MP News: उत्तर वन मंडल में गड़बड़झाला: डीएफओ को गुमराह करने का खेल, क्या निजी भूमि में बना दिया मुनारा वन विभाग ने अब उठ रहा है सवाल।
रेंजर से लेकर डीएफओ का उड़नदस्ता जांच में गया तो पर निजी भूमि बताकर किया डीएफओ को गुमराह, मौके पर मुनारा होने पर भी बताई निजी भूमि....
रिपोर्ट- शशांक सोनकपुरिया, बैतूल मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के बैतूल में आये दिन जंगलो से जुड़े नए नए मामले सामने आ रहे है और जंगलों को बचाने की पहल की जगह जंगल के रक्षक ही गोलमाल करके उच्चाधिकारियों को गुमराह करने में लगे हुए है ताजा मामला उत्तर वन मंडल की रानीपुर रेंज से सामने आया है जहाँ जंगल की जमीन पर सैकड़ों पेड़ो की अवैध कटाई हो जाती है और विभाग के जिम्मदारों के कानों में जूं तक नही रेंगी बता दें कि हनुमान ढोल से आगे महज 500 मीटर की दूरी पर रोड से लगी हुई वन भूमि पर जेसीबी चलाकर हरे भरे पेड़ों की अन्धाधुँध कटाई कर दी गई वहीं बेरहमी से ठूठों को उखाकार फेंक दिया गया और पहाड़ को काटकर लेवल कर खेती के लिए जमीन बना डाली जिसके जीपीएस लोकेशन के फोटो वीडियो भी विभाग को उपलब्ध करवाए गए थे पर कार्यवाही के बजाए।
जांच के नाम पर अतिक्रमण कारी को बचाने में रेंजर जुट गए और मामले में लीपापोती कर डीएफओ को निजी भूमि का हवाला दे दिया जब इस मामले में डीएफओ के उड़नदस्ते से जांच करवाई गई तो उड़नदस्ते ने भी सही रिपोर्ट देने के बजाए निजी भूमि का हवाला दे डाला जबकि वहीं से काटे गए सागौन के पेड़ों की बल्लियों से अतिक्रमण कारी द्वारा तार फेंसिंग कर ली गई है और जंगल का मुनारा भी बना हुआ है मौके पर अब सवाल यहाँ यह उठा रहा है कि क्या मुनारे के अंदर की गई अवैध कटाई अवैध नही मानी जा रही या फिर जो वन विभाग ने मुनारा बनाया है वो निजी भूमि पर बना है।
इस पूरे मामले में जांच का हवाला देते नजर आए डीएफओ ने कहा कि इसके पूर्व में भी ये मामला उठा था पर निजी भूमि स्वामी होने के चलते क्या कार्यवाही हुई वह पुरानी जांच रिपोर्ट देखने के बाद ही बताया जा सकता है पर यहाँ एक बड़ा सवाल यह भी है कि पूर्व में जांच हुई भी होगी तो उसका इस मामले से क्या लेना देना क्योंकि जांच 2- 4 वर्ष पूर्व हुई होगी पर ये जो अतिक्रमण कर अवैध कटाई का मामला है यह तो ताजा मामला है इसमें कार्यवाही की जगह क्या कारण है कि लीपापोती करने में लगा हुआ है विभाग सैकड़ों पेड़ों की कटाई होने के बाद भी अतिक्रमण कारी पर कोई कार्यवाही न किया जाना विभाग की जांच को संदेह के घेरे में लाकर खड़ा कर रहा है अब देखना यह होगा कि इस पूरे मामले में उच्चाधिकारियों द्वारा क्या जांच की जाती है या फिर इसी तरह तेजी से वनों का सफाया अतिक्रमण कारी और माफिया विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से करते रहेंगे ।
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