यूपी 2027 चुनाव का 'असली दंगल' बाकी: अखिलेश यादव ने लखनऊ में कार्यकर्ताओं को जगाया, कुश्ती की तैयारी का संदेश दिया।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने की मुहिम
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरने की मुहिम तेज कर दी है। शुक्रवार 21 नवंबर 2025 को लखनऊ में एक दंगल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि असली दंगल अभी बाकी है। 2027 का दंगल होने जा रहा है। उसमें जो कुश्ती होगी उसके लिए हम लोगों को तैयार रहना पड़ेगा हर तरीके से। यह बयान दंगल के अखाड़े से निकला, जहां अखिलेश ने बचपन की यादें साझा कीं और राजनीतिक रणनीति को कुश्ती से जोड़ा। कार्यक्रम में सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद थे, जो अखिलेश के शब्दों पर तालियां बजा रहे थे। यह आयोजन समाजवादी पार्टी की युवा शाखा द्वारा आयोजित था, जहां पारंपरिक दंगल के माध्यम से पार्टी की विचारधारा को जोड़ा गया। अखिलेश का यह संदेश न केवल पार्टी के अंदर उत्साह जगाने वाला है, बल्कि विपक्षी दलों पर भी निशाना साधता है। उन्होंने कहा कि सही समय पर सही दांव लगाने वाला ही जीतता है, जो भाजपा की नकारात्मक राजनीति के खिलाफ एक चेतावनी है।
अखिलेश यादव का यह बयान उनके पिता और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की विरासत से जुड़ा हुआ है। मुलायम सिंह को 'नेताजी' के नाम से जाना जाता है, जिनका राजनीतिक सफर कुश्ती के अखाड़े से ही शुरू हुआ था। अखिलेश ने कहा कि हमारा बचपन दंगल देखते बीता है। दंगल की सीख हमें नेताजी से विरासत में मिली है। दंगल में शरीर और दिमाग दोनों का मेल होता है। सही समय पर सही दांव वाला ही जीतता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जरूरी नहीं कि वो जीते जो सबसे बड़ा या सबसे ज्यादा ताकतवर है। दरअसल सही समय पर सही स्ट्रेटेजी ही जीतती है। दंगल में जो सचेत और सतर्क होता है, वो दूसरे के दांव की तोड़ निकाल लेता है। कुश्ती चुस्ती और तंदुरुस्ती का जबरदस्त मेल होती है। यह शब्दों के जरिए अखिलेश ने 2022 के विधानसभा चुनावों की हार को भुलाकर भविष्य की तैयारी पर फोकस किया। 2022 में भाजपा ने 255 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था, जबकि सपा को 111 सीटें मिली थीं। अब अखिलेश 2027 को पलटवार का मौका मान रहे हैं।
कार्यक्रम लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुआ, जहां दंगल के पहलवान कुश्ती लड़ रहे थे। अखिलेश ने मंच से उतरकर पहलवानों से बात की और उन्हें प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि राजनीति भी एक दंगल है, जहां शारीरिक ताकत से ज्यादा बौद्धिक चातुर्य की जरूरत है। सपा के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि यह आयोजन पार्टी की युवा ब्रिगेड के तहत था, जिसमें पूर्वांचल, बुंदेलखंड और अवध के कार्यकर्ता शामिल हुए। अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे गांव-गांव जाकर लोगों की समस्याएं सुनें। उन्होंने कहा कि भाजपा की संकीर्ण सियासत चौड़ीकरण की आड़ में चल रही है। चौड़ीकरण भाजपा की संकीर्ण सियासत की साजिश है। ये एक विरोधाभास है क्योंकि संकरी सोच वाले चौड़ा करने की बात कर रहे हैं। भाजपावाले दूसरों को दुख देना अपनी ताकत का इजार मानते हैं। जीत तो सिकंदर को भी अमर नहीं कर सकी। यह बयान हाल ही में यूपी में सड़क चौड़ीकरण के नाम पर दुकानों को उजाड़े जाने के मुद्दे पर था, जहां सपा ने विरोध प्रदर्शन किए थे।
2027 के चुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए निर्णायक होंगे। 80 लोकसभा सीटों वाला यह राज्य राष्ट्रीय परिदृश्य को प्रभावित करता है। 2024 के लोकसभा चुनावों में सपा ने इंडिया गठबंधन के हिस्से के रूप में 37 सीटें जीतीं, जो उनकी मजबूत वापसी दिखाती है। अखिलेश ने कहा कि हमारी ताकत जनता में है। हमें संगठन को मजबूत करना होगा। पार्टी ने हाल ही में प्रदेश स्तर पर 100 से ज्यादा रैलियां आयोजित की हैं, जहां मतदाता सूची संशोधन (SIR) के खिलाफ आवाज उठाई गई। अखिलेश ने कहा कि सभी विपक्षी दलों का सामूहिक प्रयास मतदाता सूची को ठीक करने का है। बिहार में आरजेडी जैसी लोकप्रिय पार्टी उन सीटों पर हार गई जहां सबसे ज्यादा वोट डिलीट हुए। यूपी में शादियों के समय SIR चल रहा है। हमें कोई आपत्ति नहीं, लेकिन समय सीमा बढ़ानी चाहिए। यह बयान बिहार विधानसभा चुनावों की हार से सबक लेते हुए था, जहां गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर विवाद हुआ।
सपा की रणनीति अब संगठन विस्तार पर केंद्रित है। अखिलेश ने युवाओं को जोड़ने के लिए डिजिटल कैंपेन शुरू किए हैं। सोशल मीडिया पर #PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) का नारा जोर पकड़ रहा है। पार्टी ने 2027 के लिए 403 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में अखिलेश की छवि विकास पुरुष की है, जो लैपटॉप वितरण और किसान योजनाओं से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि भाजपा दालमंडी वालों को दाल की तरह दले नहीं। आप मुआवजे में दूसरी जगह दुकान तो दे सकते हैं लेकिन ग्राहक नहीं। एक दुकान जमाने में जमाने लगते हैं लेकिन उजाड़ने में कुछ पल भी नहीं। कुदरत का इंसाफ एक दिन भाजपा की नकारात्मक राजनीति को भी ढहा देगा। किसी की जीविका छीनने का अधिकार भाजपा को नहीं है। यह शब्द व्यापारियों और छोटे दुकानदारों के बीच सपा के समर्थन को मजबूत करेंगे।
विपक्षी दलों के साथ गठबंधन पर अखिलेश स्पष्ट हैं। बिहार की हार के बाद कांग्रेस को यूपी में कम सीटें देने की चर्चा है। सपा नेता राम गोविंद चौधरी ने कहा कि हम 350 सीटों पर लड़ेंगे। गलतियां दोहराई नहीं जाएंगी। राहुल गांधी को 2023 से कम सीटें मिलेंगी। अखिलेश ने कहा कि राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय पार्टी होने का दावा करने वाले SIR पर चुप हैं। केवल सपा की टीम गली-मुहल्ले, गांव, गिरोह, खेत-खलिहान तक जाएगी। ये लोग फ्री फंड में बस 2027 आने पर हैदराबाद से या दिल्ली फार्म हाउस से निकलेंगे और सपा का पैर खींचेंगे। अभी किसी को कुछ नहीं दिखाई दे रहा, बस 150 सीटें चाहिए भाजपा की मदद के लिए। यह तंज कांग्रेस और अन्य दलों पर था। सपा ने अकेले लड़ने की तैयारी भी की है, लेकिन गठबंधन की संभावना बरकरार है।
लखनऊ कार्यक्रम के बाद अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से एक-एक बूथ मजबूत करने को कहा। उन्होंने कहा कि दंगल से सबक लो कि सतर्क रहना जरूरी है। भाजपा की साजिशों का जवाब स्ट्रेटेजी से दो। पार्टी ने युवा सांसदों को जिम्मेदारी सौंपी है। अखिलेश का बेटा तेज प्रताप यादव भी सक्रिय हैं। सपा की रैली कलकत्ता में हुई, जहां 50 हजार लोग जुटे। अखिलेश ने कहा कि 2027 में हमारी सरकार बनेगी। विकास, रोजगार और समानता का एजेंडा होगा। भाजपा पर भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यूपी में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है। युवा निराश हैं। सपा सत्ता में आई तो 10 लाख नौकरियां देगी।
यह बयान सपा के लिए मील का पत्थर है। 2024 लोकसभा जीत ने पार्टी को मजबूती दी। अखिलेश की लोकप्रियता बढ़ी है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है। कार्यकर्ता कहते हैं कि अखिलेश का नेतृत्व अजेय है। भाजपा ने पलटवार किया, कहा कि सपा सपनों में जी रही है। लेकिन ग्राउंड पर सपा मजबूत हो रही है। 2027 चुनाव महंगाई, बेरोजगारी और किसान मुद्दों पर लड़े जाएंगे। अखिलेश ने कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने को कहा। उन्होंने कहा कि दंगल में हार-जीत लगी रहती है, लेकिन तैयारी से जीत मिलती है। यह संदेश पूरे यूपी में फैल गया। सपा की सदस्यता अभियान तेज हुआ। युवा और महिलाएं जुड़ रही हैं।
अखिलेश यादव का राजनीतिक सफर चुनौतियों से भरा है। 2012 में मुख्यमंत्री बने, लेकिन 2017 में हार गए। 2022 में वापसी की। अब 2027 को लक्ष्य बनाया। उन्होंने कहा कि नेताजी की तरह हम कुश्ती लड़ेंगे। दंगल का मैदान राजनीति का अखाड़ा है। सपा नेता नरेंद्र वर्मा ने कहा कि अखिलेश का विजन साफ है। हम जनता के मुद्दों पर लड़ेंगे। कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, जहां लोकगीत गाए गए। अखिलेश ने पहलवानों को सम्मानित किया। यह आयोजन पार्टी की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव दिखाता है। यूपी की राजनीति में दंगल का प्रतीक हमेशा रहा। मुलायम सिंह कुश्ती के चैंपियन थे। अखिलेश उनकी विरासत निभा रहे हैं।
2027 चुनावों में सपा का लक्ष्य 200 से ज्यादा सीटें हैं। संगठन में सुधार हो रहा है। अखिलेश ने डिजिटल ट्रेनिंग शुरू की। कार्यकर्ताओं को ऐप के जरिए जोड़ा जा रहा। विपक्ष पर एकजुटता की अपील की। कहा कि बिहार जैसी गलती न दोहराएं। SIR में वोट डिलीट न होने दें। सपा ने हेल्पलाइन लॉन्च की। लोग शिकायत दर्ज करा रहे। अखिलेश का बयान विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास है। कांग्रेस पर मोलभाव बंद करने को कहा। कहा कि हम मजबूत हैं, गठबंधन जरूरी नहीं। लेकिन संभावना बनी रहेगी। सपा की रणनीति ग्रामीण इलाकों पर है। किसान, मजदूर और युवा लक्ष्य हैं।
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