IndiGo ने यात्रियों को 827 करोड़ रिफंड किये और 4,500 बैगों की वापसी की, मंत्रालय ने दिए संचालन बहाली के निर्देश, यात्रियों की राहत की प्रक्रिया तेज। 

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को घोषणा की कि IndiGo एयरलाइंस ने 21 नवंबर से 7 दिसंबर 2025 के बीच रद्द की गई उड़ानों से प्रभावित

Dec 9, 2025 - 13:17
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IndiGo ने यात्रियों को 827 करोड़ रिफंड किये और 4,500 बैगों की वापसी की, मंत्रालय ने दिए संचालन बहाली के निर्देश, यात्रियों की राहत की प्रक्रिया तेज। 
IndiGo ने यात्रियों को 827 करोड़ रिफंड किये और 4,500 बैगों की वापसी की, मंत्रालय ने दिए संचालन बहाली के निर्देश, यात्रियों की राहत की प्रक्रिया तेज। 

नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने मंगलवार को घोषणा की कि IndiGo एयरलाइंस ने 21 नवंबर से 7 दिसंबर 2025 के बीच रद्द की गई उड़ानों से प्रभावित यात्रियों को कुल 827 करोड़ रुपये के रिफंड जारी कर दिए हैं। इस अवधि में 9,55,591 पीएनआर रद्द हुए, जिनके लिए यह राशि लौटाई गई। मंत्रालय के अनुसार, आंतरिक सिस्टम में खराबी के कारण उत्पन्न संचालन बाधा ने 5.8 लाख से अधिक यात्रियों को प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप देशभर के हवाई अड्डों पर लंबे समय तक अव्यवस्था बनी रही। इसके अलावा, 9,000 गुम हुए चेक-इन बैगों में से 4,500 बैग यात्रियों तक पहुंचा दिए गए हैं, जबकि शेष बैगों को अगले 36 घंटों के भीतर लौटाने का लक्ष्य रखा गया है। यह अपडेट संकट के सातवें दिन आया, जब एयरलाइन ने 1,800 से अधिक उड़ानें संचालित कीं, जो पिछले दिनों की तुलना में सुधार दर्शाता है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि रिफंड प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी रखी गई है, और सभी प्रभावित यात्रियों को जल्द राहत मिलेगी। संकट की शुरुआत 2 दिसंबर 2025 को हुई, जब IndiGo की उड़ानें बड़े पैमाने पर रद्द होने लगीं। पहले दिन 70 उड़ानें प्रभावित हुईं, जो अगले दिन बढ़कर 300 हो गईं और 5 दिसंबर को 1,000 से अधिक पहुंच गईं। 8 दिसंबर तक कुल 4,000 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी थीं, जो एयरलाइन के दैनिक संचालन का आधा हिस्सा था। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता जैसे प्रमुख हवाई अड्डों पर बैगेज का ढेर लग गया और कतारें लंबी हो गईं। मंत्रालय ने बताया कि 1 दिसंबर से 7 दिसंबर के बीच 5,86,705 पीएनआर रद्द हुए, जिनके लिए 569.65 करोड़ रुपये रिफंड किए गए। समग्र रूप से 21 नवंबर से 7 दिसंबर तक की अवधि में रिफंड राशि 827 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। एयरलाइन ने 15 दिसंबर तक के रद्दीकरणों के लिए शेष रिफंड प्रक्रिया को तेज कर दिया है, और यात्रियों को बदलाव या रद्दीकरण पर कोई शुल्क नहीं लगाया जा रहा।

इस बाधा का मुख्य कारण फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) नियमों का दूसरा चरण था, जो 1 नवंबर 2025 से लागू हुआ। इन नियमों ने पायलटों के साप्ताहिक आराम को बढ़ाया, रात्रि ड्यूटी की परिभाषा विस्तारित की और रात्रि लैंडिंग को छह से घटाकर दो कर दिया, जिससे क्रू की उपलब्धता प्रभावित हुई। IndiGo, जो घरेलू बाजार में 60 से 70 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है और 400 से अधिक विमानों का बेड़ा संचालित करती है, ने इन नियमों के अनुपालन के लिए पर्याप्त पायलट भर्ती नहीं की। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने विंटर शेड्यूल को मंजूरी देते समय पायलट उपलब्धता की जांच नहीं की। 5 दिसंबर को ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 8.5 प्रतिशत तक गिर गई, जो पहले 80 प्रतिशत से अधिक थी। एयरलाइन ने डीजीसीए को बताया कि पूर्ण स्थिरीकरण 10 फरवरी 2026 तक संभव है, और रात्रि ड्यूटी नियमों में छूट की मांग की। सरकार ने तत्काल हस्तक्षेप किया, जिसमें 5 दिसंबर को एफडीटीएल के कुछ प्रावधानों से अस्थायी छूट दी गई। सिविल एविएशन मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि यह एयरलाइन का आंतरिक संकट था, जो क्रू रॉस्टरिंग और योजना की कमी से उपजा। डीजीसीए ने शो-कॉज नोटिस जारी किया, जिसका जवाब 8 दिसंबर शाम तक मांगा गया, और सीईओ पीटर एल्बर्स तथा सीओओ इसिड्रो पोरकेरास को 10 दिसंबर को बुलाया। एक चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई, जो 15 दिनों में रिपोर्ट देगी। मंत्रालय ने 10 प्रमुख हवाई अड्डों—दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, पुणे, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम—पर जमीनी जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारी भेजे। एक संकट प्रबंधन समूह दैनिक बैठकें कर रहा है, और सभी एयरलाइंस के साथ व्यापक समीक्षा निर्धारित है। एयरलाइन को दो दिनों में पूर्ण संचालन बहाल करने, 48 घंटों में बैग लौटाने और समयबद्ध रिफंड सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया।

यात्रियों को हुई असुविधा शादी-ब्याह के मौसम में अधिक गंभीर रही। 1 से 8 दिसंबर तक 7,30,655 रद्द पीएनआर के लिए 745 करोड़ रुपये के रिफंड जारी किए गए, जो बाद में 827 करोड़ तक पहुंच गए। 9,000 विलंबित बैगों में से 4,500 लौटा दिए गए, शेष 36 घंटों में वितरित करने का लक्ष्य है। रद्दीकरण और पुनर्निर्धारण पर शुल्क माफ किया गया, और 15 दिसंबर तक बुकिंग्स के लिए पूर्ण छूट दी गई। सरकार ने घरेलू किरायों पर 18,000 रुपये की सीमा लगाई, क्योंकि प्रतिद्वंद्वी एयरलाइंस के टिकट दस गुना बढ़ गए थे। एयर इंडिया ने घरेलू रूटों पर वाइडबॉडी विमान तैनात किए, जबकि स्पाइसजेट और अकासा एयर को क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया। रेल मंत्रालय ने 37 प्रीमियम ट्रेनों में 116 अतिरिक्त कोच जोड़े, क्योंकि मांग बढ़ गई। एयरलाइन ने 1 से 7 दिसंबर के बीच 9,500 होटल कमरे और 10,000 कैब-बस की व्यवस्था की। इस संकट ने IndiGo की बाजार प्रभुत्व पर सवाल उठाए, जो 2,300 दैनिक उड़ानों के साथ 118 मिलियन यात्रियों को सेवा देती है। मूडीज ने चेतावनी दी कि लंबे व्यवधान से वित्तीय दबाव बढ़ेगा, जिससे शेयरों में गिरावट आई—8 दिसंबर को 18 प्रतिशत तक। एयरलाइन ने बोर्ड स्तर पर संकट प्रबंधन समूह गठित किया, और 8 दिसंबर को 1,800 से अधिक उड़ानें संचालित कीं, जो 1,650 से सुधार था। नेटवर्क कनेक्टिविटी 95 प्रतिशत बहाल हो गई, और 90 प्रतिशत ऑन-टाइम परफॉर्मेंस दर्ज की गई। हालांकि, 500 उड़ानें रद्द रहीं, जिनमें बेंगलुरु में 121, चेन्नई में 81, हैदराबाद में 58 शामिल थीं। डीजीसीए ने दो सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट और 30 दिनों का रोडमैप मांगा, जिसमें भर्ती, प्रशिक्षण और रॉस्टरिंग योजना शामिल हो।

विंटर शेड्यूल में कटौती का निर्णय एयरलाइंस के बीच संतुलन बनाने के लिए लिया गया, क्योंकि IndiGo और एयर इंडिया मिलकर 92 प्रतिशत बाजार नियंत्रित करते हैं। लगभग 110 दैनिक स्लॉट प्रतिद्वंद्वियों को सौंपे जा सकते हैं, जो क्रू शक्ति पर आधारित होगा। यदि संचालन स्थिर नहीं हुआ, तो अतिरिक्त 5 प्रतिशत कटौती संभव है। डीजीसीए ने स्लॉट सस्पेंशन या जुर्माने की संभावना जताई, और उल्लंघन पर लाइसेंस निलंबन या दो वर्ष तक कारावास का प्रावधान है। यह संकट भारतीय विमानन क्षेत्र की कमजोरियों को उजागर करता है, जहां एक प्रमुख एयरलाइन का व्यवधान पूरे नेटवर्क को प्रभावित करता है। एयरलाइन ने 7 दिसंबर को 1,650 उड़ानें संचालित कीं, जो 1,500 से बेहतर थी, लेकिन पूर्ण सामान्यता 10-15 दिसंबर के बीच अपेक्षित है। 6 दिसंबर को 650 रद्दियां हुईं, लेकिन पूर्व सूचना दी गई। हवाई अड्डों ने अतिरिक्त स्टाफ तैनात किया, और यात्रियों को फ्लाइट स्टेटस जांचने की सलाह दी।

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