Politics: मल्लिकार्जुन खरगे का तंज- मोदी दो टांगों से चल रहे हैं, एक हिली तो गिर जाएंगे।
Politics News: रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में कांग्रेस ने 'किसान-जवान-संविधान सभा' का आयोजन किया, जिसमें मल्लिकार्जुन खरगे ने मुख्य वक्ता के रूप ...
उनका सबसे चर्चित बयान था, "मोदी जी सिर्फ दो टांग लेकर चल रहे हैं, वो भी दूसरे का। एक टांग नीतीश बाबू और एक टांग टीडीपी का है। एक ने भी लात मार दी तो मोदी जी हार जाएंगे।" इस बयान का मकसद बीजेपी की गठबंधन सरकार की निर्भरता को उजागर करना था। 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 240 सीटें मिलीं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से कम थीं। सरकार बनाने के लिए बीजेपी को अपने सहयोगी दलों—जैसे जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) और तेलुगु देशम पार्टी (TDP)—का समर्थन लेना पड़ा। खरगे ने इस स्थिति का मजाक उड़ाते हुए कहा कि मोदी सरकार की स्थिरता इन सहयोगियों पर टिकी है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने भाषण में कई मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरा। उनके कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार थे:
2024 के चुनाव और सामाजिक न्याय: खरगे ने कहा कि रायपुर में 2023 में हुए कांग्रेस महाधिवेशन में सामाजिक न्याय का नारा बुलंद हुआ, जिसने 2024 के चुनावों में बीजेपी के "अहंकार" को तोड़ा। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की रणनीति और विपक्षी गठबंधन INDIA ने बीजेपी को अकेले सरकार बनाने से रोका।
संविधान पर खतरा: खरगे ने आरोप लगाया कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) संविधान की मूल भावना को नष्ट करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि RSS के एक विचारक ने 'सेक्युलरिज्म' और 'सोशलिज्म' जैसे शब्दों को संविधान से हटाने की बात कही है, जिसे देश बर्दाश्त नहीं करेगा।
पहलगाम हमला और मोदी की चुप्पी: खरगे ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि जब इस मुद्दे पर दो सर्वदलीय बैठकें हुईं, तो प्रधानमंत्री मोदी दोनों में शामिल नहीं हुए। उन्होंने इसे "शर्मनाक" और "देश की बेइज्जती" बताया।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार की आलोचना: खरगे ने छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय केवल मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के इशारों पर काम करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने 10,000 स्कूल बंद किए और 67 नई शराब दुकानें खोलीं, जिनमें नकली शराब बेची जा रही है।
आदिवासियों के अधिकार: खरगे ने आदिवासियों को उनके "जल, जंगल, जमीन" की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी उद्योगपतियों को खनिज संसाधन लूटने की छूट दे रही है।
खरगे का "दो टांगों" वाला बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। X पर @news24tvchannel, @usklimited, और @ImRaoAbhishek61 जैसे अकाउंट्स ने इस बयान को साझा किया। कुछ यूजर्स ने खरगे के तंज की सराहना की, जबकि बीजेपी समर्थकों ने इसे आपत्तिजनक बताया। @ankurbjp4india ने जवाब में लिखा, "खरगे जी, प्रधानमंत्री मोदी दो टांगों से नहीं, पूरे देश की उम्मीदों और विश्वास पर चल रहे हैं। इतनी ऊँचाई पर बैठने वालों को नीचे खींचने से पहले अपनी सोच की ऊँचाई बढ़ा लीजिए।"
यह बयान बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग को और तेज करने वाला साबित हुआ। बीजेपी नेताओं ने खरगे के बयान को "अपमानजनक" और "विपक्ष की हताशा" करार दिया, जबकि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसे बीजेपी की कमजोर स्थिति को उजागर करने वाला बताया।
खरगे का बयान बीजेपी की गठबंधन सरकार की निर्भरता को उजागर करता है। 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 240 सीटें मिलीं, जबकि उसके सहयोगी दलों—जैसे TDP (16 सीटें) और JDU (12 सीटें)—ने मिलकर NDA को बहुमत का आंकड़ा पार करने में मदद की। नीतीश कुमार की JDU और चंद्रबाबू नायडू की TDP सरकार की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। खरगे ने इस स्थिति का इस्तेमाल बीजेपी की कमजोरी को दर्शाने के लिए किया।
हालांकि, बीजेपी ने इस बयान का जवाब देते हुए कहा कि गठबंधन सरकारें भारतीय राजनीति का हिस्सा रही हैं, और NDA एक मजबूत गठबंधन है। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, "खरगे जी का बयान उनकी निराशा दिखाता है। मोदी जी देश के विश्वास पर चल रहे हैं, न कि किसी की बैसाखी पर।"
मल्लिकार्जुन खरगे, जो 2022 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, केंद्र की मोदी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं। कर्नाटक के कलबुर्गी से आने वाले खरगे एक अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने 55 साल तक राजनीति में विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं। वे कर्नाटक विधानसभा में 9 बार विधायक रहे और केंद्र में रेल, श्रम, और सामाजिक न्याय जैसे मंत्रालय संभाले।
खरगे की रणनीति 2024 के बाद से और आक्रामक हुई है, क्योंकि कांग्रेस ने लोकसभा में 99 सीटें जीतकर अपनी स्थिति मजबूत की। वे विपक्षी गठबंधन INDIA को एकजुट रखने और बीजेपी के खिलाफ जनता के मुद्दों—जैसे बेरोजगारी, महंगाई, और संविधान पर खतरा—को उठाने पर जोर दे रहे हैं। रायपुर की सभा में उनका बयान इस रणनीति का हिस्सा था, जिसका मकसद बीजेपी को कमजोर दिखाना और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरना था।
छत्तीसगढ़ में यह सभा इसलिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि राज्य में 2023 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बीजेपी से हार का सामना करना पड़ा था। भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को हटाकर बीजेपी ने विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाया। खरगे ने इस सभा में भूपेश बघेल की तारीफ की और कहा कि उनके शासन में शुरू की गई जनहितैषी योजनाओं को बीजेपी ने बंद कर दिया।
कांग्रेस अब 2028 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में है। सभा में सचिन पायलट ने भी कार्यकर्ताओं से 2018 की तरह एकजुट होकर लड़ने की अपील की। बारिश के बावजूद सभा में भारी भीड़ ने दिखाया कि कांग्रेस का कार्यकर्ता आधार अभी भी मजबूत है।
खरगे ने अपने भाषण में संविधान, आदिवासी अधिकार, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को प्रमुखता दी। उन्होंने कहा कि बीजेपी और RSS संविधान के मूल सिद्धांतों—जैसे धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद—को खत्म करना चाहते हैं। यह बयान विपक्ष की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें संविधान को बचाने का नारा 2024 के चुनावों में प्रमुख था।
उन्होंने आदिवासियों को "जल, जंगल, जमीन" की रक्षा के लिए एकजुट होने का आह्वान किया और आरोप लगाया कि बीजेपी उद्योगपतियों को खनिज संसाधन लूटने की छूट दे रही है। यह बयान छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी-बहुल राज्य में महत्वपूर्ण है, जहां खनन और पर्यावरण के मुद्दे स्थानीय लोगों के लिए संवेदनशील हैं।
बीजेपी ने खरगे के बयान को "विपक्ष की हताशा" करार दिया। पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार ने 2024 में तीसरी बार जीत हासिल की, जो जनता के विश्वास का प्रतीक है। बीजेपी ने यह भी कहा कि गठबंधन सरकारें भारतीय राजनीति का हिस्सा हैं, और NDA एकजुट है।
हालांकि, खरगे का बयान बीजेपी के लिए एक चुनौती है, क्योंकि यह गठबंधन सहयोगियों—खासकर JDU और TDP—के बीच असंतोष को भड़का सकता है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने हाल के महीनों में केंद्र सरकार से विशेष पैकेज और नीतिगत मांगें की हैं, जो गठबंधन की जटिलता को दर्शाता है।
मल्लिकार्जुन खरगे का "मोदी दो टांगों से चल रहे हैं" वाला बयान एक राजनीतिक तंज है, जिसने बीजेपी की गठबंधन सरकार की कमजोर स्थिति को उजागर किया। रायपुर की 'किसान-जवान-संविधान सभा' में खरगे ने न केवल बीजेपी की नीतियों की आलोचना की, बल्कि संविधान, आदिवासी अधिकार, और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को भी उठाया।
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