Baitul News: जिले के 50 हजार से अधिक श्रद्धालु जाएंगे कचारगढ़ जत्रा, परंपरा, संस्कृति और आध्यात्मिकता का दिखेगा अद्भुत संगम

कचारगढ़ जत्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की एकता, समरसता और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है, जो हर साल भव्य रूप से आयोजित किया ...

Feb 3, 2025 - 01:08
 0  23
Baitul News: जिले के 50 हजार से अधिक श्रद्धालु जाएंगे कचारगढ़ जत्रा, परंपरा, संस्कृति और आध्यात्मिकता का दिखेगा अद्भुत संगम

Report: शशांक सोनकपुरिया

By INA News Baitul.

बैतूल: आदिवासी समाज की आस्था और संस्कृति का भव्य संगम कचारगढ़ जत्रा 10 फरवरी से शुरू होगी, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे। बैतूल जिले से भी 50 हजार से अधिक श्रद्धालु इस पावन यात्रा में हिस्सा लेंगे और अपने आराध्य देवी-देवताओं के दर्शन करेंगे। बैतूल जिला मुख्यालय से करीब 370 किलोमीटर दूर, महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के सालेकसा तहसील स्थित धन्नेगांव के पेनठाना (देवस्थान) कचारगढ़ में यह भव्य आयोजन पारी कुपार लिंगो दाई कली कंकाली पेनठाना कचारगढ़ समिति के तत्वावधान में किया जा रहा है।कचारगढ़ जत्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की एकता, समरसता और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है, जो हर साल भव्य रूप से आयोजित किया जाता है। आयोजन के मुख्य कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह इवने ने बताया कि 10 से 14 फरवरी तक पांच दिवसीय इस आयोजन में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।10 फरवरी को कोयापुनेमी गढ़ जागरण, 11 फरवरी को सतरंगी ध्वजारोहण और राष्ट्रीय गोंडवाना महाधिवेशन, 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के अवसर पर कोयापुनेमी महागोंगोना (महापूजा), 13 फरवरी को राष्ट्रीय गोंडी साहित्य सम्मेलन एवं कोइतुर संस्कृति महोत्सव और 14 फरवरी को आभार एवं समापन समारोह होगा। कचारगढ़ कोयापुनेम कोइतुर संस्कृति और सल्ला गांगरा शक्ति के रचनाकार पहांदी पारी कुपार लिंगो, रायताड़ जंगो, शंभू गौरा, संगीत सम्राट हिरासुका पाटीलार और 33 कोट सगापेन की पावन भूमि मानी जाती है।यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यह आयोजन न केवल आदिवासी संस्कृति को जीवंत बनाए रखता है, बल्कि समाज में वैचारिकय चेतना को भी जाग्रत करता है। बैतूल जिले से हजारों की संख्या में श्रद्धालु कचारगढ़ जत्रा में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं। कचारगढ़ जत्रा आदिवासी समाज के लिए अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर है, जहां परंपरा, संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow