Deoband News: बाबा रामदेव का ‘शरबत जिहाद’ बयान बना विवाद का कारण, देवबंद से उठी ‘बायकॉट पतंजलि’ की मांग।
मशहूर देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने योग गुरु बाबा रामदेव के उस बयान की सख्त अल्फ़ाज़ों...

देवबंद: मशहूर देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने योग गुरु बाबा रामदेव के उस बयान की सख्त अल्फ़ाज़ों में निंदा की है जिसमें उन्होंने अपने एक शरबत का प्रचार करते हुए बिना नाम लिए हमदर्द कंपनी की मशहूर ड्रिंक रूह अफ़ज़ा को निशाना बनाया और उसे मज़हबी रंग देने की कोशिश की। बाबा रामदेव ने अपने बयान में कहा कि जिस तरह लव जिहाद, लैंड जिहाद और वोट जिहाद होता है, उसी तरह अब शरबत जिहाद भी चल रहा है।साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि “अगर आप दूसरी कंपनी का शरबत पीते हैं, तो उससे मस्जिदें और मदरसों का निर्माण होता है।
मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने इस बयान को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना, बेहूदा और नफ़रत फैलाने वाला क़रार दिया है। उन्होंने कहा कि, “मैं बाबा रामदेव को अब तक एक योगगुरु और बुद्धिजीवी मानता था,लेकिन उनके इस बेहूदा बयान ने यह साबित कर दिया कि वह अब केवल एक कारोबारी हैं जो अपने व्यापार को मज़हब के सहारे आगे बढ़ाना चाहते हैं। ऐसा व्यक्ति किसी भी हालत में बुद्धिजीवी नहीं हो सकता।
मौलाना ने कहा कि हमदर्द जैसी कंपनी, जो आज़ादी से पहले से देश में काम कर रही है, उसकी पहचान उसकी गुणवत्तापूर्ण यूनानी और आयुर्वेदिक दवाओं व शरबतों के लिए है। रूह अफ़ज़ा कोई मज़हबी पेय नहीं है, बल्कि यह देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब का प्रतीक है जिसे हर धर्म, हर जात और हर क्षेत्र के लोग बरसों से पसंद करते आ रहे हैं। इसे ‘जिहाद’ जैसे नफ़रत भरे शब्द से जोड़ना महज़ एक सोची-समझी साजिश है ताकि लोगों को धार्मिक आधार पर भड़काया जा सके और अपने उत्पाद को मज़हबी चश्मे से देखे जाने वाले वर्ग में लोकप्रिय किया जा सके।
क़ारी इसहाक़ गोरा ने आगे कहा कि, बाबा रामदेव को यह समझना चाहिए कि भारत में व्यापार की तरक़्क़ी धर्म के बुनियाद पर नहीं, बल्कि गुणवत्ता, भरोसे और इंसाफ़ पर होती है। अगर कोई अपने उत्पाद को बेचने के लिए दूसरे धर्म या समुदाय को बदनाम करे, तो वह समाज का दुश्मन है, न कि योग का प्रचारक।
उन्होंने देश की जनता से अपील करते हुए कहा कि, जब तक बाबा रामदेव इस बयान को वापस नहीं लेते और सार्वजनिक रूप से अपनी ग़लती मानकर माफ़ी नहीं मांगते, तब तक उनके ब्रांड ‘पतंजलि’ के सभी उत्पादों का बहिष्कार किया जाए। यह समय है जब देश की जनता यह साबित करे कि वह नफ़रत के सौदागरों को बर्दाश्त नहीं करेगी और आपसी भाईचारे, मोहब्बत और तहज़ीब को हर कीमत पर बचाएगी।
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