मध्य प्रदेश: सड़क के बीचोंबीच बना हैंडपंप सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना, वायरल वीडियो ने उजागर की प्रशासनिक लापरवाही।
मध्य प्रदेश का सीधी जिला आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां जंगलों की हरियाली और नदियों का संगम लोगों को आकर्षित करता है। लेकिन यहां के ढोल कोठार गांव में एक ऐसी घटना सामने आई
मध्य प्रदेश का सीधी जिला आदिवासी बहुल क्षेत्र है, जहां जंगलों की हरियाली और नदियों का संगम लोगों को आकर्षित करता है। लेकिन यहां के ढोल कोठार गांव में एक ऐसी घटना सामने आई है, जो विकास योजनाओं की हकीकत को आईना दिखा रही है। गांव की मुख्य सड़क के बीचोंबीच एक पुराना हैंडपंप खड़ा है, जिसके चारों ओर पत्थर के डिवाइडर बना दिए गए हैं। यह सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनी आरसीसी सड़क है, जो ग्रामीणों को शहरों से जोड़ने का काम करती है। लेकिन निर्माण के दौरान हैंडपंप को न तो हटाया गया और न ही सड़क का मार्ग बदला गया। इसके बजाय, ठेकेदार ने हैंडपंप को सड़क का हिस्सा बना दिया। इस अनोखे नजारे का 27 सेकंड का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह हैंडपंप उनके लिए जीवनरेखा है, लेकिन अब यह सड़क पर खतरा बन गया है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि डिवाइडर के कारण वाहन हैंडपंप से टकराने का जोखिम उठा रहे हैं।
घटना की शुरुआत कुछ महीने पहले हुई। ढोल कोठार गांव सीधी जिले के चुरहट तहसील में स्थित है, जो जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर है। यहां की आबादी मुख्य रूप से गोंड और बैगा आदिवासी समुदाय की है। गांव में बिजली और पानी की सुविधाएं सीमित हैं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 2000 में शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को पक्की सड़कों से जोड़ना है। सीधी जिले में इस योजना के तहत कई सड़कें बनी हैं, लेकिन ढोल कोठार की सड़क का निर्माण 2024 में पूरा हुआ। स्थानीय ग्रामीण रामलाल ने बताया कि हैंडपंप 20 साल पुराना है। यह गांव के करीब 10 परिवारों के लिए एकमात्र पानी का स्रोत है। जब सड़क निर्माण शुरू हुआ, तो ग्रामीणों ने ठेकेदार से हैंडपंप हटाने की मांग की। लेकिन ठेकेदार ने कहा कि बजट में जगह नहीं है। आखिरकार, सड़क बीच से गुजार दी गई और हैंडपंप के इर्द-गिर्द डिवाइडर बना दिए गए। रामलाल कहते हैं कि अब गाड़ियां धीरे चलानी पड़ती हैं, वरना दुर्घटना हो सकती है।
वीडियो 26 अक्टूबर 2025 को एक स्थानीय युवा ने बनाया। इसमें सड़क पर एक बाइक सवार धीरे-धीरे हैंडपंप के पास से गुजर रहा है। डिवाइडर के कारण सड़क का आधा हिस्सा बंद हो गया है। वीडियो में बैकग्राउंड में ग्रामीणों की आवाजें हैं, जो हंसते हुए कह रहे हैं कि यह तो सड़क का गेटवे है। वीडियो को पहले फेसबुक पर शेयर किया गया, फिर ट्विटर और इंस्टाग्राम पर फैल गया। 24 घंटों में इसे लाखों व्यूज मिले। एक यूजर ने लिखा कि सरकार की योजनाएं कागजों पर अच्छी हैं, जमीन पर हास्यास्पद। दूसरे ने कमेंट किया कि क्या यह सड़क का नया डिजाइन है? वायरल होने के बाद स्थानीय पत्रकारों ने भी इसे कवर किया। आज तक चैनल ने 26 अक्टूबर को खबर चलाई, जिसमें कहा गया कि यह प्रशासनिक लापरवाही का नमूना है। चैनल के अनुसार, सड़क निर्माण में 50 लाख रुपये खर्च हुए, लेकिन गुणवत्ता पर सवाल हैं।
सीधी जिले के कलेक्टर ने वीडियो के वायरल होने के बाद संज्ञान लिया। 27 अक्टूबर को उन्होंने एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि मामले की जांच कराई जाएगी। अगर लापरवाही पाई गई, तो ठेकेदार पर कार्रवाई होगी। जिला पंचायत CEO ने बताया कि योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, निर्माण से पहले सर्वे होता है। लेकिन यहां सर्वे में चूक हुई। ग्रामीण विकास विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ठेकेदार ने सस्ता काम करने के चक्कर में ऐसा किया। डिवाइडर बनाने का खर्च भी बजट से ही निकाला गया। लेकिन अब इसे ठीक करने के लिए अतिरिक्त फंड लगेगा। स्थानीय विधायक ने भी ट्वीट किया कि ऐसी गलतियों को सुधारेंगे। उन्होंने कहा कि गांव की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हैंडपंप को अलग स्थान पर शिफ्ट करेंगे।
यह घटना मध्य प्रदेश में विकास योजनाओं की खामियों को उजागर करती है। राज्य में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 20 हजार किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बनी हैं। लेकिन कई जगह गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं। 2023 में ही सीधी में एक सड़क धंस गई थी, जिसके बाद जांच हुई। विशेषज्ञ कहते हैं कि ग्रामीण सड़कों के निर्माण में स्थानीय भागीदारी कम होती है। ठेकेदार बजट बचाने के लिए शॉर्टकट अपनाते हैं। ढोल कोठार जैसे गांवों में पानी की कमी है। हैंडपंप हटाने से ग्रामीण परेशान होते। लेकिन सड़क बीच में रखना भी खतरनाक है। एक सर्वे के अनुसार, मध्य प्रदेश के 30 प्रतिशत ग्रामीण गांवों में सड़कें अधर में हैं। योजना का बजट 1.6 लाख करोड़ रुपये है, लेकिन जमीनी स्तर पर निगरानी कमजोर है।
ग्रामीणों की जिंदगी पर इसका असर पड़ रहा है। ढोल कोठार में करीब 200 परिवार रहते हैं। ज्यादातर किसान हैं, जो धान और गेहूं उगाते हैं। सड़क से वे बाजार पहुंचते हैं। लेकिन अब हैंडपंप के कारण वाहन रुक जाते हैं। एक महिला ने कहा कि बच्चे खेलते समय खतरे में हैं। अगर तेज गाड़ी आई तो क्या होगा। ग्रामीणों ने कलेक्टर को ज्ञापन दिया है। वे मांग कर रहे हैं कि हैंडपंप को सड़क किनारे शिफ्ट करें और नया बोरवेल लगाएं। जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि 15 दिनों में काम शुरू होगा। लेकिन ग्रामीणों को भरोसा नहीं। वे कहते हैं कि वीडियो वायरल न होता तो कोई ध्यान न देता।
सोशल मीडिया ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा दिया। ट्विटर पर #HandpumpOnRoad ट्रेंड कर रहा है। हजारों यूजर्स ने शेयर किया। एक एनजीओ ने कहा कि यह ग्रामीण विकास की विडंबना है। दूसरे ने मीम बनाया, जिसमें लिखा है कि सड़क हैंडपंप की सेवा में। वायरल वीडियो ने न सिर्फ हंसी उड़ाई, बल्कि गंभीर बहस छेड़ी। लोग पूछ रहे हैं कि सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग क्यों कमजोर है। मध्य प्रदेश सरकार ने 2025 में डिजिटल सर्वे की योजना शुरू की है, लेकिन जमीनी अमल धीमा है। सीधी जैसे दूरदराज जिलों में अधिकारी कम पहुंचते हैं।
यह घटना पूरे देश के लिए सबक है। कई राज्यों में ऐसी ही कहानियां हैं। उत्तर प्रदेश में एक गांव में सड़क पुल के नीचे बनी। राजस्थान में स्कूल के बीच से सड़क गुजरी। लेकिन मध्य प्रदेश में यह पहली बार इतना वायरल हुआ। योजना के मंत्री ने कहा कि ऐसी शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करेंगे। ठेकेदारों को ब्लैकलिस्ट करने का प्रावधान है। ढोल कोठार के ग्रामीण उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द सुधार होगा। वे कहते हैं कि सड़क अच्छी बनी है, बस यह हैंडपंप समस्या है। अगर ठीक हो गया तो गांव का चेहरा बदल जाएगा।
What's Your Reaction?