Sambhal News: पैगंबर साहब के मुंए मुबारक की ज़ियारत को उमड़ा सैलाब।
पैगंबर साहब के मुंए मुबारक और कदम ए मुबारक की जियारत कराई गई। जियारत के लिए मुस्लिम समाज के हजारों लोग उमड़ पड़े। इस दौरान ....

रिपोर्ट- उवैस दानिश, सम्भल
Sambhal News। पैगंबर साहब के मुंए मुबारक और कदम ए मुबारक की जियारत कराई गई। जियारत के लिए मुस्लिम समाज के हजारों लोग उमड़ पड़े। इस दौरान लोगों ने मुंए मुबारक और कदम ए मुबारक की जियारत के लिए उत्साह देखने को मिला। सभी अकीदमंदो ने इस दौरान नारे बुलंद किए।
नगर के मोहल्ला कोट गर्वी में फजर की नमाज के बाद महफिल का आयोजन किया गया। जिसमें नात पाक के नजराने पेश किए गए। महफिल में दुआ के बाद बाबा जिंदा शाह औलिया के वंशजों ने मुंए मुबारक की जियारत कराई। ज़ियारत के दौरान हजारों अकीदतमंदो ने लब पर नारों के साथ मुंए मुबारक की जियारत की। दूर दराज से आए लोगो ने तबर्रुकात की ज़ियारत हासिल कर फ़ैज़ हासिल किया। जगह जगह लंगर वितरित किया गया। लोगों ने कदम ए रसूल की भी ज़ियारत कर दुआ मांगी।
अकीदतमंदों के ज़ियारत के बाद शीशे के डिब्बे में रखे मुए मुबारक को बड़े ही सलीके के साथ रखा जाता है। सलातो सलाम व दुआ के बाद डिब्बे को गिलाफ में रखकर लकड़ी के एक बक्सा में रखा जाता है। इस बक्से को एक स्पेशल कमरे में रखा जाता है। वहीं ज़ियारत के लिए मुए मुबारक को निकालने से पहले भी दरूद शरीफ और सलातो सलाम पढ़ा जाता है।
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मुफ़्ती आलम रजा नूरी ने बताया कि यह मुंए मुबारक को ईरान के बादशाह ने हज़रत औरंगजेब रहमतुल्लाह अलेह को सौंपा था। जिसको बाद में बाबा जिंदा शाह औलिया को तोहफे के रूप में दे दिया गया था। तब से मुंए मुबारक सम्भल में आया यहां बाबा जिंदा शाह औलिया के वंशज लगभग सैकड़ों बरसों से मुंए मुबारक की शहर वासियों को जियारत करा रहे हैं। सम्भल के लोग खुशनसीब हैं कि उन्हें हर वर्ष 27 रजब को हुजूर सल्लल्लाहो अलैह वसल्लम के मुंए मुबारक की जियारत होती है।
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