Politics: बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की: अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने वायरल ऑडियो के आधार पर सुनाई छह महीने की सजा।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है, जो अगस्त 2024 में छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन....

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है, जो अगस्त 2024 में छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन के बाद देश छोड़कर भारत में शरण ले चुकी हैं। यह मांग बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) द्वारा हसीना को अवमानना के एक मामले में छह महीने की सजा सुनाए जाने के बाद आई है। यह सजा एक वायरल ऑडियो क्लिप के आधार पर दी गई, जिसमें हसीना कथित तौर पर कह रही हैं, “मेरे खिलाफ 227 मामले हैं, इसलिए मुझे 227 लोगों को मारने का लाइसेंस मिल गया है।” इस ऑडियो को बांग्लादेश के आपराधिक जांच विभाग (CID) द्वारा प्रामाणिक माना गया।
- प्रत्यर्पण की मांग और सजा
शेख हसीना, जो 2009 से 2024 तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रहीं, अगस्त 2024 में एक हिंसक छात्र आंदोलन के बाद सत्ता से बेदखल हो गईं। यह आंदोलन शुरू में सरकारी नौकरियों में कोटा प्रणाली के खिलाफ था, लेकिन जल्द ही यह हसीना के 15 साल के शासन के खिलाफ व्यापक विरोध में बदल गया। इस दौरान हुई हिंसा में, बांग्लादेश के अंतरिम स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 1,000 से अधिक लोग मारे गए, और हजारों घायल हुए। हसीना पर आरोप है कि उन्होंने इस आंदोलन को दबाने के लिए पुलिस और अपनी अवामी लीग पार्टी के कार्यकर्ताओं को हिंसक कार्रवाई के आदेश दिए, जिसमें “नरसंहार, हत्या, और मानवता के खिलाफ अपराध” शामिल हैं।
हसीना 5 अगस्त 2024 को हेलीकॉप्टर से ढाका से भागकर भारत के हिंडन एयरबेस पहुंचीं। तब से वे नई दिल्ली में एक सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं, ने हसीना को वापस लाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। 23 दिसंबर 2024 को, बांग्लादेश ने भारत को एक राजनयिक नोट (नोट वर्बेल) भेजकर हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की। बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने कहा, “हमने भारत सरकार को पत्र भेजा है कि बांग्लादेश सरकार चाहती है कि हसीना को न्यायिक प्रक्रिया के लिए वापस लाया जाए।”
2 जुलाई 2025 को, ICT ने हसीना को अवमानना के एक मामले में छह महीने की सजा सुनाई। यह सजा एक लीक हुए फोन कॉल के आधार पर दी गई, जिसमें हसीना कथित तौर पर अवामी लीग के नेता शाकिल अकंद बुलबुल से बात कर रही थीं। इस ऑडियो में उनकी टिप्पणी को अदालत ने अवमाननापूर्ण माना, क्योंकि यह जुलाई 2024 के आंदोलन से संबंधित एक चल रहे मुकदमे को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखा गया। बुलबुल को भी इस मामले में दो महीने की सजा दी गई। यह हसीना के खिलाफ पहली सजा थी, जो उनकी बेदखली के बाद से कई मामलों में दर्ज की गई है।
- वायरल ऑडियो क्लिप और कानूनी कार्रवाई
वायरल ऑडियो क्लिप, जो 2024 में सोशल मीडिया पर फैली, इस मामले का केंद्र बिंदु रही। इसमें हसीना कथित तौर पर कह रही हैं कि उनके खिलाफ 227 मामले दर्ज होने से उन्हें “227 लोगों को मारने का लाइसेंस” मिल गया है। इस क्लिप की प्रामाणिकता की पुष्टि CID ने फोरेंसिक विश्लेषण के बाद की। इस बयान को ICT ने अदालत की अवमानना माना, क्योंकि यह एक चल रहे मुकदमे को प्रभावित करने का प्रयास था। ICT के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने कहा कि हसीना ने नोटिस के बावजूद अदालत में उपस्थित होने या कोई स्पष्टीकरण देने से इनकार किया, जिसके बाद यह सजा सुनाई गई।
ICT, जिसे 2010 में हसीना की सरकार ने ही 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के सहयोगियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए स्थापित किया था, अब उनकी और उनकी सरकार के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। हसीना पर नरसंहार, हत्या, यातना, और जबरन गायब करने जैसे गंभीर आरोप हैं। जून 2025 में, ICT ने हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए औपचारिक रूप से आरोपित किया, जिसमें जुलाई-अगस्त 2024 के आंदोलन के दौरान “नागरिकों के खिलाफ व्यवस्थित हमले” का आरोप शामिल है।
- भारत-बांग्लादेश संबंधों पर प्रभाव
हसीना का भारत में होना और प्रत्यर्पण की मांग दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव का कारण बन रही है। भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 में एक प्रत्यर्पण संधि है, जो गंभीर अपराधों जैसे हत्या और मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए प्रत्यर्पण की अनुमति देती है। हालांकि, संधि में यह प्रावधान भी है कि यदि अपराध “राजनीतिक प्रकृति” का है या “न्याय के हित में” नहीं माना जाता, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। भारत ने अभी तक इस मांग पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, सिवाय इसके कि उसने नोट वर्बेल प्राप्त होने की पुष्टि की है।
हसीना लंबे समय से भारत की करीबी सहयोगी रही हैं, और उनकी सरकार ने भारत के साथ मजबूत व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध बनाए रखे। उनकी बेदखली के बाद, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों ने भारत में चिंता पैदा की है। हसीना ने भी भारत से यूनुस सरकार पर “नरसंहार” और अल्पसंख्यकों की रक्षा में विफलता का आरोप लगाया है। भारत अब एक कठिन स्थिति में है, जहां उसे अपने दीर्घकालिक सहयोगी का समर्थन करने और बांग्लादेश की नई सरकार के साथ संबंध बनाए रखने के बीच संतुलन बनाना है।
हसीना के बेटे सज्जेब वाजेद ने इस सजा और प्रत्यर्पण मांग को “राजनीतिक प्रतिशोध” करार दिया है। उन्होंने ICT को “कंगारू कोर्ट” बताया, जो यूनुस सरकार के इशारे पर काम कर रहा है। दूसरी ओर, यूनुस ने हसीना पर उनके शासनकाल में 3,500 से अधिक लोगों के जबरन गायब होने का आरोप लगाया है। मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने ICT की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, यह कहते हुए कि यह अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा नहीं करता। उन्होंने सुझाव दिया कि बांग्लादेश को मृत्युदंड पर रोक लगानी चाहिए और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।
शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग और उनकी छह महीने की सजा बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह मामला न केवल हसीना के शासनकाल की विरासत को लेकर बहस को जन्म दे रहा है, बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों को भी प्रभावित कर रहा है। वायरल ऑडियो क्लिप, जिसे सजा का आधार बनाया गया, ने हसीना के खिलाफ जनता की नाराजगी को और बढ़ाया है।
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