महाकुम्भ (Maha Kumbh) में आकर्षण का केंद्र बना है अरैल घाट पर स्थित जल कलश

नमामि गंगे मिशन के पूर्व महानिदेशक जी अशोक कुमार के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों के सहयोग से जल कलश पहल को शुरू किया गया है। जल कलश पहल 1 फरवरी से 20 फरवरी, 20...

Feb 14, 2025 - 22:06
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महाकुम्भ (Maha Kumbh) में आकर्षण का केंद्र बना है अरैल घाट पर स्थित जल कलश

सार-

  • जल कलश के माध्यम से हरित महाकुम्भ (Maha Kumbh) में सहयोग, 20 हजार से अधिक प्लास्टिक की बोतलें जुटाईं
  • उपयोग की गई प्लास्टिक की बोतलों को कलेक्ट कर जल कलश में किया जा रहा एकत्र
  • नदी को प्लास्टिक के बोतलों के दुष्प्रभाव से बचाने के लिए अनूठी पहल

By INA News Maha Kumbh Nagar.

महाकुम्भ (Maha Kumbh) के आयोजन में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता को लेकर कई अनूठे प्रयोग किए गए हैं। इसी कड़ी में जल कलश पहल महाकुम्भ (Maha Kumbh) में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, जिसकी स्थापना अरैल घाट सेक्टर 24 निषाद राज मार्ग में की गई है। जल कलश में कुम्भ क्षेत्र में प्रयोग की गई पानी की बोतलों को इकठ्ठा किया गया है और इन बोतलों को रिसाइकिल करके उपयोग में लाया जायेगा, जिससे प्रकृति में इन प्लास्टिक की बोतलों का दुष्प्रभाव न पड़ सके।अभियान के दौरान 20,000 से अधिक प्लास्टिक की बोतलें एकत्र की गई हैं।

नमामि गंगे मिशन के पूर्व महानिदेशक जी अशोक कुमार के नेतृत्व में विभिन्न संगठनों के सहयोग से जल कलश पहल को शुरू किया गया है। जल कलश पहल 1 फरवरी से 20 फरवरी, 2025 तक एचसीएल फाउंडेशन के सहयोग से डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स द्वारा आयोजित 20-दिवसीय अभियान है। स्थानीय स्तर पर आदर्श सेवा समिति व मंगल भूमि फाउंडेशन इस पहल में सहयोग कर रही हैं।जी अशोक कुमार कहते हैं कि महाकुम्भ (Maha Kumbh) को हरित महाकुम्भ (Maha Kumbh) बनाने की दृष्टि से कुंभ क्षेत्र में उपयोग की गई प्लास्टिक की बोतलों को कलेक्ट करके हमने छोटा सा प्रयास हरित कुम्भ की ओर किया है। इस कुंभ क्षेत्र में जल कलश की  स्थापना कर यह संदेश दिया गया है कि मां गंगा की अविरलता और निर्मलता में यह प्लास्टिक बाधा  है। इन प्लास्टिक की बोतलों को एक कलश में रखकर यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि प्लास्टिक को गंगा और गंगा के क्षेत्र में नहीं जाने देना है, जिससे हमारी गंगा अविरल और निर्मल रहे। 

पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ता रामबाबू तिवारी बताते हैं कि मां गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए समाज को अलग-अलग तरीके से प्रयास करने होंगे। जिस प्रकार से इस बार कुम्भ में एक थाली एक थैला अभियान के माध्यम से गंगा में प्रदूषण होने से बचाया गया, इस प्रकार से जल कलश के माध्यम से भी गंगा को प्रदूषण होने से रोका गया है। अलग-अलग प्रकार की संस्थाएं अलग-अलग तरीके से अपनी हरित कुम्भ की ओर अग्रसर हैं, उसमें डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स और एचसीएल फाउंडेशन द्वारा किया गया यह पहल बहुत ही सराहनीय है। जल कलश पहल में प्रमुख रूप से मीरा देवी, अरुण कुमार, राज, ऋषिका, यशी, सतीश समेत बहुत सारे स्वयं सेवक हिस्सा ले रहे हैं।

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