हरदोई न्यूज़: 5 फीट का ये बकरा है स्पेशल- रोज पीता है दो लीटर दूध, खाता है काजू-बादाम, कीमत कर देगी हैरान।
नवनीत कुमार रामजी \ पिहानी। ईद उल अजहा यानी बकरीद के लिए बाजार में खरीदारी अंतिम चरण पर है। मुस्लिम समुदाय के लोग ईद उल अजहा की तैयारी के लिए बकरों की खरीदारी में जुटे हुए हैं। हरदोई मंडी से लाया गया अजमेरी नस्ल का 100 किलो के राजा (बकरा) की कीमत ईदगाह की पूरी मंडी में सबसे अधिक थी। कस्बे के समर जैदी व शैफ जैदी ने इसे पचपन हजार का खरीदा। कस्बा पिहानी में यह बकरा आकर्षण का केंद्र बना रहा।
'पांच फीट के 'राजा' की कीमत यूं ही नहीं है महंगी'
राजा को लेकर आए समर जैदी ने बताया कि पांच फीट के राजा की कीमत यूं ही महंगी नहीं है। वह सिर्फ चना या घास के साथ ही रोज सुबह दोपहर और शाम को दो किलो दूध पीता है और 100-150 ग्राम बादाम व केले खाता है। इस बकरे की 4 फीट ऊंचाई व 5 फुट लंबाई 100 किलो के वजन में है।12वें महीने जु अल-हज्जा की 10वीं तारीख को बकरीद का पर्व मनाया जाता है। इस साल ज़ु अल-हज्जा महीना 30 दिन का है। इसलिए बकरीद 17 जून को मनाई जाएगी।
बाजार में 11 हजार से एक लाख रुपये तक के बकरे
बाजार में 11 हजार से एक लाख रुपये तक के बकरे हैं। बाजार में सबसे महंगा बकरा एक लाख रुपये का रहा। शोएब ने बताया कि कई वर्षों से वह यहां मंडी बकरे बेच रहे हैं, जो लाखों में बिकते हैं। महंगाई के कारण इनके दामों में फर्क आया है। पहले यही बकरे डेढ़ लाख तक कीमत में आसानी से बिक जाते थे। सफेद रंग के बकरे को खरीदने के लिए खरीदार मोलतोल करते रहे। महंगाई के बाद भी कुर्बानी के लिए ऊंची कीमतों के बकरों की खूब मांग रही।
बकरे खरीदने से पहले खरीदारों ने की खूब जांच परख
खरीदार दांत, सींग से लेकर बकरे की सेहत और शरीर की जांच-परख कर रहे थे। किसी ने कद तो किसी ने रंग व नस्ल देखकर बकरा खरीदा। बकरा खरीदने आए बुजुर्ग शाहिद हुसैन ने बताया कि दाम से ज्यादा कुर्बानी के भाव पर ध्यान देना चाहिए और किसी भी तरह के दिखावे से बचना चाहिए।
तीन भागों में बांटा जाता है कुर्बान किया हुआ बकरा
बता दें कि बकरीद के दिन जिस बकरे की कुर्बानी दी जाती है। उसे तीन भागों में बांटा जाता है। इसमें से पहला भाग घर-परिवार के लिए, दूसरा हिस्सा अपने किसी दोस्त या फिर करीबी को दिया जाता है और तीसरा हिस्सा किसी गरीब या फिर जरूरतमंद को दिया जाता है।
बकरीद का महत्व
बकरीद से कुछ दिन पहले बकरा खरीदकर लोग घर ले आते हैं। जिसे वह रोजाना खाना-पीना कराते हैं। उसका पालन पोषण बिल्कुल अपने बच्चे की तरह करते हैं। इसके पीछे कारण है कि आप जब कुछ दिन पहले बकरे को ले आते हैं, तो उसका लालन-पालन करने से आपके अंदर उसके प्रति प्रेम जाग जाता है। जिस तरह हज़रत इब्राहीम का अपने बेटे के प्रति प्रेम था। फिर बाद में दुआ पढ़कर अल्लाह का नाम लेकर ज़बह कर देते हैं।
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