इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर संदीपा विर्क की गिरफ्तारी- नकली ब्यूटी प्रोडक्ट्स के जरिए करोड़ों की ठगी का आरोप।

Crime News: प्रवर्तन निदेशालय ने इंस्टाग्राम पर 12 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स वाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर संदीपा विर्क को एक बड़े धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले ....

Aug 14, 2025 - 11:41
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इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर संदीपा विर्क की गिरफ्तारी- नकली ब्यूटी प्रोडक्ट्स के जरिए करोड़ों की ठगी का आरोप।
इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर संदीपा विर्क की गिरफ्तारी- नकली ब्यूटी प्रोडक्ट्स के जरिए करोड़ों की ठगी का आरोप।

प्रवर्तन निदेशालय ने इंस्टाग्राम पर 12 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स वाली सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर संदीपा विर्क को एक बड़े धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया है। संदीपा, जो खुद को एक अभिनेत्री और कॉस्मेटोलॉजिस्ट बताती हैं, पर आरोप है कि उन्होंने अपनी वेबसाइट hyboocare.com के जरिए लोगों से फर्जी सौदों के नाम पर करोड़ों रुपये ठगे। जांच में पता चला कि यह वेबसाइट, जो कथित तौर पर FDA-अप्रूव्ड ब्यूटी प्रोडक्ट्स बेचने का दावा करती थी, वास्तव में एक धोखाधड़ी का जरिया थी। संदीपा को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 के तहत गिरफ्तार किया गया है और उन्हें कोर्ट ने दो दिन की हिरासत में भेज दिया है।

संदीपा विर्क ने सोशल मीडिया पर अपनी पहचान एक अभिनेत्री और उद्यमी के रूप में बनाई थी। उनकी इंस्टाग्राम प्रोफाइल के अनुसार, वह hyboocare.com नामक वेबसाइट की मालिक हैं, जो ब्यूटी प्रोडक्ट्स बेचने का दावा करती थी। इस वेबसाइट को वह FDA-अप्रूव्ड प्रोडक्ट्स की बिक्री के लिए प्रचारित करती थीं। लेकिन प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया कि यह वेबसाइट एक फर्जी मंच थी, जिसका इस्तेमाल अवैध तरीके से पैसे जुटाने और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था। जांच में पाया गया कि वेबसाइट पर दिखाए गए प्रोडक्ट्स वास्तव में मौजूद ही नहीं थे। इसके अलावा, वेबसाइट पर उपयोगकर्ता पंजीकरण की सुविधा नहीं थी, पेमेंट गेटवे काम नहीं करता था, और सोशल मीडिया पर इसकी मौजूदगी न के बराबर थी। वेबसाइट से जुड़ा व्हाट्सऐप नंबर भी निष्क्रिय था, और कंपनी का कोई स्पष्ट पता या संगठनात्मक विवरण उपलब्ध नहीं था। प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली और मुंबई में संदीपा और उनके सहयोगियों के ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए और संदीपा के एक सहयोगी फारुख अली का बयान भी दर्ज किया गया। जांच एजेंसी ने पाया कि संदीपा ने लोगों को गलत जानकारी देकर और झूठे वादों के जरिए पैसे जुटाए। उन्होंने अपनी सोशल मीडिया उपस्थिति का इस्तेमाल करके लोगों का भरोसा जीता और फिर उन्हें ठगने का काम किया। इस मामले की शुरुआत पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी से हुई, जिसमें संदीपा पर धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोप लगाए गए थे। इस प्राथमिकी के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की, जिसके परिणामस्वरूप उनकी गिरफ्तारी हुई।

जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ कि संदीपा का संबंध रिलायंस कैपिटल लिमिटेड के पूर्व निदेशक अंगराई नटराजन सेतुरमन से था। प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि संदीपा और सेतुरमन के बीच अवैध गतिविधियों के लिए नियमित संपर्क था। जांच एजेंसी ने सेतुरमन के आवास पर भी छापेमारी की, जहां से कुछ ऐसे दस्तावेज मिले, जो इन आरोपों की पुष्टि करते हैं। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, 2018 में रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड (RCFL) से सेतुरमन को 18 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया था, जो उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और अनियमित शर्तों पर प्रदान किया गया। इस ऋण में मूलधन और ब्याज की अदायगी को स्थगित करने की शर्तें थीं, और कई बार छूट भी दी गई थी। इसके अलावा, रिलायंस कैपिटल लिमिटेड ने 22 करोड़ रुपये का एक गृह ऋण भी मंजूर किया था, जो सामान्य वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए दिया गया। जांच में पाया गया कि इनमें से अधिकांश राशि का दुरुपयोग किया गया और यह अभी तक चुकाई नहीं गई है।

हालांकि, सेतुरमन ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि उनके और संदीपा के बीच कोई संबंध नहीं है, और न ही उन्होंने उनके साथ कोई वित्तीय लेनदेन किया। उन्होंने यह भी दावा किया कि रिलायंस कैपिटल से लिया गया गृह ऋण पूरी तरह से उचित प्रक्रिया के तहत और संपत्ति को जमानत के रूप में रखकर प्राप्त किया गया था। लेकिन प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं, जो संदीपा और सेतुरमन के बीच अवैध गतिविधियों की ओर इशारा करते हैं। संदीपा की गिरफ्तारी ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं। आज के समय में, जहां इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर इन्फ्लुएंसर्स लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं, इस तरह की घटनाएं लोगों के भरोसे को तोड़ती हैं। संदीपा ने अपनी चमक-दमक वाली जिंदगी और प्रोफेशनल छवि के जरिए लोगों को आकर्षित किया और फिर उनके भरोसे का गलत फायदा उठाया। उनकी वेबसाइट hyboocare.com पर उपलब्ध जानकारी, जैसे FDA-अप्रूव्ड प्रोडक्ट्स का दावा, पूरी तरह से झूठा निकला। जांच में यह भी सामने आया कि वेबसाइट पर प्रोडक्ट्स की कीमतें असामान्य रूप से ज्यादा थीं, और तकनीकी खामियों के कारण यह एक वैध व्यवसायिक मंच नहीं था।

यह मामला केवल संदीपा तक सीमित नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय ने संकेत दिए हैं कि इस मामले में अन्य लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। फारुख अली जैसे सहयोगियों के बयानों और जब्त किए गए दस्तावेजों के आधार पर जांच को और विस्तार दिया जा रहा है। यह भी संभव है कि इस धोखाधड़ी में और लोग शामिल हों, जिनके नाम सामने आ सकते हैं। इस मामले ने यह भी दिखाया कि सोशल मीडिया की चकाचौंध के पीछे कई बार गंभीर अपराध छिपे हो सकते हैं। इस घटना ने समाज में कई सवाल खड़े किए हैं। पहला, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की जवाबदेही कैसे सुनिश्चित की जाए? लोग उनकी बातों पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैं, लेकिन इस तरह की घटनाएं उनके विश्वास को ठेस पहुंचाती हैं। दूसरा, मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों को रोकने के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए? प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई की, लेकिन ऐसी गतिविधियों को शुरू में ही पकड़ने के लिए और सख्त निगरानी की जरूरत है। तीसरा, कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा लिए गए बड़े ऋणों की जांच और पारदर्शिता को कैसे बढ़ाया जाए? रिलायंस कैपिटल से जुड़े इस मामले ने वित्तीय संस्थानों में उचित प्रक्रिया के पालन की कमी को भी सामने लाया है।

संदीपा की गिरफ्तारी से उनके फॉलोअर्स और ग्राहकों में भी हड़कंप मच गया है। कई लोग, जिन्होंने उनकी वेबसाइट से प्रोडक्ट्स खरीदने की कोशिश की थी, अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ लोग संदीपा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि इस तरह की घटनाएं सोशल मीडिया की साख को नुकसान पहुंचाती हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में अपनी जांच को और गहरा करने का फैसला किया है। एजेंसी का कहना है कि इस तरह की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों को रोकने के लिए वह हर संभव कदम उठाएगी। इस मामले में और सबूत जुटाए जा रहे हैं, ताकि सभी दोषियों को सजा मिल सके। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों। यह मामला समाज को यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमें सोशल मीडिया पर दिखने वाली हर चीज पर भरोसा नहीं करना चाहिए। इन्फ्लुएंसर्स की चमक-दमक के पीछे कई बार सच कुछ और होता है। लोगों को सतर्क रहने और किसी भी ऑनलाइन खरीदारी से पहले पूरी जांच करने की जरूरत है। साथ ही, सरकार और जांच एजेंसियों को ऐसी धोखाधड़ी को रोकने के लिए और सख्त नियम बनाने होंगे।

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