मसूरी में हरितालिका तीज की धूमरू रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में झूमीं महिलाएं, संस्कृति और समाज का अद्भुत संगम।

Mussoorie:मसूरी में पारंपरिक लोकगीतों और नृत्य की गूंज से सराबोर हो उठी, जब श्री राधा-कृष्ण मंदिर सभागार में हरितालिका तीज उत्सव बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया गया। यह आयोजन

Aug 26, 2025 - 18:18
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मसूरी में हरितालिका तीज की धूमरू रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में झूमीं महिलाएं, संस्कृति और समाज का अद्भुत संगम।
मसूरी में हरितालिका तीज की धूमरू रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में झूमीं महिलाएं, संस्कृति और समाज का अद्भुत संगम।

रिपोर्टर सुनील सोनकर

मसूरी में पारंपरिक लोकगीतों और नृत्य की गूंज से सराबोर हो उठी, जब श्री राधा-कृष्ण मंदिर सभागार में हरितालिका तीज उत्सव बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा भाव से मनाया गया। यह आयोजन मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में संपन्न हुआ, जिसमें नेपाली और गोर्खाली समुदाय की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। 

सुबह से ही उत्सव का वातावरण देखने लायक था। महिलाएं लाल-हरे पारंपरिक वस्त्र, भारी गहनों और सुंदर श्रृंगार में सजीं हुईं मंदिर सभागार में पहुंचीं। जैसे ही नेपाली पारंपरिक गीत बजने लगे, महिलाएं थिरकने लगीं  किसी ने धीमे कदमों से सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किया तो किसी ने जोश में भरकर समूह नृत्य किया। यह नज़ारा मानो एक छोटी नेपाल-घाटी सा प्रतीत हो रहा था।

 इस भव्य आयोजन में नगर पालिका अध्यक्ष मीरा सकलानी ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उन्होंने सभी महिलाओं को तीज की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि “हरितालिका तीज नारी शक्ति, आस्था और प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व हमें माता पार्वती के त्याग और समर्पण की याद दिलाता है। मुझे खुशी है कि मसूरी में यह उत्सव इतनी भव्यता और सांस्कृतिक गरिमा के साथ मनाया जा रहा है।

 मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल और महामंत्री जगजीत कुकरजा ने बताया कि तीज का यह पर्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता और सामाजिक सौहार्द का प्रतीक बन गया है।उन्होंने कहा कि नेपाली और गोर्खाली समाज के लोग वर्षों से मसूरी की आत्मा का हिस्सा रहे हैं। वे न सिर्फ मेहनती हैं, बल्कि मसूरी की अर्थव्यवस्था, होटल इंडस्ट्री और निर्माण कार्यों में इनका बड़ा योगदान है। कार्यक्रम के दौरान समुदाय के प्रतिनिधियों ने सरकार से यह अपील की कि मसूरी की झुग्गी-झोपड़ियों और मलिन बस्तियों में रहने वाले नेपाली-गोर्खाली परिवारों के लिए उचित विस्थापन और पुनर्वास योजना बनाई जाए।

 गोरखाली सुधार सभा मसूरी के अध्यक्ष तिलक क्षेत्री ने कहा कि हम हर साल तीज को पूरे सम्मान और गरिमा के साथ मनाते हैं, लेकिन यह भी जरूरी है कि गोरखाली और नेपाली समुदाय के लोगों के लिए बेहतर स्थान मिले। हमारी पीढ़ियां यहां बड़ी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि हमें भी स्वच्छ, सुरक्षित और स्थायी जीवन का अधिकार है।

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