Deoband: वंदे मातरम् पर जारी बहस मौलाना इसहाक़ गोरा ने जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की हमायत की।
वंदेमातरम् पर देश की संसद में बहस और उसके बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान के बाद
देवबंद: वंदेमातरम् पर देश की संसद में बहस और उसके बाद जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान के बाद देश-भर में चली बहस के बीच, जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम ए दीन मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने बड़ा और वाजिह बयान दिया है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् पर ऐतराज़ कोई सियासी जिद नहीं, बल्कि एक ख़ालिस दीनी मसला है, जिसकी जड़ें इस्लामी तालीमात में मौजूद हैं और जिसे समझने के लिए सलीक़े और तहक़ीक़ की ज़रूरत है। मौलाना इसहाक़ गोरा ने साफ-साफ कहा कि वह मौलाना अरशद मदनी की पूरी हिमायत करते हैं, क्योंकि यह मसला नई बहस नहीं, बल्क़ि बरसों से उलमा के दरमियान तैशुदा फ़िक़्ही मामला है। उनका कहना था कि वंदे मातरम् का ऐतराज़ किसी भी सूरत में वतन-दुश्मनी या क़ौमी तसव्वुर की खिलाफत नहीं है। मुसलमान हमेशा इस मुल्क के वफ़ादार रहे हैं और आज भी हिंदुस्तान से उनकी मोहब्बत उनकी ज़िंदगी, एहसास और पहचान का हिस्सा है।
उन्होंने तफ़्सील से बताते हुए कहा कि इस्लाम में इबादत सिर्फ़ अल्लाह के लिए मुक़र्रर है। किसी भी ऐसी बात, तराना या कलाम पर ऐतराज़ होता है जिसमें तसव्वुर-ए-इबादत या बंदगी का रंग शामिल हो जाए। उलमा की राय में वंदे मातरम् के कुछ हिस्से ऐसे तशरीह के दायरे में आते हैं जिन्हें मुसलमान इबादत जैसा दर्जा नहीं दे सकते और यही इसकी बुनियादी वजह है। मौलाना इसहाक़ गोरा ने कहा कि हम वंदे मातरम् इसलिए नहीं पढ़ते कि हमारी बंदगी सिर्फ़ अल्लाह के लिए है; लेकिन हम अपने मुल्क से मुहब्बत में किसी से पीछे नहीं। हिन्दुस्तान हमारी जान, हमारी मिट्टी और हमारा फ़ख़्र है। इस मसले को नफ़रत या लॉयल्ट्री का पैमाना बनाना नाइंसाफ़ी है।आख़िर में उन्होंने अपील की कि इस मसले को धार्मिक हस्सासियत के साथ समझा जाए, न कि तंग-नज़र सियासत की ऐनक से देखा जाए। उनके मुताबिक़, मुल्क का अमन,इत्तेहाद और मोहब्बत हमारी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है और यही हम सबको निभानी चाहिए।
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