Lucknow : काशी का दक्षिण द्वार जगमगाया हजारों दीयों की रोशनी से- जयवीर सिंह
देव दीपावली का यह उत्सव माधोपुर गांव में श्रद्धा और आस्था का प्रतीक होने के साथ ग्रामीण पर्यटन, लोक संस्कृति, पारंपरिक कला और सामुदायिक भागीदारी का जीवंत उदाह
देव दीपावली के पावन मौके पर काशी का दक्षिण द्वार आध्यात्मिक रोशनी से चमक उठा। उत्तर प्रदेश की ग्रामीण पर्यटन योजना के तहत चुने गए वाराणसी जिले के माधोपुर गांव में अपनी खास परंपराओं और लोगों की भागीदारी से यह पर्व खास तरीके से मनाया जा रहा है। गंगा तट पर स्थित शूलटंकेश्वर मंदिर, जिसे काशी का दक्षिण द्वार भी कहते हैं, भव्य दीपोत्सव का गवाह बना। ग्रामीण पर्यटन के तहत देव दीपावली की पूर्व संध्या पर शाम चार बजे शूलटंकेश्वर गंगा घाट पर दीप जलाए गए।
यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि शूलटंकेश्वर मंदिर का जिक्र स्कंद पुराण के काशी खंड में भी है। यह भव्य आयोजन उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के नेतृत्व में हुआ। आयोजन के दौरान प्राचीन शूलटंकेश्वर घाट और उसके आसपास का पूरा इलाका ग्रामवासियों ने हजारों मिट्टी के दीयों से सजाया, जिससे पूरा दक्षिण काशी दीपों की खूबसूरत चमक से नहा उठा।
देव दीपावली का यह उत्सव माधोपुर गांव में श्रद्धा और आस्था का प्रतीक होने के साथ ग्रामीण पर्यटन, लोक संस्कृति, पारंपरिक कला और सामुदायिक भागीदारी का जीवंत उदाहरण भी है। ग्रामीण पर्यटन योजना के तहत चुने गए अन्य गांवों चंद्रावती (जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभु की जन्मस्थली), कैथी (मार्कण्डेय महादेव मंदिर), उमराह और रहती (त्रिलोचन महादेव मंदिर) में भी मिट्टी के दीयों से देव दीपावली मनाई जा रही है।
जयवीर सिंह ने बताया कि पर्यटन विभाग का मकसद ऐसे आयोजनों से ग्रामीण पर्यटन को मजबूत करना है। इससे स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन मिलता है और अर्थव्यवस्था को बल मिलता है। इन प्रयासों से उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में मदद मिलती है।
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