Sambhal : मेले में मुस्लिमों महिलाओं के जाने पर आपत्ति पर बवाल, राज्य मंत्री गुलाब देवी ने मौलाना को घेरा, अधिकारों को लेकर भेदभाव क्यों?

गुलाब देवी ने चंदौसी में गणेश चौथ मेले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां सभी धर्मों के लोग एक साथ आते हैं और सबसे ज्यादा मुस्लिम महिलाएं खरीदारी करती हैं। उन्होंने कहा

Sep 25, 2025 - 20:42
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Sambhal : मेले में मुस्लिमों महिलाओं के जाने पर आपत्ति पर बवाल, राज्य मंत्री गुलाब देवी ने मौलाना को घेरा, अधिकारों को लेकर भेदभाव क्यों?
गुलाब देवी, राज्य मंत्री

Report : उवैस दानिश, सम्भल

प्रसिद्ध देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना कारी इसहाक गोरा द्वारा सहारनपुर में हर साल लगने वाले गुघाल मेले में मुस्लिम युवकों और महिलाओं की शिरकत पर आपत्ति जताने के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। मौलाना ने एक वीडियो जारी कर मुस्लिमों के मेले में जाने को इस्लामी उसूलों के खिलाफ बताया। इस बयान पर प्रदेश की राज्य मंत्री गुलाब देवी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और इसे “संकुचित व सीमित मानसिकता का प्रतीक” करार दिया।

गुलाब देवी ने चंदौसी में गणेश चौथ मेले का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां सभी धर्मों के लोग एक साथ आते हैं और सबसे ज्यादा मुस्लिम महिलाएं खरीदारी करती हैं। उन्होंने कहा, “किसी भी मेले में महिलाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही होना चाहिए। जब हम सब एक साथ रह रहे हैं, सरकार की सुविधाएं ले रहे हैं, तो ऐसे प्रतिबंध लगाने का कोई औचित्य नहीं है। प्रधानमंत्री 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अन्न दे रहे हैं, उस पर तो कोई आपत्ति नहीं जताई जाती, लेकिन मेलों में जाने पर रोक लगाना खोखली सोच और मानसिक दिवालियापन है।”

मौलाना द्वारा सरकार पर आरोप लगाए जाने पर कि मुस्लिम महिलाओं को आगे बढ़ाकर उन्हें भड़काया जा रहा है, गुलाब देवी ने पलटवार करते हुए कहा कि आज मुस्लिम महिलाएं डॉक्टर, इंजीनियर और टीचर बनकर देश का नाम रोशन कर रही हैं। उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार में मुस्लिम वर्ग का जितना विकास हुआ है, उतना पहले कभी नहीं हुआ। मुस्लिम समाज को इसकी सराहना करनी चाहिए, विरोध नहीं।”

राज्य मंत्री ने मौलाना की निंदा करते हुए कहा कि जो भी महिलाएं आगे बढ़ने से रोकने जैसी सोच रखता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, उसकी हमेशा निंदा की जाएगी। उन्होंने इसे देश के प्रति गलत सोच बताते हुए कहा कि ऐसी बयानबाजी समाज को बांटने का काम करती है और उसकी जितनी निंदा की जाए, उतनी कम है।

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जब मुस्लिम महिलाओं की हर मेले में एंट्री हो सकती है, तो मुस्लिम युवाओं को क्यों रोका जा रहा है। क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है? समाज में इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है कि आखिर मेलों में शामिल होने के अधिकार को लेकर भेदभाव क्यों किया जा रहा है।

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