वडोदरा (Vadodara): 40 साल पुराने गंभीरा पुल (Gambhira Bridge) ढहने से 13 की मौत, दो साल के बच्चे की भी मौत।
Vadodara Bridge Accident: गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार सुबह महिसागर नदी पर बना 40 साल पुराना गंभीरा पुल अचानक ढह गया, जिसके कारण 13 लोगों की....
Vadodara Bridge Accident: गुजरात के वडोदरा (Vadodara) जिले में बुधवार सुबह महिसागर नदी पर बना 40 साल पुराना गंभीरा पुल (Gambhira Bridge) अचानक ढह गया, जिसके कारण 13 लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। इस हादसे में दो ट्रक, एक पिकअप वाहन, एक बोलेरो जीप और एक ऑटोरिक्शा सहित कई वाहन नदी में गिर गए। यह पुल वडोदरा (Vadodara) और आणंद जिलों को जोड़ता था और मध्य गुजरात से सौराष्ट्र क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण मार्ग था।
हादसा सुबह करीब 7:30 बजे हुआ, जब पुल का 10-15 मीटर का एक स्लैब अचानक टूट गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुल पर उस समय कई वाहन गुजर रहे थे। स्थानीय निवासी अनवर शाह, जो एक पिकअप वाहन चला रहे थे, ने बताया कि अचानक पुल हिलने लगा और देखते ही देखते उनका वाहन नदी में जा गिरा। उन्होंने किसी तरह अपनी जान बचाई। हादसे में मुजपुर गांव के तीन लोगों और आंकलाव के चार लोगों सहित एक दो साल के बच्चे की भी मौत हुई।
हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, दमकल विभाग, और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीमें मौके पर पहुंचीं। स्थानीय तैराकों और गोताखोरों की मदद से बचाव कार्य शुरू हुआ। अब तक नौ लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें से पांच को वडोदरा (Vadodara) के सर सैयाजीराव जनरल (एसएसजी) अस्पताल में भर्ती किया गया। वडोदरा (Vadodara) के कलेक्टर अनिल धमेलिया ने बताया कि नदी में अभी भी एक ट्रक और एक पिकअप वाहन फंसे हैं, जिन्हें निकालने के प्रयास जारी हैं। घायलों की हालत स्थिर है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे पर दुख जताया और जांच के आदेश दिए। उन्होंने सड़क एवं भवन विभाग के विशेषज्ञों, मुख्य अभियंता, और दो निजी इंजीनियरों की एक समिति गठित की है, जो हादसे के कारणों की जांच करेगी। गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही जांच रिपोर्ट मांगी गई है।
यह हादसा प्रशासन की लापरवाही और जर्जर बुनियादी ढांचे की ओर इशारा करता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि गंभीरा पुल (Gambhira Bridge) लंबे समय से खराब हालत में था और वाहनों के गुजरने पर खतरनाक ढंग से हिलता था। कई बार प्रशासन को इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विपक्षी नेता अमित चावड़ा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह हादसा सरकारी उदासीनता का परिणाम है। कांग्रेस ने भी इस घटना को "गुजरात मॉडल" में भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया।
बताया जा रहा है कि यह पुल 1985 में बनाया गया था और पिछले साल इसकी मरम्मत भी की गई थी। इसके बावजूद, इसकी जर्जर हालत को नजरअंदाज किया गया। हाल ही में सरकार ने 212 करोड़ रुपये की लागत से नया पुल बनाने की मंजूरी दी थी, लेकिन पुराने पुल को यातायात के लिए खुला रखा गया। 2022 में मोरबी पुल हादसे के बाद, जिसमें 135 लोगों की मौत हुई थी, सरकार ने सभी पुलों की जांच का दावा किया था। इसके बावजूद, गंभीरा पुल (Gambhira Bridge) की स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया और मृतकों के परिजनों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दो-दो लाख रुपये और घायलों के लिए 50,000 रुपये की सहायता राशि की घोषणा की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि एनडीआरएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं।
पुल के ढहने से वडोदरा (Vadodara) और आणंद के बीच यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। पुलिस ने वैकल्पिक मार्गों पर यातायात डायवर्ट किया है, जिसके कारण लोगों को 40 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ रहा है। इस हादसे ने क्षेत्र की यातायात व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है।
यह हादसा एक बार फिर सरकारी तंत्र की खामियों को उजागर करता है। सवाल उठ रहे हैं कि अगर मोरबी हादसे के बाद पुलों की जांच की बात कही गई थी, तो गंभीरा पुल (Gambhira Bridge) की स्थिति क्यों नहीं सुधारी गई? जर्जर पुल को यातायात के लिए खुला क्यों रखा गया? स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई की जाती, तो यह त्रासदी टाली जा सकती थी।
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