Hardoi News: कीट के नियंत्रण के लिये जैविक एवं रसायनिक दोनों विधियों का प्रयोग किया जा सकता है। 

जिला कृषि रक्षा अधिकारी विनीत कुमार ने बताया है कि वर्तमान समय मे गन्ने की फसल मे पाइरिला कीट का प्रकोप दिखायी दे रहा है। यह कीट पौधो....

Apr 19, 2025 - 19:31
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Hardoi News: कीट के नियंत्रण के लिये जैविक एवं रसायनिक दोनों विधियों का प्रयोग किया जा सकता है। 

हरदोई। जिला कृषि रक्षा अधिकारी विनीत कुमार ने बताया है कि वर्तमान समय मे गन्ने की फसल मे पाइरिला कीट का प्रकोप दिखायी दे रहा है। यह कीट पौधो की पत्तियों से रस चूसता है। वयस्क पाइरिला एक हल्के पीले रंग का, मुलायम शरीर वाला कीट होता है। जिसका सिर आगे की ओर झुका हुआ होता है, यह कीट पत्तियों की निचली सतह पर झुण्ड मे पाया जाता है। तथा मुख्य रूप गन्ने की नाजुक पत्तियों पर अण्डे देता है। और इसके लार्वा इन पत्तियों का खाकर गन्ने की बढ़त को रोक देते है। इसके कारण गन्ने की फसल कमजोर हो जाती है।

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जहाँ कीट पौधे का रस चूसते है, जिससे पत्तियां पीली होकर सूख जाती है। इस कीट के नियंत्रण के लिये जैविक एवं रसायनिक दोनो विधियों का प्रयोग किया जा सकता है। जैविक नियंत्रण हेतु एपिरिकेनिया परजीवी के 4-5 लाख अण्डे या 5 हजार शंखियां प्रति हे0 की दर से प्रकोपित फसल पर छोडे एवं लाईट ट्रैप लगायें जिसमे 200 वाट का बल्ब हो उसे गढ्ढे मे लटका दे कीट इसके सम्पर्क मे आकर गढ्ढे में गिरेगें और नष्ट हो जायेंगें। तथा रसायनिक नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 प्रति०ई०सी० 800 मिली०/हे० अथवा क्यूनालफास 25 प्रति०ई०सी० 800 मिली०/हे० की दर से 500-600 ली० पानी मे घोल बनाकर छिडकाव करना चहिये।

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