Shahjahanpur News: साहित्यिक संस्था प्रवाह की मासिक गोष्ठी का आयोजन।
साहित्यिक संस्था (literary institution) प्रवाह की मासिक गोष्ठी सुशील दीक्षित विचित्र के निवास स्थान दिलावर गंज में संपन्न हुई जिसका शुभारंभ गीतकार....

रिपोर्ट- फैयाज उद्दीन साग़री
शाहजहांपुर। साहित्यिक संस्था प्रवाह की मासिक गोष्ठी सुशील दीक्षित विचित्र के निवास स्थान दिलावर गंज में संपन्न हुई जिसका शुभारंभ गीतकार कमल मानव द्वारा किया गया। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए चंद्रशेखर दीक्षित ने संसद की गिरती गरिमा को रेखांकित करते हुए सुनाया -- बिल्लियों सा रुदन कल संसद में सुना, जंग से ज्यादा मरण को है चुना। कमल मानव ने मुक्तकों और गीतों के माध्यम से वाहवाही लूटी, उन्होंने सुनाया- सुधा की धार में विष धार को किसने मिलाया है। हंसा कर मार डाला और फिर कितना है। हमारे गांव में पल्लवित था जो प्रेम का पादप,उसे इस वासना के शहर में ले कौन आया है।
सुशील दीक्षित विचित्र ने वीर रस की कविताओं के अलावा गीत भी सुनाये ---
सीमा पर फिर से घुमड़े हैं कजरारे बादल,आजादी वाले सब सपने चकनाचूर हुए।/देश दलों का बना हुआ है एक महा दलदल।
नवगीतकार डॉ प्रशांत अग्निहोत्री ने विसंगतियों का शब्दचित्र खींचते हुए कहा -----
बंधे पंख जब खुलें , तभी तो नापेंगे आकाश/खोले पंख शिकारी सत्ता , उसे कहां अवकाश।
ओज के कवि चंद्रमोहन पाठक की यह पंक्तियां बहुत पसंद की गयीं ---
नयनों से यदि प्रश्न उठा , उत्तर नयनों से आने दो/जिव्हा कह न सके , वो नयनों से वह जाने दो।
धर्म प्रकाश धर्मा ने लोकगीत सुना कर श्रोताओं को भाव विभोर का दिया -----सरसों के फुलवा से महक उठो चौबारा/ गलियन से कुंजन झूमे है जग सारा। नवोदित कवि राम सिंह पाहुन के गीत खूब सराहे गए ---- बाहों में बांह फिरो कर आओ हम दूर तक चलें/राह में जो भी दुखी मिले , लगायें उसे हम गले।
भूपेंद्र भूप ने छंदों के अलावा भक्ति के गीत भी सुनाये --- शिव को कर प्रणाम बोलिये/सिर झुका कर राम राम बोलिये ।
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इससे पूर्व माँ शारदे के चित्र पर चंद्रशेखर दीक्षित द्वारा माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन किया गया।आयोजन की व्यवस्था में भव्या तिवारी और समृद्धि तिवारी का विशेष योगदान रहा। अंत में पुष्कर दीक्षित ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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