Yamuma's Illegal Mining: किसानों के अन्न क्षेत्र को लील रहा है अवैध खनन, लगाम लगाने को टास्क फोर्स नियमित रूप से का रही है निगरानी

गाजियाबाद प्रशासन ने बताया कि पचायरा में दो रेत खनन क्षेत्र स्थापित हैं, जिनमें से एक, पचायरा खंड-2, 12 नवंबर 2021 से संचालित है। इस खनन क्षेत्र को सिंचाई विभाग, वन विभाग और प्रदूष

Jul 9, 2025 - 21:39
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Yamuma's Illegal Mining: किसानों के अन्न क्षेत्र को लील रहा है अवैध खनन, लगाम लगाने को टास्क फोर्स नियमित रूप से का रही है निगरानी
प्रतीकात्मक चित्र

दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सीमा पर यमुना नदी (Yamuna River) में अवैध रेत खनन की समस्या ने पर्यावरण और स्थानीय समुदायों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। गाजियाबाद जिले के ग्राम पचायरा, इब्राहिमपुर और हिरनकी में इस गतिविधि के खिलाफ स्थानीय लोगों ने कई बार शिकायत की है। इन शिकायतों के आधार पर प्रशासन ने जांच की, लेकिन समस्या का पूरी तरह समाधान नहीं हो सका है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच समन्वय की कमी और अवैध खनन (Illegal Mining) पर प्रभावी कार्रवाई न होने से यह मुद्दा और जटिल हो गया है।

17 जून 2025 को उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण) नवीन कुमार चौधरी ने इब्राहिमपुर और हिरनकी के ग्रामीणों की शिकायतों का संज्ञान लिया। ग्रामीणों, जिनमें देवेंद्र त्यागी, प्रदीप कुमार त्यागी और दिनेश त्यागी शामिल हैं, ने पचायरा में अवैध रेत खनन, यमुना नदी (Yamuna River) की धारा में बदलाव और कृषि भूमि को नुकसान पहुंचने की शिकायत की थी। इस संबंध में दिल्ली के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधीक्षण अभियंता और मुख्य अभियंता ने 11 और 13 जून 2025 को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर ध्यान देने की बात कही थी।

गाजियाबाद प्रशासन ने बताया कि पचायरा में दो रेत खनन क्षेत्र स्थापित हैं, जिनमें से एक, पचायरा खंड-2, 12 नवंबर 2021 से संचालित है। इस खनन क्षेत्र को सिंचाई विभाग, वन विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिला है। साथ ही, राज्य स्तरीय पर्यावरण समाधान प्राधिकरण, लखनऊ से पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया गया है। गाजियाबाद के खनन विभाग और टास्क फोर्स नियमित रूप से इस क्षेत्र की जांच और औचक निरीक्षण करते हैं।

हालांकि, ग्रामीणों की शिकायतों के आधार पर 24 नवंबर 2024 को उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय की एक टीम ने पचायरा में जांच की। इस जांच में पाया गया कि दिल्ली की ओर कुछ किसानों ने बांस-बल्ली लगाकर यमुना की धारा को अस्थायी रूप से मोड़ा था। साथ ही, कुछ लोग चोरी-छिपे अवैध खनन (Illegal Mining) कर रहे थे। 30 नवंबर 2024 को गाजियाबाद के खनन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और वन विभाग ने संयुक्त निरीक्षण किया, जिसमें कृषि भूमि को कोई नुकसान नहीं पाया गया।

31 मार्च 2025 को गाजियाबाद के अपर जिलाधिकारी और ज्येष्ठ खान अधिकारी ने पचायरा खंड-2 का दौरा किया। इस दौरान आसपास के खेतों में गेहूं की फसल देखी गई और यमुना नदी (Yamuna River) अपने प्राकृतिक रूप में बहती पाई गई। खनन से फसलों या खेती को कोई नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, दिल्ली की ओर से यमुना में बड़े पैमाने पर अवैध खनन (Illegal Mining) की शिकायतें सामने आईं। 11 मार्च 2025 को खान अधिकारी ने पचायरा में निरीक्षण के दौरान दिल्ली की ओर सक्शन पंप, लिफ्टर और नावों के जरिए अवैध रेत खनन देखा। इस संबंध में 20 मार्च 2025 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर कार्रवाई का अनुरोध किया गया।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने भी इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है। 14 फरवरी 2025 को एनजीटी में दायर याचिका (OA No. 1003/2024, अशोक कुमार और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार) के जवाब में गाजियाबाद प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके अलावा, 30 अप्रैल 2025 को एनजीटी ने याचिका (OA No. 1373/2024) में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी को दिल्ली की ओर हो रहे अवैध खनन (Illegal Mining) पर कार्रवाई करने और इसकी जानकारी देने का निर्देश दिया।

गाजियाबाद प्रशासन का कहना है कि अवैध खनन (Illegal Mining) के खिलाफ 'जीरो टॉलरेंस' नीति अपनाई गई है। जिला स्तर पर गठित टास्क फोर्स नियमित रूप से निगरानी करती है और अवैध खनन (Illegal Mining) व परिवहन पर रोक लगाने के लिए कदम उठाती है। इसके बावजूद, स्थानीय लोग और पर्यावरण विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि अवैध खनन (Illegal Mining) के कारण यमुना नदी (Yamuna River) का पारिस्थितिक तंत्र खतरे में है। नदी की धारा में बदलाव, तटबंधों का कमजोर होना और बाढ़ का खतरा बढ़ना इस समस्या के प्रमुख परिणाम हैं।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अवैध खनन (Illegal Mining) से उनकी कृषि भूमि को नुकसान पहुंच रहा है। खनन के कारण नदी के किनारे मिट्टी का कटाव बढ़ा है, जिससे खेतों में जलभराव या सूखे की समस्या हो सकती है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, अनियंत्रित खनन से नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हो रहा है, जिससे जैव विविधता पर भी असर पड़ रहा है। यमुना नदी (Yamuna River) में पहले ही प्रदूषण और अतिक्रमण की समस्या गंभीर है, और अवैध खनन (Illegal Mining) ने इसे और जटिल कर दिया है।

दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच इस मुद्दे पर समन्वय की कमी एक बड़ी चुनौती है। दिल्ली सरकार ने उत्तर प्रदेश प्रशासन से बार-बार संपर्क किया है, लेकिन प्रभावी कार्रवाई का अभाव बना हुआ है। गाजियाबाद प्रशासन ने दिल्ली के अधिकारियों को पत्र लिखकर दिल्ली की ओर हो रहे अवैध खनन (Illegal Mining) पर कार्रवाई की मांग की है। 30 नवंबर और 4 दिसंबर 2024 को लिखे गए पत्रों में दिल्ली के समयपुर बादली के सहायक पुलिस आयुक्त और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जिलाधिकारी से इस दिशा में कदम उठाने को कहा गया। जवाब में, दिल्ली के करावल नगर के कार्यकारी मजिस्ट्रेट ने कार्रवाई शुरू करने की बात कही, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका असर सीमित रहा।

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