मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने विधानसभा में प्रस्तुत की व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास की भावी योजनाएं।
Lucknow: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र 2025 के तीसरे दिन प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्यमंत्री ....
हाइलाइट्स
- उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में पेश हुई व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास की 2047 तक की रोडमैप योजना
- उत्तर प्रदेश सरकार 2047 तक राज्य को कौशल विकास में अग्रणी बनाने के लिए प्रयासरत
- आईटीआई के आधुनिकीकरण, युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण, और कौशल विकास मिशन के माध्यम से निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करने पर जोर
- प्रदेश के युवाओं को कौशलयुक्त बनाकर देश का "Growth Engine" बनाया जाएगा
Lucknow: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र 2025 के तीसरे दिन प्रदेश के व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमशीलता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के संकल्प और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में विभागों की भावी रणनीति विधानसभा में प्रस्तुत की। इस दौरान उन्होंने प्रशिक्षण निदेशालय और कौशल विकास निदेशालय की उपलब्धियों, मौजूदा प्रयासों और भविष्य की चरणबद्ध योजनाओं का विस्तृत खाका पेश किया।
विभागीय परिचय में मंत्री अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से युवाओं को विभिन्न रोजगारपरक पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही अप्रेन्टिसशिप योजना से युवाओं को उद्योगों और एमएसएमई में व्यावहारिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ की आबादी में 62 प्रतिशत उत्पादक आयु वर्ग है, जिसे कौशलयुक्त बनाकर राज्य को देश का "Growth Engine" बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
विगत आठ वर्षों में प्रशिक्षण निदेशालय ने उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 35 नए आईटीआई में से 23 का निर्माण पूरा कर उन्हें क्रियाशील कर दिया गया है, जिनमें से 19 संस्थान पीपीपी मॉडल पर और 4 सरकारी संचालन में हैं। वर्तमान में 324 आईटीआई के माध्यम से प्रतिवर्ष 1.84 लाख युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अप्रेन्टिसशिप योजना के तहत अब तक 2.81 लाख से अधिक युवाओं को विभिन्न उद्योगों में रोजगार मिला है। आईटीआई में 151 आईटी लैब और 144 स्मार्ट क्लासरूम स्थापित किए गए हैं, जबकि टाटा टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के सहयोग से 149 आईटीआई और एक प्रादेशिक प्रशिक्षण केंद्र में रोबोटिक्स, इलेक्ट्रिक व्हीकल और 3-डी प्रिंटिंग जैसे 11 नए युग के कोर्स शुरू किए गए हैं।
2047 के लिए लक्ष्य निर्धारित करते हुए मंत्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश के आईटीआई को विश्वस्तरीय कौशल विकास केंद्र में बदलना, युवाओं में रोजगार के अवसर बढ़ाना, स्वरोजगार को प्रोत्साहन देना और एनईईटी (Not in Education, Employment or Training) की दर को शून्य करना प्रमुख उद्देश्यों में शामिल है। इसके लिए 2025 से 2047 तक चार चरणों में विस्तृत कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण, स्मार्ट क्लास, आधुनिक लैब, उद्योगों की मांग के अनुरूप पाठ्यक्रम, स्टार्टअप लिंक, कोबोट्स का परिचय, डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम, हरित आईटीआई परिसर और 100 प्रतिशत प्लेसमेंट मॉडल शामिल हैं।
कौशल विकास निदेशालय के विजन 2047 के अंतर्गत मंत्री ने बताया कि 15 से 59 वर्ष के सभी व्यक्तियों को कम से कम एक कौशल में प्रशिक्षित करना, जेनरेटिव एआई का प्रशिक्षण देना और उद्योग आधारित पाठ्यक्रमों से एम्प्लॉयबिलिटी बढ़ाना लक्ष्य है। साथ ही प्रत्येक तहसील में एडवांस स्किल ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना और 10 प्रतिशत प्रशिक्षुओं को अंतरराष्ट्रीय सेवायोजन दिलाना भी योजना का हिस्सा है।
पिछले आठ वर्षों में कौशल विकास मिशन के तहत लगभग 13 लाख युवाओं को निःशुल्क कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिनमें से 5 लाख से अधिक को रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ा गया। विशेष परियोजनाओं में कारागार बंदियों, किशोर सुधार गृहों के किशोरों, संरक्षण गृहों की महिलाओं, दिव्यांगजनों और अनुसूचित जाति/जनजाति की महिलाओं को प्रशिक्षण शामिल है। कोर्सरा प्लेटफॉर्म से 50 हजार युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर का ऑनलाइन प्रशिक्षण और एक लाख युवाओं की करियर काउंसलिंग कराई गई।
2047 तक के रोडमैप में पांच चरण निर्धारित किए गए हैं। पहले चरण (2025-2030) में 25 लाख युवाओं को उद्योग आधारित प्रशिक्षण, प्रत्येक मंडल की एक तहसील में एडवांस स्किल सेंटर और डिजिटल स्किलिंग प्लेटफॉर्म की शुरुआत होगी। दूसरे चरण (2030-2035) में 50 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने, कौशल विश्वविद्यालयों की स्थापना और अंतरराष्ट्रीय सर्टिफिकेशन कार्यक्रम शुरू करने का लक्ष्य है। तीसरे चरण (2035-2040) में एआई, डेटा साइंस और ग्रीन जॉब्स जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण और पांच शहरों को ग्लोबल स्किलिंग हब बनाया जाएगा। चौथे चरण (2040-2045) में 1.5 करोड़ लोगों को कौशलयुक्त बनाना और उत्तर प्रदेश को स्किल एक्सपोर्ट हब बनाना शामिल है, जबकि अंतिम चरण (2045-2047) में राज्य को भारत का शीर्ष कौशलयुक्त राज्य बनाने और हर वर्ष 10 लाख युवाओं को वैश्विक रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत 2047 के विजन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी नीतियों के तहत यह योजना प्रदेश को न सिर्फ कौशल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि इसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी स्थान दिलाएगी।
What's Your Reaction?