुरुकुल का उद्देश्य है।
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