Madhya Pradesh News: तेजी से हो रहा निगम के जंगलों के सफाया- रेंजर और डिप्टी रेंजर के संरक्षण में हो रहा प्लांटेशनो का सफाया और किया जा रहा अतिक्रमण।
साक्ष्य छिपाने जला दिए ठूठ भी ,चोपना परिक्षेत्र में नही बचा प्लांटेशन,सैकड़ो हेक्टेयर में प्लांटेशनो का सफाया ....

रिपोर्ट- शशांक सोनकपुरिया, बैतूल मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में शासन को लाखों के राजस्व का चूना लगा रहे है जंगलों के रक्षक शासन देता है निगम को हर साल लाखों रुपयों का बजट ताकि सागौन में प्लांटेशनो से हो राजस्व की तगड़ी आवक पर यहाँ तोमध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम बैतूल की रामपुर भतोड़ी परियोजना में शासन को धड़ाधड़ चुना लगाने का काम जोरो शोरों से जारी है जिसका सीधा भुगतमान राज्य शासन को भुगतना पड़ रहा है और जंगल के रक्षक ही भक्षक बने हुए है अपनी जेब भरने के अलावा उन्हें जंगलों से कोई मतलब ही नही बचा है ताजा मामला चोपना परिक्षेत्र से सामने आया है यहाँ कंपार्टमेंट नम्बर 327 में सैकड़ो हेक्टेयर में सागौन के प्लांटेशनो का सफाया हो गया है।
जिसको लेकर जब हमारे द्वारा मौके पर पहुँचकर पड़ताल की गई तो सागौन के प्लांटेशनो को साफ करके खेती के लिए जमीन तैयार की जा रही है वहीं सूत्रों से यह भी जानकारी सामने आई है कि प्लांटेशनो का सफाया करवाने में रेंजर और डिप्टी रेंजर की ही भूमिका अहम है जिसको लेकर नाम न बताने की शर्त पर ग्रामीण ने बताया कि रेंजर और डिप्टी द्वारा बल्लियों को कटवाकर बेच दिया जा रहा है और ठूठ भी जलवा दिए जा रहे है ताकि किसी को साक्ष्य भी न मिल पाए।
अनिकेत ( ग्रामीण)
इस मामले को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों से सम्पर्क करने पर कार्यवाही करने की जगह अधिनस्थों को बचाने में लगर हुए है जिले के जिम्मेदार वहीं जंगलो से मुरम और पत्थर तक रोड और डेम के ठेकेदारों को बेचे जा रहे है जिसको लेकर ग्रामीणों को यह भी हिदायत दी गई है कि मीडिया को इस मामले में कोई भी वर्ज़न न दे बाकी तो कोई कुछ कर ही नही सकता बस मीडिया को गांव में घुसने न दें निगम के एमडी से दुरभाष पर सम्पर्क किया गया पर उनके द्वारा कॉल रिसीव ही नही किया गया जबकि वह आज बैतूल उसी क्षेत्र के दौरे पर आए हुए है।
अब देखना यह होगा कि इस खबर के प्रकाशित होने के बाद मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम के एमडी अपने अधीनस्थ उड़नदस्ते से जांच करवाएँगे या फिर यूँ ही निगम के जंगलों के सफाया होते रहेगा और शासन को लाखों का चूना लगाने का खेल यूँ ही जारी रहेगा।
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