'500 करोड़ रुपये का सूटकेस', कांग्रेस ने डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया।
पंजाब कांग्रेस ने डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, जो उनकी उस टिप्पणी के कुछ ही
पंजाब कांग्रेस ने डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है, जो उनकी उस टिप्पणी के कुछ ही घंटों बाद हुई जिसमें उन्होंने राज्य में मुख्यमंत्री पद के लिए 500 करोड़ रुपये के सूटकेस की आवश्यकता बताई थी। यह कार्रवाई शनिवार को राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात के बाद की गई उनकी टिप्पणी पर आधारित है, जिसने भाजपा और आम आदमी पार्टी की तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया और कांग्रेस के अंदर भी व्यापक बेचैनी पैदा कर दी। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने आधिकारिक आदेश जारी कर कहा कि डॉ. नवजोत कौर सिद्धू को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल निलंबित किया जाता है, हालांकि आदेश में कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया। यह घटना 2027 विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी में आंतरिक कलह को उजागर करती है, जहां सिद्धू परिवार की भूमिका पहले से ही विवादास्पद रही है।
डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने शनिवार शाम को चंडीगढ़ में राज्यपाल से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनके पति नवजोत सिंह सिद्धू तभी सक्रिय राजनीति में लौटेंगे जब कांग्रेस उन्हें 2027 चुनावों के लिए मुख्यमंत्री पद का आधिकारिक चेहरा घोषित करेगी। उन्होंने कहा कि वे हमेशा पंजाब और पंजाबियत के लिए बोलते हैं लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए 500 करोड़ रुपये देने की क्षमता नहीं रखते। जब उनसे पूछा गया कि क्या किसी ने उनसे धन की मांग की है, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई प्रत्यक्ष अनुरोध नहीं हुआ लेकिन जो व्यक्ति 500 करोड़ रुपये का सूटकेस देता है, वही मुख्यमंत्री बनता है। यह टिप्पणी वायरल होते ही राजनीतिक हलचल मचा दी, और विपक्षी दलों ने इसे कांग्रेस की आंतरिक भ्रष्टाचार की पुष्टि बताया। विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया तीखी रही, जहां भाजपा ने इसे कांग्रेस में संस्थागत भ्रष्टाचार का प्रमाण करार दिया। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि यह टिप्पणी दर्शाती है कि पार्टी के नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक भ्रष्टाचार व्याप्त है, और मुख्यमंत्री पद के लिए 500 करोड़ रुपये का सूटकेस आवश्यक है। पंजाब भाजपा प्रमुख सुनील जाखड़ ने इसे कांग्रेस की लेन-देन वाली राजनीति से जोड़ा और एक पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा कथित रूप से 350 करोड़ रुपये भुगतान की अफवाहों का हवाला दिया। आम आदमी पार्टी के पंजाब महासचिव बलतेज पन्नू ने टिप्पणी को गंभीर बताते हुए कांग्रेस से स्पष्टीकरण मांगा, और पूछा कि क्या यह राशि उच्च कमान या राहुल गांधी तक पहुंचती है। इन प्रतिक्रियाओं ने कांग्रेस को रक्षात्मक स्थिति में धकेल दिया, और पार्टी नेताओं ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया।
कांग्रेस के अंदर भी इस टिप्पणी से असहजता फैल गई, जहां वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और सिद्धू परिवार पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया। रंधावा ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को भाजपा से कांग्रेस में लाकर मंत्री बनाया गया और फिर पंजाब इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, लेकिन अब वे ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि सिद्धू को मंत्री या अध्यक्ष बनने के लिए कितना भुगतान किया गया था। इस घटना ने पार्टी में पांच मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की मौजूदगी को उजागर किया, जिन्हें डॉ. कौर ने पार्टी को कमजोर करने का जिम्मेदार ठहराया। तारन तारन उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी द्वारा कथित रूप से उच्च नेतृत्व को धन भुगतान का आरोप भी लगाया गया, जो सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के साथ सांठगांठ का संकेत देता है। निलंबन के आदेश के तुरंत बाद डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने सोशल मीडिया पर स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें कहा कि उनकी सीधी टिप्पणी को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस ने उनसे कभी कोई मांग नहीं की, और जब नवजोत सिंह सिद्धू को अन्य पार्टी से मुख्यमंत्री चेहरा बनाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास मुख्यमंत्री पद के लिए धन अर्पित करने की क्षमता नहीं है। उन्होंने पंजाब को स्वर्णिम राज्य बनाने की क्षमता पर जोर दिया, लेकिन स्पष्टीकरण के बावजूद पार्टी नेतृत्व ने निलंबन का फैसला ले लिया। इस कदम को कवर-अप प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि टिप्पणी पहले ही सार्वजनिक हो चुकी है।
नवजोत सिंह सिद्धू का राजनीतिक सफर विवादों से भरा रहा है, जो 2019 में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे। उन्हें पंजाब में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया, लेकिन चरणजीत सिंह चन्नी सरकार में मतभेदों के कारण इस्तीफा दे दिया। 2022 में पंजाब कांग्रेस प्रमुख पद से इस्तीफा देकर उन्होंने पार्टी को कमजोर करने का आरोप लगाया था, और आम आदमी पार्टी के हाथों हार का सामना किया। अमृतसर पूर्व विधानसभा सीट पर वे आम आदमी पार्टी की जीवन ज्योत कौर से हार गए थे। 2024 लोकसभा चुनावों में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका नहीं निभाई, और आईपीएल कमेंट्री तथा यूट्यूब चैनल पर लौट आए। डॉ. कौर, जो पूर्व विधायक हैं, ने भी राज्यपाल से कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर चर्चा की थी, जिसमें राज्य पुलिस को वर्दीधारी गुंडे बताया गया। यह घटना 2027 पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस की आंतरिक एकजुटता पर सवाल खड़े करती है। डॉ. कौर ने कहा था कि पार्टी में इतनी आंतरिक कलह है कि वे नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री चेहरा नहीं बनने देंगे, क्योंकि पांच दावेदार पहले से ही मौजूद हैं। भाजपा ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए कहा कि कांग्रेस विघटित हो रही है, और पंजाब को भाजपा को मौका देना चाहिए। आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस की विश्वसनीयता पर प्रहार किया, कहा कि यह टिप्पणी पार्टी की कार्यप्रणाली को उजागर करती है। कांग्रेस नेताओं ने सिद्धू परिवार को भाजपा की ओर झुकाव का आरोप लगाया, और कहा कि निलंबन लंबे समय से लंबित था।
डॉ. कौर ने निलंबन के बाद पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग पर व्यक्तिगत हमला बोला, कहा कि वे एक असंवेदनशील, गैरजिम्मेदार, नैतिक रूप से बेईमान और भ्रष्ट अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि वे ऐसे अध्यक्ष को स्वीकार नहीं करतीं, और मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें संरक्षण देने पर सवाल उठाया। उन्होंने अपने समर्थकों के लिए खड़े होने का संकल्प जताया, जो वारिंग की अक्षमता से प्रभावित हुए हैं। यह बयान पार्टी में नई दरार पैदा कर सकता है, क्योंकि सिद्धू परिवार का प्रभाव अभी भी पंजाब में मजबूत है। राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात का उद्देश्य कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा था, जहां डॉ. कौर ने पंजाब में अपराध बढ़ने का जिक्र किया। मुलाकात के बाद की गई टिप्पणी ने राजनीतिक आयाम ले लिया, और विपक्ष ने इसे राज्यपाल भवन से निकलते ही भाजपा के एजेंडे का हिस्सा बताया। कांग्रेस ने इसे खारिज किया, लेकिन निलंबन से स्पष्ट है कि पार्टी ने क्षति नियंत्रण का प्रयास किया। यह घटना पंजाब राजनीति में सिद्धू परिवार की वापसी की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू ने प्रियंका गांधी वाड्रा से अपनी निष्ठा दोहराई थी।
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