Barabanki News: बाराबंकी की बाल वैज्ञानिक पूजा को DM ने किया सम्मानित, नवाचारी थ्रेशर-भूसा पृथक्करण मशीन मॉडल ने जीता राष्ट्रीय स्तर पर दिल

इन्सपायर अवार्ड मानक योजना, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित की जाती है, का उद्देश्य स्कूली बच्चों में वैज्ञानिक सोच और नवाचार को प्रोत्साहित करना...

May 23, 2025 - 23:48
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Barabanki News: बाराबंकी की बाल वैज्ञानिक पूजा को DM ने किया सम्मानित, नवाचारी थ्रेशर-भूसा पृथक्करण मशीन मॉडल ने जीता राष्ट्रीय स्तर पर दिल

By INA News Barabanki.

बाराबंकी: बाराबंकी जिले की कक्षा 8 की छात्रा पूजा ने अपनी नवाचारी सोच और वैज्ञानिक प्रतिभा से न केवल जिले का नाम रोशन किया, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई। इन्सपायर अवार्ड मानक योजना 2021 के तहत नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय प्रदर्शनी में उनके द्वारा प्रस्तुत थ्रेशर-भूसा पृथक्करण मशीन के मॉडल ने सभी का ध्यान खींचा। इस उपलब्धि के लिए जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने पूजा और उनके मार्गदर्शक शिक्षक राजीव श्रीवास्तव को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। यह सम्मान समारोह बाराबंकी में आयोजित किया गया, जिसमें पूजा की प्रतिभा और नवाचार की जमकर सराहना हुई।

इन्सपायर अवार्ड मानक योजना, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित की जाती है, का उद्देश्य स्कूली बच्चों में वैज्ञानिक सोच और नवाचार को प्रोत्साहित करना है। इसके तहत 9 और 10 अक्टूबर 2023 को नई दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में राष्ट्रीय स्तर की प्रदर्शनी का आयोजन हुआ। इस प्रदर्शनी में पूरे भारत से 60 उत्कृष्ट बाल वैज्ञानिकों का चयन किया गया, जिनमें उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के विकास खंड सिरौलीगौसपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय अगेहरा की कक्षा 8 की छात्रा पूजा शामिल थीं।

पूजा ने अपने मार्गदर्शक शिक्षक राजीव श्रीवास्तव के निर्देशन में एक नवाचारी थ्रेशर-भूसा पृथक्करण मशीन का मॉडल प्रस्तुत किया। इस मॉडल का उद्देश्य गेहूं की मड़ाई के दौरान थ्रेशर मशीन से निकलने वाले भूसे और धूल को नियंत्रित करना है, जो वातावरण में प्रदूषण का कारण बनता है। पूजा ने बताया, “मैंने देखा कि थ्रेशर मशीन से निकलने वाली धूल और भूसा न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इससे अस्थमा जैसी गंभीर बीमारियां भी फैलती हैं। मेरे मॉडल का लक्ष्य इस प्रदूषण को कम करना और किसानों के लिए मड़ाई की प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल बनाना है।”

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पूजा के मार्गदर्शक शिक्षक राजीव श्रीवास्तव ने मॉडल की तकनीकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया। उनके अनुसार, यह मॉडल थ्रेशर मशीन में एक विशेष पृथक्करण तंत्र को शामिल करता है, जो भूसे और धूल को अलग करने में सक्षम है। इससे न केवल वायु प्रदूषण में कमी आती है, बल्कि भूसे का बेहतर उपयोग भी संभव हो पाता है। श्रीवास्तव ने कहा, “पूजा की यह पहल उत्तर प्रदेश जैसे कृषि-प्रधान राज्य में क्रांतिकारी हो सकती है, जहां थ्रेशर मशीनों का व्यापक उपयोग होता है। इस मॉडल से न केवल पर्यावरण की रक्षा होगी, बल्कि किसानों और आसपास के समुदायों का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा।”

उत्तर प्रदेश में लाखों लोग अस्थमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित हैं, जिनका एक बड़ा कारण कृषि कार्यों के दौरान उत्पन्न होने वाला धूल प्रदूषण है। पूजा का मॉडल इस समस्या का एक व्यावहारिक और किफायती समाधान प्रस्तुत करता है, जो इसे राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा का पात्र बनाता है।

जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने पूजा और उनके शिक्षक राजीव श्रीवास्तव को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर उनकी उपलब्धि की सराहना की। सम्मान समारोह में DM ने कहा, “पूजा ने कम उम्र में ही अपनी वैज्ञानिक सोच और नवाचार से यह साबित कर दिया कि प्रतिभा किसी संसाधन या परिवेश की मोहताज नहीं होती। परिषदीय विद्यालय की एक छात्रा का राष्ट्रीय स्तर पर चयन और इतना प्रभावी मॉडल प्रस्तुत करना गर्व की बात है।” उन्होंने शिक्षक राजीव श्रीवास्तव की भी प्रशंसा की, जिन्होंने पूजा को इस दिशा में मार्गदर्शन प्रदान किया।

DM ने जिले के अन्य स्कूली बच्चों को भी प्रेरित करते हुए कहा कि वे विज्ञान और नवाचार के क्षेत्र में आगे बढ़ें और अपने विचारों को मूर्त रूप देने के लिए प्रोत्साहित हों। उन्होंने इन्सपायर अवार्ड जैसी योजनाओं को बच्चों के लिए एक बड़ा मंच बताया, जो उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करता है।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार देव पांडेय ने पूजा की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर बधाई दी। उन्होंने कहा, “पूजा ने बाराबंकी जिले और उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों का मान बढ़ाया है। यह उपलब्धि अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।” उन्होंने शिक्षक राजीव श्रीवास्तव के योगदान को भी सराहा और कहा कि शिक्षकों की मेहनत और मार्गदर्शन ही बच्चों को ऐसी ऊंचाइयों तक ले जाता है।

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