Patna News: पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में प्रशासनिक संकट, कुलसचिव को धमकी, एमएलसी पर दुर्व्यवहार का आरोप।
मिथिलालोक फाउंडेशन ने राज्यपाल से की तत्काल हस्तक्षेप की मांग, विश्वविद्यालय की गरिमा पर उठे गंभीर सवाल...

पटना: बिहार के प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थान पतलिपुत्र विश्वविद्यालय एक बार फिर विवादों में घिर गया है। विश्वविद्यालय में प्रशासनिक अनियमितताओं और कथित दुर्व्यवहार के मामलों को लेकर मिथिलालोक फाउंडेशन ने राज्यपाल सह राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति से औपचारिक हस्तक्षेप की मांग की है।फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. बीरबल झा द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन में दो घटनाओं का हवाला देते हुए कहा गया है कि विश्वविद्यालय की संस्थागत साख और नैतिक मूल्यों पर गंभीर संकट मंडरा रहा है।
- कुलसचिव को धमकी का मामला
पहली घटना में, कुलसचिव प्रो. नागेन्द्र कुमार झा को कार्यवाहक कुलपति प्रो. शरद कुमार यादव के कथित प्रभाव में आए कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा दबाव और धमकियों का सामना करना पड़ा। यह घटना 29 मार्च 2025 को बताई गई है, जब ये लोग कुलसचिव के सरकारी आवास पर पहुंचे और उनसे कुछ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाने का दबाव बनाने लगे। प्रो. झा ने इस मामले में बहादुरपुर थाना, पटना में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने अपनी जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की मांग की है।
- सीनेट बैठक में एमएलसी पर दुर्व्यवहार का आरोप
दूसरी घटना 3 अप्रैल 2025 को हुई सीनेट बैठक से जुड़ी है, जिसमें बिहार विधान परिषद के सदस्य श्री नवल किशोर यादव पर प्रो. झा के साथ अभद्र भाषा में बात करने और शारीरिक नुकसान की धमकी देने का आरोप लगाया गया है। फाउंडेशन ने इसे एक जनप्रतिनिधि के आचरण के विपरीत बताया है और इसे शिक्षाविदों की गरिमा के लिए खतरनाक करार दिया है।
- मिथिलालोक फाउंडेशन की मांगें
मिथिलालोक फाउंडेशन ने राज्यपाल से निम्नलिखित कदम उठाने की मांग की है:
- कार्यवाहक कुलपति द्वारा की गई कथित धमकियों की निष्पक्ष एवं उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
- सीनेट बैठक में अमर्यादित व्यवहार के लिए एमएलसी नवल किशोर यादव के विरुद्ध कार्रवाई की जाए
- विश्वविद्यालय में भयमुक्त, नैतिक और पारदर्शी प्रशासन सुनिश्चित किया जाए।
- पतलिपुत्र विश्वविद्यालय की साख बहाल करने के लिए ठोस संस्थागत सुधार किए जाएं।
डॉ. बीरबल झा की टिप्पणी
डॉ. बीरबल झा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “शैक्षणिक संस्थानों की गरिमा किसी भी हाल में गिरनी नहीं चाहिए। विश्वविद्यालय का वातावरण भयमुक्त होना चाहिए, जहां अधिकारी स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें। हम महामहिम राज्यपाल से त्वरित और न्यायपूर्ण हस्तक्षेप की अपेक्षा करते हैं।”
शिक्षा जगत में हलचल
यह मामला सामने आने के बाद शैक्षणिक समुदाय और सिविल सोसाइटी में चिंता की लहर दौड़ गई है। शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों और संगठनों ने पारदर्शिता, जवाबदेही और विश्वविद्यालय कर्मियों की सुरक्षा की मांग की है। अब सबकी निगाहें राजभवन की ओर हैं। राज्यपाल की प्रतिक्रिया आने के बाद यह मामला बिहार के उच्च शिक्षा प्रशासन में एक नई दिशा तय कर सकता है।
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