कानपुर न्यूज़: कर्बला को नज़र में रखकर करें बच्चों की परवरिश - मारुफ मियां

- पैगामे-ए-शहीदे आज़म की महफिल मे उमड़ा जनसैलाब, लगाएं नारे , प्रोग्राम के बाद लंगर हुआ तक्सीम
रिपोर्ट- इब्ने हसन ज़ैदी
कानपुर। मुस्लिम वैलफेयर एसोसिएशन की तरफ से मोहल्ला तिलक नगर पीरो वाली मस्जिद के बरकाती ग्राउंड में हर साल की तरह इस साल भी मुसलसल 48 साल से होने वाले 10 रोज़ा इजलास पैगाम-ए-शहीदे आज़म का आयोजन किया गया है। जानशीने अमीन ए मिल्लत सैय्यद मुहम्मद अमान मियां कादरी की सदारत वाली कांफ्रेंस का आगाज़ तिलावते कलाम पाक से हाफिज़ फज़ले अज़ीम ने किया। मेहमाने खुसूसी की हैसियत से गंजमुरादाबाद की सरज़मी से तशरीफ लाये खानकाह ए रहमानिया के सज्जादा नशीन मारूफुर्रहमान उर्फ मारुफ मियां मौजूद रहे।
कांफ्रेंस को सज्जदा नशीन खानकाहे रहमानिया, गंजमुरादाबाद मारूफुर्रहमान उर्फ मारुफ मियां ने ख़िताब किया। उन्होंने मकसदे हुसैन और कुर्बानी-ए-हुसैन को विस्तार से समझाया। बताया कि यजीद ने अल्लाह के दीन को अपनी तरह से फैलाने की कोशिश की। इसी कोशिश के तहत नवासा-ए-रसूल पर बैयत के लिए दबाव बनाया लेकिन इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने इन्कार कर दिया। मैदाने कर्बला में जंग की। यजीदी लश्कर के मुकाबले 72 साथियों को लेकर डट गए।
ताकि नाना के दीन को कायम रखा जा सके। नवासा-ए-रसूल ने अपने इस जज्बे से यजीद के अरमानों पर पानी फेर दिया। वह जीतकर भी हार गया। उसके हिस्से रहती दुनिया तक लानत आ गई। उन्होंने कॉन्फ्रेंस में आए लोगों से आह्वान किया कि बच्चों की परवरिश अहले बैत की जिंदगी को सामने रखते हुए करें, ताकि बच्चे बढ़े होकर समाज में बेहतर मुकाम बना सकें।
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इसके पहले मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी ने अल्लाह व उसके प्यारे महबूब रसूल पाक की शान बयान की, और पंजतन पाक व एहलैबैत की इस्लाम के प्रति दी गई कुर्बानियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि औलिया इकराम ने अपनी जिंदगी खुदा के लिए फना कर दी। कॉन्फ्रेंस के अंत में शायर अशरफ बरकाती ने सलातो सलाम पढ़ते हुए कहा कि प्यासे शहीदे क़र्बला, तुमपे करोड़ों दुरुद ओ सलाम।
इसके बाद धर्मगुरु मारुफ मियां ने मुल्क की सलामती के लिए दुआएं की। इस मौके पर सैयद इस्राफील, वासिक बेग बरकाती, अब्दुल वहाब, अब्दुल रज़्ज़ाक़, आकिल बेग, कामिल बेग, आसिफ बेग, मकसूद अहमद, रईस अहमद, रुमान, अर्शी, रफीउद्दीन पंन्नू, अज़हर, तारिक, अनवारुल, इमरान अंसारी, ज़िया, दानिश, अमान, अशरफ, तालिब बेग आदि लोग मौजूद रहे।
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