Special: आसनसोल के सुशांत रॉय मोम म्यूजियम में सुनीता विलियम्स की मोम प्रतिमा का अनावरण, मलय घटक ने की शिरकत।
पश्चिम बंगाल के आसनसोल शहर की महिषीला कॉलोनी में स्थित 'सुशांत रॉय मोम म्यूजियम' ने रविवार को एक और उपलब्धि अपने नाम ...

आसनसोल: पश्चिम बंगाल के आसनसोल शहर की महिषीला कॉलोनी में स्थित 'सुशांत रॉय मोम म्यूजियम' ने रविवार को एक और उपलब्धि अपने नाम की, जब भारतीय मूल की विश्व प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की मोम की प्रतिमा का अनावरण किया गया। इस समारोह में पश्चिम बर्दवान के जिला मजिस्ट्रेट एस. पन्नबलम और पश्चिम बंगाल के कानून व श्रम मंत्री मलय घटक ने हिस्सा लिया। म्यूजियम के मालिक और मूर्तिकार सुकांत रॉय ने इस प्रतिमा को लंदन के मैडम तुसाद म्यूजियम की तर्ज पर बनाया है। यह म्यूजियम पहले से ही अमिताभ बच्चन, ममता बनर्जी, और विराट कोहली जैसे दिग्गजों की मोम की प्रतिमाओं के लिए जाना जाता है। सुनीता विलियम्स की प्रतिमा स्थापना के साथ यह म्यूजियम और अधिक आकर्षण का केंद्र बन गया है, जो स्थानीय और पर्यटकों के लिए निःशुल्क खुला रहेगा।
- अनावरण समारोह का विवरण
रविवार की सुबह, महिषीला कॉलोनी में सुशांत रॉय मोम म्यूजियम में आयोजित एक भव्य समारोह में सुनीता विलियम्स की मोम की प्रतिमा का अनावरण किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पश्चिम बर्दवान के जिला मजिस्ट्रेट एस. पन्नबलम और पश्चिम बंगाल सरकार के कानून, श्रम, और न्यायिक सेवा मंत्री मलय घटक उपस्थित थे। सुकांत रॉय ने मेहमानों का स्वागत किया और प्रतिमा निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। समारोह में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता, और म्यूजियम के कर्मचारी भी मौजूद थे।
मलय घटक ने अपने संबोधन में कहा कि सुनीता विलियम्स जैसे व्यक्तित्व न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने सुकांत रॉय की कला की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह म्यूजियम आसनसोल की सांस्कृतिक और पर्यटन क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जिला मजिस्ट्रेट पन्नबलम ने भी इस पहल की सराहना की और इसे स्थानीय कला और शिल्प को बढ़ावा देने का एक अनूठा प्रयास बताया। अनावरण के बाद, अतिथियों ने म्यूजियम का दौरा किया और अन्य प्रतिमाओं को भी देखा।
- सुशांत रॉय मोम म्यूजियम
सुशांत रॉय मोम म्यूजियम, जिसका नाम इसके संस्थापक और मूर्तिकार सुकांत रॉय के नाम पर रखा गया है, आसनसोल के महिषीला कॉलोनी में उनके निजी आवास पर स्थित है। सुकांत ने लंदन के विश्व प्रसिद्ध मैडम तुसाद म्यूजियम से प्रेरणा लेकर इस म्यूजियम की स्थापना की। 2016 में शुरू हुए इस म्यूजियम में विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों की मोम की प्रतिमाएं प्रदर्शित की गई हैं। इनमें बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन, क्रिकेटर विराट कोहली और सचिन तेंदुलकर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, और साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर शामिल हैं। म्यूजियम का उद्देश्य कला के माध्यम से प्रेरणादायक व्यक्तित्वों को सम्मान देना और स्थानीय लोगों को विश्व स्तरीय कला अनुभव प्रदान करना है।
सुकांत रॉय ने बताया कि प्रत्येक प्रतिमा को बनाने में लगभग छह महीने से एक साल का समय लगता है। मोम की प्रतिमाएं बनाने की प्रक्रिया में उच्च गुणवत्ता वाले मोम, सिलिकॉन, और रेशों का उपयोग किया जाता है, और प्रत्येक प्रतिमा को जीवंत बनाने के लिए बारीक डिजाइनिंग और रंगाई की जाती है। सुनीता विलियम्स की प्रतिमा को बनाने में करीब आठ महीने लगे, और इसके लिए सुकांत ने उनकी तस्वीरों और वीडियो का गहन अध्ययन किया ताकि उनकी मुद्रा और चेहरे के हाव-भाव को सटीक रूप से दर्शाया जा सके।
- सुनीता विलियम्स की प्रतिमा
सुनीता विलियम्स की मोम की प्रतिमा को उनके अंतरिक्ष यात्री के परिधान में बनाया गया है, जिसमें वह नासा के स्पेससूट में हैं और उनके हाथ में एक छोटा भारतीय झंडा है। यह प्रतिमा उनकी हाल की उपलब्धि को दर्शाती है, जिसमें वह नौ महीने तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर रहीं और बुधवार को स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के माध्यम से पृथ्वी पर लौटीं। प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 5.7 फीट है, जो सुनीता की वास्तविक ऊंचाई के बराबर है। उनके चेहरे की बनावट, मुस्कान, और अंतरिक्ष यात्री के हेलमेट को बारीकी से तैयार किया गया है ताकि यह जीवंत और प्रामाणिक लगे।
सुकांत रॉय ने बताया कि सुनीता विलियम्स को इस सम्मान के लिए चुनने का कारण उनकी प्रेरणादायक कहानी और भारतीय मूल की वैश्विक उपलब्धियां हैं। सुनीता, जिनका जन्म ओहियो, अमेरिका में हुआ, गुजरात के अहमदाबाद के फागवेल गांव से अपने पिता दीपक पंड्या के माध्यम से भारतीय संस्कृति से जुड़ी हैं। उनकी उपलब्धियां, जैसे 2006 और 2012 में लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशन और हाल का नौ महीने का आईएसएस मिशन, उन्हें एक वैश्विक आइकन बनाती हैं। सुकांत ने कहा, “सुनीता विलियम्स की प्रतिमा बनाना मेरे लिए गर्व की बात है। यह युवाओं को विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति प्रेरित करेगी।”
- सुनीता विलियम्स की उपलब्धियां
सुनीता विलियम्स, भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री, नासा की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं। उन्होंने 2006 में अपने पहले मिशन में 195 दिन अंतरिक्ष में बिताए और चार स्पेसवॉक किए। 2012 में उनके दूसरे मिशन में उन्होंने 127 दिन आईएसएस पर बिताए और तीन अतिरिक्त स्पेसवॉक किए। हाल ही में, वह जून 2024 से मार्च 2025 तक आईएसएस पर थीं, लेकिन उनके बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान में तकनीकी खराबी के कारण उनकी वापसी में देरी हुई। अंततः, स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल ने उन्हें और उनके सहयोगी बुच विल्मोर को बुधवार को फ्लोरिडा के तट पर सुरक्षित उतारा।
सुनीता ने अंतरिक्ष में कुल 50 घंटे 40 मिनट स्पेसवॉक में बिताए हैं, जो किसी महिला अंतरिक्ष यात्री के लिए रिकॉर्ड है। वह अपने साथ अंतरिक्ष में भगवद गीता और समोसे ले गई थीं, जो उनकी भारतीय संस्कृति से गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। उनकी उपलब्धियों ने भारत और विश्व भर में लाखों लोगों को प्रेरित किया है।
- म्यूजियम की विशेषताएं
सुशांत रॉय मोम म्यूजियम 2016 में शुरू हुआ था और तब से यह स्थानीय और बाहरी पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बन गया है। म्यूजियम में प्रवेश निःशुल्क है, और आगंतुक प्रतिमाओं के साथ तस्वीरें खींच सकते हैं। सुकांत ने बताया कि म्यूजियम का रखरखाव उनके निजी खर्चों से होता है, और इसका उद्देश्य व्यावसायिक लाभ नहीं, बल्कि कला और प्रेरणा को बढ़ावा देना है। म्यूजियम में प्रत्येक प्रतिमा के साथ एक छोटा विवरण पट्टिका लगाई गई है, जिसमें संबंधित हस्ती की उपलब्धियों का उल्लेख होता है।
म्यूजियम में सुनीता विलियम्स की प्रतिमा को एक विशेष खंड में रखा गया है, जहां अंतरिक्ष अन्वेषण थीम पर आधारित सजावट की गई है। इस खंड में अंतरिक्ष यान और आईएसएस के छोटे मॉडल भी प्रदर्शित किए गए हैं ताकि आगंतुकों को अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव मिल सके। म्यूजियम सप्ताह में छह दिन (सोमवार से शनिवार) सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है।
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पश्चिम बंगाल के कानून और श्रम मंत्री मलय घटक, जो आसनसोल दक्षिण से विधायक भी हैं, ने इस अवसर पर म्यूजियम की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह म्यूजियम न केवल स्थानीय कला को बढ़ावा देता है, बल्कि आसनसोल को पर्यटन मानचित्र पर लाने में भी मदद करता है। जिला मजिस्ट्रेट एस. पन्नबलम ने स्थानीय प्रशासन की ओर से सुकांत रॉय को बधाई दी और भविष्य में और अधिक प्रतिमाएं जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
सुकांत रॉय, जो एक स्व-शिक्षित मूर्तिकार हैं, ने मोम की प्रतिमाएं बनाने की कला को अपने दम पर सीखा। उन्होंने बताया कि वह मैडम तुसाद म्यूजियम की तकनीकों का अध्ययन करने के लिए लंदन गए थे। उनकी प्रतिमाएं इतनी जीवंत हैं कि कई बार आगंतुक इन्हें वास्तविक व्यक्ति समझ लेते हैं। सुनीता विलियम्स की प्रतिमा को बनाने में उन्होंने उनकी तस्वीरों, वीडियो, और नासा की वेबसाइट से जानकारी एकत्र की। सुकांत ने कहा कि वह भविष्य में इसरो के वैज्ञानिकों और अन्य भारतीय हस्तियों की प्रतिमाएं बनाना चाहते हैं।
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