स्वतंत्रता दिवस 2025- भारत सहित विश्व के अन्य देशों में भी होगा 15 अगस्त का उत्सव, जानें इतिहास और दिल्ली के आयोजन के बारे में। 

Independence Day 2025: 15 अगस्त का दिन भारत के लिए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व वाला दिन है, जब देश ने 1947 में ब्रिटिश....

Aug 14, 2025 - 14:25
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स्वतंत्रता दिवस 2025- भारत सहित विश्व के अन्य देशों में भी होगा 15 अगस्त का उत्सव, जानें इतिहास और दिल्ली के आयोजन के बारे में। 
स्वतंत्रता दिवस 2025- भारत सहित विश्व के अन्य देशों में भी होगा 15 अगस्त का उत्सव, जानें इतिहास और दिल्ली के आयोजन के बारे में। 

Independence Day 2025: 15 अगस्त का दिन भारत के लिए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक महत्व वाला दिन है, जब देश ने 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी। यह दिन न केवल भारत के लिए, बल्कि विश्व के कई अन्य देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो इस तारीख को अपनी स्वतंत्रता या राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाते हैं। यहां 15 अगस्त 2025 को मनाए जाने वाले 79वें स्वतंत्रता दिवस के इतिहास, भारत की आजादी की लड़ाई, स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान, दिल्ली में होने वाले आयोजनों, और विश्व के अन्य देशों में इस दिन के महत्व को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।

  • भारत का स्वतंत्रता दिवस

भारत में 15 अगस्त 2025 को 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा, जो 1947 में ब्रिटिश शासन से मुक्ति के 79 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। यह दिन देश के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के बलिदान, एकता, और देशभक्ति की भावना को श्रद्धांजलि देने का अवसर है। इस दिन, भारत के प्रधानमंत्री नई दिल्ली के लाल किले से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं और राष्ट्र को संबोधित करते हैं, जिसमें देश की उपलब्धियों, चुनौतियों, और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा होती है।

  • भारत में स्वतंत्रता दिवस का इतिहास

भारत का स्वतंत्रता संग्राम एक लंबी और कठिन यात्रा थी, जो 17वीं सदी में यूरोपीय व्यापारियों के आगमन के साथ शुरू हुई। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 18वीं सदी के अंत तक भारत के कई हिस्सों पर सैन्य और राजनीतिक नियंत्रण स्थापित कर लिया था। 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, जिसे सिपाही विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला संगठित विद्रोह था। हालांकि यह विद्रोह असफल रहा, इसने भारतीयों में स्वतंत्रता की चेतना को जागृत किया।

1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना ने स्वतंत्रता संग्राम को एक संगठित रूप प्रदान किया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद, महात्मा गांधी के नेतृत्व में अहिंसक आंदोलनों जैसे असहयोग आंदोलन (1920-22), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-32), और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) ने ब्रिटिश शासन पर दबाव बढ़ाया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, ब्रिटिश सरकार आर्थिक और राजनीतिक रूप से कमजोर हो चुकी थी। 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के तहत, 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली, लेकिन यह विभाजन की त्रासदी के साथ आया, जिसमें भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग देश बने। इस विभाजन ने लाखों लोगों के विस्थापन और सांप्रदायिक हिंसा को जन्म दिया।

15 अगस्त 1947 को, भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा फहराया और अपने ऐतिहासिक “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” भाषण में स्वतंत्रता के नए युग की शुरुआत की घोषणा की। यह भाषण 20वीं सदी के महानतम भाषणों में से एक माना जाता है, जिसमें उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की भावना और भविष्य की आकांक्षाओं को व्यक्त किया।

  • स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक

भारत की आजादी की लड़ाई में असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। कुछ प्रमुख नायकों का योगदान इस प्रकार है:

महात्मा गांधी: अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के प्रणेता, गांधी जी ने असहयोग, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे जन आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनकी रणनीतियों ने जनमानस को एकजुट किया और ब्रिटिश शासन को कमजोर किया।
जवाहरलाल नेहरू: स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, नेहरू ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम को दिशा दी। उनके विचारों ने आधुनिक भारत की नींव रखी।
भगत सिंह: क्रांतिकारी विचारधारा के प्रतीक, भगत सिंह ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सशस्त्र प्रतिरोध का नेतृत्व किया। उनकी शहादत ने युवाओं में देशभक्ति की लहर पैदा की।
सुभाष चंद्र बोस: “नेताजी” के नाम से प्रसिद्ध, बोस ने आजाद हिंद फौज का गठन किया और “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा देकर देशवासियों में जोश भरा।
सरोजिनी नायडू: “भारत की कोकिला” के रूप में जानी जाने वाली सरोजिनी नायडू ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और अपनी कविताओं से देशभक्ति को प्रेरित किया।
लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, और बिपिन चंद्र पाल: “लाल-बाल-पाल” के नाम से प्रसिद्ध, इन नेताओं ने स्वदेशी आंदोलन को बढ़ावा दिया और स्वतंत्रता की मांग को तेज किया।
महिलाएं स्वतंत्रता सेनानी: अरुणा आसफ अली, कमला नेहरू, और विजया लक्ष्मी पंडित जैसी महिलाओं ने भी स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इनके अलावा, लाखों गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदान से भारत की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया।

  • दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के आयोजन

नई दिल्ली में 15 अगस्त का मुख्य समारोह लाल किले पर आयोजित होता है, जो भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक है। इस दिन के प्रमुख आयोजन इस प्रकार हैं:

ध्वजारोहण और प्रधानमंत्री का संबोधन:
सुबह 7:30 बजे, भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। इसके बाद, 21 तोपों की सलामी दी जाती है, और हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की जाती है।
प्रधानमंत्री का संबोधन देश की उपलब्धियों, चुनौतियों, और भविष्य की योजनाओं पर केंद्रित होता है। यह भाषण पूरे देश में टेलीविजन और रेडियो पर प्रसारित होता है।
सैन्य और सांस्कृतिक परेड:
लाल किले से इंडिया गेट तक एक भव्य परेड आयोजित की जाती है, जिसमें भारतीय सेना, नौसेना, और वायुसेना अपनी ताकत और अनुशासन का प्रदर्शन करती हैं।
विभिन्न राज्यों की झांकियां भारत की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाती हैं, जिसमें पारंपरिक नृत्य, संगीत, और कला का प्रदर्शन होता है।
पुरस्कार और सम्मान:
इस अवसर पर वीरता पुरस्कार, जैसे परम वीर चक्र और वीर चक्र, सैनिकों और नागरिकों को उनके साहसिक कार्यों के लिए प्रदान किए जाते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम:
स्कूलों और कॉलेजों में देशभक्ति गीत, नाटक, और नृत्य जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। बच्चे और युवा “वंदे मातरम” और “जन-गण-मन” जैसे गीत गाकर देशभक्ति का प्रदर्शन करते हैं।
सुरक्षा और विशेष व्यवस्थाएं:
2025 में, दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए जाएंगे। ड्रोन, सीसीटीवी, और स्नाइपर टीमें तैनात की जाएंगी। सामाजिक दूरी और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए विशेष उपाय, जैसे मास्क और सैनिटाइजर की व्यवस्था, भी की जाएगी।
विश्व के अन्य देश जहां 15 अगस्त को उत्सव मनाया जाता है

15 अगस्त केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि विश्व के कई अन्य देशों के लिए भी महत्वपूर्ण है। ये देश इस दिन को स्वतंत्रता दिवस या राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाते हैं। नीचे इन देशों का विवरण दिया गया है:

  • दक्षिण कोरिया - ग्वांगबोकजोल (प्रकाश की वापसी):

दक्षिण कोरिया 15 अगस्त 1945 को जापानी औपनिवेशिक शासन से मुक्त हुआ। इस दिन को “ग्वांगबोकजोल” (प्रकाश की वापसी का दिन) के रूप में मनाया जाता है।
उत्सव में राष्ट्रीय ध्वज (ताइगेकगी) फहराया जाता है, देशभक्ति गीत गाए जाते हैं, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में विशेष समारोह और परेड का आयोजन होता है।
उत्तर कोरिया - चोगुक हेबांगुई नाल (मुक्ति दिवस):
उत्तर कोरिया भी 15 अगस्त 1945 को जापानी शासन से आजाद हुआ। इसे “चोगुक हेबांगुई नाल” (पितृभूमि मुक्ति दिवस) के नाम से मनाया जाता है।
इस दिन सरकारी परेड, भाषण, और राष्ट्रीय गौरव के प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं। हालांकि, उत्तर कोरिया की गुप्त नीतियों के कारण उत्सव की जानकारी सीमित होती है।
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य - स्वतंत्रता दिवस:
कांगो 15 अगस्त 1960 को फ्रांसीसी शासन से मुक्त हुआ। इस दिन को “कांगोलीज नेशनल डे” के रूप में मनाया जाता है।
देश में परेड, सांस्कृतिक प्रदर्शन, और राष्ट्रीय ध्वज फहराने के आयोजन होते हैं, जो राष्ट्रीय एकता और गौरव को दर्शाते हैं।

  • बहरीन - स्वतंत्रता दिवस:

बहरीन ने 15 अगस्त 1971 को ब्रिटिश शासन से औपचारिक स्वतंत्रता प्राप्त की। हालांकि, इसका राष्ट्रीय दिवस 16 दिसंबर को मनाया जाता है, जो राजशाही की स्थापना का प्रतीक है।
15 अगस्त को कानूनी और ऐतिहासिक महत्व दिया जाता है, और कुछ समारोह आयोजित किए जाते हैं।
लिकटेंस्टीन - राष्ट्रीय दिवस:
लिकटेंस्टीन, एक छोटा यूरोपीय देश, 15 अगस्त को राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है। यह दिन 1866 में जर्मन प्रभाव से मुक्ति और प्रिंस फ्रांज जोसेफ द्वितीय के जन्मदिन के साथ संयुक्त रूप से मनाया जाता है।
इस दिन आतिशबाजी, राजपरिवार के भाषण, और सांस्कृतिक प्रदर्शन आयोजित किए जाते हैं। यह स्वतंत्रता से अधिक सांस्कृतिक और धार्मिक एकता का प्रतीक है।

  • 15 अगस्त का महत्व

15 अगस्त का दिन विश्व के लिए एक साझा प्रतीक है, जो स्वतंत्रता, राष्ट्रीय गौरव, और सांस्कृतिक एकता को दर्शाता है। भारत, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, और कांगो जैसे देशों में यह दिन औपनिवेशिक शासन से मुक्ति का उत्सव है, जबकि लिकटेंस्टीन में यह सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है। बहरीन में यह दिन स्वतंत्रता की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है। प्रत्येक देश की अपनी अनूठी कहानी और उत्सव की शैली इस दिन को वैश्विक स्तर पर विशेष बनाती है।

  • 2025 में स्वतंत्रता दिवस की थीम

2025 के स्वतंत्रता दिवस की आधिकारिक थीम की घोषणा अगस्त 2025 तक नहीं की गई है। हालांकि, पिछले वर्षों के आधार पर, यह थीम “अमृत काल” के दृष्टिकोण पर आधारित हो सकती है, जिसमें समावेशी विकास, नवाचार, स्थिरता, और राष्ट्रीय एकता पर जोर दिया जाएगा। भारत 2047 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है, और इस थीम में प्रौद्योगिकी, सामाजिक सद्भाव, और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे विषय शामिल हो सकते हैं।

15 अगस्त 2025 को भारत और विश्व के अन्य देश अपने-अपने तरीकों से स्वतंत्रता और राष्ट्रीय गौरव का उत्सव मनाएंगे। भारत में यह दिन स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को श्रद्धांजलि, राष्ट्रीय एकता का प्रदर्शन, और भविष्य के लिए संकल्प लेने का अवसर है। दिल्ली के लाल किले पर आयोजित होने वाला समारोह देश की सांस्कृतिक और सैन्य शक्ति को दर्शाता है। विश्व के अन्य देशों जैसे दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, कांगो, बहरीन, और लिकटेंस्टीन में भी इस दिन का अपना अनूठा महत्व है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि स्वतंत्रता एक अनमोल उपहार है, जिसे संरक्षित करने के लिए हमें एकजुट होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा।

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