हिंदू राष्ट से लेकर PoK तक की बात- 7 सालों में गोरखपुर से निकलकर योगी कैसे बन गए एक पॉपुलर 'ब्रांड'।
योगी आदित्यनाथ के ये तीखे तेवर ही हैं जो यूपी से बाहर उन्हें लोकप्रिय....
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े सूबे का मुखिया बनने के बाद योगी आदित्यनाथ के तेवर नरम नहीं पड़े हैं। योगी आदित्यनाथ के ये तीखे तेवर ही हैं जो यूपी से बाहर उन्हें लोकप्रिय बनाते हैं और गुजरात से लेकर महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु और असम-बंगाल तक उनकी चुनावी रैलियों की डिमांड रहती है। 'हिंदू राष्ट्र' की बात करने वाले योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि हिंदू होना कोई गलती नहीं बल्कि एक आशीर्वाद है। हालांकि, हार्डकोर हिंदुत्व वाली छवि के कारण अक्सर वे इस्लामिक कट्टरपंथियों और विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। लेकिन योगी आदित्यनाथ मथुरा-काशी और अयोध्या का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि कैसे विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं ने भारत में हिंदुओं की आस्था के प्रतीकों को नुकसान पहुंचाया और उनके इस्लामीकरण की कोशिश की। अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में योगी न केवल अयोध्या बल्कि, मथुरा और काशी को भी संवारने में जुटे हैं।
योगी आदित्यनाथ ने अपने कार्यकाल की शुरुआत के दिनों से ही सावन महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं पर हेलिकॉप्टर से पुष्पवर्षा कराने का आदेश दिया तो विपक्षी जल-भून उठे। फिर उन्होंने कांवड़ यात्रा वाले रूट पर दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा। दूसरी तरफ, योगी आदित्यनाथ लव जिहाद के मामलों पर काफी सख्त रहे हैं और यही वजह रही है कि योगी सरकार ने 'लव जिहाद' के मामलों पर लगाम कसने के लिए बेहद सख्त कदम उठाया है। यूपी में अब लव जिहाद का अपराध सिद्ध होने पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। इस कानून में कई अपराधों की सजा बढ़ाकर दोगुनी कर दी गई है।
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बांग्लादेश हिंसा को लेकर विपक्ष की चुप्पी पर दागे सवाल
योगी आदित्यनाथ धरती के किसी भी कोने में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार के मामले पर उसका पुरजोर विरोध करने के लिए खड़े हो जाते हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के मुद्दे पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आगरा में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "राष्ट सर्वोपरि है, राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता है. लेकिन यह तभी संभव होगा, जब हम सब एक साथ रहेंगे. हम बटेंगे तो कटेंगे. बांग्लादेश में देख रहे हो न क्या हो रहा है. ऐसी गलती यहां नहीं होनी चाहिए। एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे।" इस पर असदुद्दीन ओवैसी से लेकर अखिलेश यादव तक ने योगी आदित्यनाथ की तीखी आलोचना की। लेकिन बीजेपी को भी शायद पता है कि ये नेता जितनी आलोचना करेंगे, योगी आदित्यनाथ और पार्टी मजबूत होगी। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर उन्होंने विपक्ष को जमकर घेरा है। योगी ने कहा कि विपक्ष को मालूम है कि वे (बांग्लादेशी हिंदू) उनका वोटबैंक नहीं हैं इसलिए उन पर हो रहे अत्याचार, हत्याओं और महिलाओं के साथ हैवानियत की वारदात पर सभी के मुंह सिले हुए हैं।
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'80 फीसदी बनाम 20 फीसदी' वाला बयान
यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऐसा बयान दिया जिस पर विपक्ष भड़क उठा था। तब योगी आदित्यनाथ ने कहा था, "कुछ लोग अभी भी गलतफहमी का शिकार हैं जो यूपी पर अपने आंकड़े थोप रहे हैं. क्योंकि ये चुनाव 80 बनाम 20 का होगा. मसलन 80 फीसदी समर्थक एक तरफ (भाजपा) होंगे. 20 फीसदी समर्थक दूसरी तरफ होंगे."
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अतीक और मुख्तार के आतंक से मिली मुक्ति
यूपी में अपराधियों के खिलाफ 'बाबा का बुलडोजर' जमकर चला है. चाहें अपराधियों के अवैध निर्माण हो या फिर प्रदेश की शांति-व्यवस्था को भंग करने की कोशिश करने वाले हों, योगी का बुलडोजर खूब चला और इस पर विपक्ष ने सवाल भी उठाए। माफिया अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के अवैध निर्माण पर भी बुलडोजर चला। लंबे समय तक यूपी में अतीक और मुख्तार का आतंक रहा लेकिन योगी राज में यूपी पुलिस ने चुन-चुनकर इनके गुर्गों के खिलाफ कार्रवाई की है और प्रदेश को माफियाओं के आतंक से मुक्त कराने का काम किया है।
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पिछले साल, उमेश पाल हत्याकांड में वांटेड अतीक अहमद के बेटे असद का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया था. इस हत्याकांड के मामले को लेकर सपा ने विधानसभा में जमकर हंगामा किया था। तब योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश पर उंगली उठाते हुए कहा था, "क्या यह सच नहीं है कि अतीक अहमद, जिस पर पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है, सपा द्वारा पोषित माफिया का हिस्सा है, और हमने केवल उसकी कमर तोड़ने का काम किया है। मैं आज इस सदन से कह रहा हूं, मैं इस माफिया को मिट्टी में मिला दूंगा."
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कानून-व्यवस्था हुई बेहतर
योगी आदित्यनाथ की सख्ती का असर ही है कि आए दिन दंगों की आग में झुलस रहे यूपी में कोई हिंसा भड़काने की हिमाकत नहीं कर पाता है। एक वक्त पश्चिमी यूपी के मुस्लिम बहुल जिलों में अपराध चरम पर था. यहां अधिकांश अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ था और पुलिस के हाथ भी बंधे थे। लेकिन जब योगी ने प्रदेश की कमान संभाली, स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। आज इन जिलों में अपराधी खुद ही थाने में जाकर सरेंडर करते हैं और अपराध की दुनिया छोड़कर छोटा-मोटा काम कर अपना जीवन-यापन कर रहे हैं। विपक्ष ने बार-बार आरोप लगाया कि धर्म-विशेष के लोगों के अवैध निर्माण पर ही बुलडोजर चल रहा है। लेकिन, योगी सरकार का दो टूक कहना रहा है कि विपक्ष मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रहा है।
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हार्डकोर हिंदुत्व की राह पर वापस आए योगी
पिछले दिनों जिस तरह योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पार्टी में माहौल बन रहा था, उसके बाद कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई थीं। लेकिन अब योगी हार्डकोर हिंदुत्व के अपने पुराने रूप में लौट आए हैं। यूपी में 10 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं और सीएम योगी जानते हैं कि अगर उपचुनावों में उन्होंने कमाल कर दिया तो पार्टी में उनकी साख और भी मजबूत हो सकती है। वहीं बीजेपी को भी पता है कि हिंदुत्व ही उत्तर प्रदेश में जीत की गारंटी है. हालांकि, हालिया लोकसभा चुनाव में जातिवाद का मुद्दा हावी रहा है और भाजपा को इसका नुकसान हुआ है. समाजवादी पार्टी ने पिछड़ों और दलितों को एकजुट किया है, लेकिन बीजेपी को उससे निपटना है तो हार्डकोर हिंदुत्व की राह पर ही वापस आना होगा।
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जब मुख्तार ने योगी पर कराया था हमला
हिंदुत्व की बात करने वाले योगी के दुश्मन भी कम नहीं रहे हैं। योगी आदित्यनाथ जब गोरखपुर के सांसद हुआ करते थे, उस वक्त साल 2008 में माफिया मुख्तार अंसारी ने उनके काफिले पर हमला कराया था. इस हमले में वे बाल-बाल बच गए थे. साल 2005 में मऊ में दंगा भड़क उठा था। इस दौरान मुख्तार को खुली जीप में दंगे वाले इलाकों में घूमते देखा गया था. उसी पर दंगा भड़काने का आरोप भी लगा था। लेकिन तत्कालीन मुलायम सरकार मुख्तार पर नकेल कसने में नाकाम रही थी।
उस वक्त दंगे को रोकने के लिए योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से मऊ के लिए रवाना हुए, लेकिन उन्हें जिले में प्रवेश करने नहीं दिया गया और दोहरीघाट पर उन्हें रोककर वापस गोरखपुर भेज दिया गया. तब योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार को चुनौती देते हुए कहा था कि वह मऊ दंगे के पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे. साल 2008 में योगी आदित्यनाथ ने हिंदू युवा वाहिनी के नेतृत्व में आज़मगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ एक रैली की घोषणा की थी. 7 सितंबर, 2008 की तारीख और डीएवी कॉलेज मैदान को रैली स्थल के रूप में चुना गया था।
कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ एक लाल एसयूवी में थे और उनके साथ 40 वाहनों का काफिला चल रहा था। लेकिन, इस काफिले के आज़मगढ़ पहुंचने से ठीक पहले ही उस पर पथराव किया गया, जिसके बाद पेट्रोल बम फेंके गए और गोलीबारी शुरू हो गई। जवाब में योगी आदित्यनाथ के गनर ने भी गोलियां चलाईं। यह महज संयोग की बात थी कि उन्होंने आखिरी समय में योगी आदित्यनाथ ने लाल एसयूवी छोड़ दी, जिससे वे एक सुनियोजित हमले में वे बाल-बाल बच गए।
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संघ से करीबी
गोरखपुर से निकलकर लखनऊ तक का योगी आदित्यनाथ का सफर आसान नहीं रहा है। लेकिन योगी आदित्यनाथ राजनीति में आने से लेकर वर्तमान परिदृश्य में भी, हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार पर कभी मौन नहीं रहे हैं और ये बात उनके चाहने वालों को काफी पसंद आती है। योगी आदित्यनाथ को लोकप्रियता के मामले में यूपी में कोई अन्य बीजेपी नेता टक्कर देता नजर नहीं आ रहा है। वहीं योगी संघ के भी करीब रहे हैं और समय-समय पर उनको संघ ने बैकडोर से सपोर्ट देने का काम किया है। वहीं योगी आदित्यनाथ के समर्थकों का एक बड़ा वर्ग उन्हें पीएम मोदी के उत्तराधिकारी के तौर पर भी देखता है। हालांकि, कभी योगी आदित्यनाथ ने ऐसी कोई महत्वकांक्षा जाहिर नहीं की है।
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