लद्दाख में पैंगौंग झील के पास बाढ़ में बाइक सवार बचा, राहत और बचाव कार्य जारी।
लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास स्थित पैंगौंग झील क्षेत्र में 5 अगस्त 2025 को अचानक आई बाढ़ ने एक खतरनाक स्थिति पैदा कर ....
लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास स्थित पैंगौंग झील क्षेत्र में 5 अगस्त 2025 को अचानक आई बाढ़ ने एक खतरनाक स्थिति पैदा कर दी। इस घटना में एक बाइक सवार अपनी बाइक समेत तेज बहाव में बह गया, लेकिन उसने किसी तरह अपनी जान बचा ली। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के माध्यम से सामने आई, जिसमें बाइक सवार को पानी के तेज बहाव में संघर्ष करते देखा गया। 5 अगस्त 2025 को लद्दाख के पैंगौंग झील क्षेत्र में अचानक बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यह भारत-चीन सीमा के पास एक संवेदनशील क्षेत्र भी है। इस घटना में एक बाइक सवार, जो संभवतः पर्यटक या स्थानीय निवासी था, एक सड़क पर बाइक चला रहा था, जब अचानक तेज बहाव वाला पानी आ गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि बाइक सवार पानी के बहाव में फंस गया, और उसकी बाइक पूरी तरह बह गई। हालांकि, उसने किसी तरह अपनी जान बचाने में कामयाबी हासिल की। वीडियो में यह भी दिखाई देता है कि आसपास मौजूद कुछ लोग इस घटना को रिकॉर्ड कर रहे थे, और संभवतः उन्होंने ही बचाव के लिए अधिकारियों को सूचित किया।
इस घटना ने पैंगौंग झील क्षेत्र में बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं के खतरे को एक बार फिर सामने ला दिया। यह क्षेत्र हिमालयी क्षेत्र में स्थित है, जहां जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने के कारण हिमनद झीलों के फटने (GLOF) और अचानक बाढ़ का खतरा बना रहता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह की घटनाएं हिमालयी क्षेत्र में बढ़ती जा रही हैं, और इनके पीछे भारी बारिश, भूकंप, या हिमस्खलन जैसे कारण हो सकते हैं। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, सेना, और आपदा प्रबंधन टीमें तुरंत हरकत में आईं। लद्दाख में पैंगौंग झील के पास की सड़कें और क्षेत्र अक्सर सैन्य निगरानी में रहते हैं, क्योंकि यह भारत-चीन सीमा के नजदीक है। सेना और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने तुरंत बचाव कार्य शुरू किए। बाइक सवार को सुरक्षित निकाल लिया गया, और उसे प्राथमिक चिकित्सा दी गई। हालांकि, इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
लद्दाख प्रशासन ने इस घटना के बाद क्षेत्र में यात्रा करने वालों से सावधानी बरतने की अपील की है। पर्यटकों और स्थानीय लोगों को सलाह दी गई है कि वे मौसम की जानकारी लेने के बाद ही पैंगौंग झील जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में यात्रा करें। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमें भी क्षेत्र में तैनात की गई हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। पैंगौंग झील क्षेत्र में बाढ़ के पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना हिमनद झील के फटने (GLOF) या भारी बारिश के कारण हो सकती है। हिमालयी क्षेत्र में 300 से अधिक हिमनद झीलें हैं, जिनमें से कई को बाढ़ के लिए संवेदनशील माना जाता है। इन झीलों के मोराइन बांध अचानक टूट सकते हैं, जिससे निचले इलाकों में विनाशकारी बाढ़ आ सकती है। पिछले कुछ वर्षों में, हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियरों का पिघलना तेज हुआ है, जिससे ऐसी घटनाओं की संभावना बढ़ गई है। उदाहरण के लिए, अगस्त 2014 में लद्दाख के ग्या गांव में हिमनद झील के फटने से भारी तबाही हुई थी। इसी तरह, फरवरी 2021 में उत्तराखंड के चमोली जिले में भी ऐसी ही बाढ़ आई थी। पैंगौंग झील के मामले में, यह भी संभव है कि स्थानीय नदियों या नालों में अचानक पानी का स्तर बढ़ने से यह स्थिति उत्पन्न हुई हो।
स्थानीय प्रशासन और वैज्ञानिक इस क्षेत्र में हिमनद झीलों की निगरानी के लिए उपग्रह इमेजरी, रिमोट सेंसिंग तकनीक, और ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। इसके बावजूद, ऐसी घटनाओं को पूरी तरह रोकना चुनौतीपूर्ण है। पैंगौंग झील लद्दाख की सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। फिल्म "थ्री इडियट्स" के बाद इस झील की लोकप्रियता और भी बढ़ गई, और हर साल हजारों पर्यटक यहां बाइक, टैक्सी, या बस से पहुंचते हैं। इस बाढ़ की घटना ने पर्यटकों और स्थानीय गाइडों के बीच चिंता पैदा कर दी है। कई पर्यटकों ने सोशल मीडिया पर इस घटना के वीडियो साझा किए, जिससे क्षेत्र में यात्रा की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
लद्दाख प्रशासन ने पर्यटकों से अपील की है कि वे पैंगौंग झील जाने से पहले स्थानीय प्रशासन से परमिट लें और मौसम की स्थिति की जांच करें। गर्मियों में लेह से पैंगौंग झील के लिए बस और शेयर टैक्सी की सुविधा उपलब्ध होती है, लेकिन सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं। भारत सरकार पैंगौंग झील तक साल भर पहुंच को आसान बनाने के लिए केला पास के रास्ते एक ट्विन-ट्यूब टनल बनाने पर विचार कर रही है। इससे न केवल पर्यटकों को फायदा होगा, बल्कि सेना के लिए भी सीमावर्ती क्षेत्रों में आवाजाही आसान हो जाएगी। पैंगौंग झील का क्षेत्र भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास स्थित है, और यह दोनों देशों के लिए सैन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। झील का एक तिहाई हिस्सा भारत में है, जबकि दो तिहाई हिस्सा चीन के नियंत्रण में है। 2020 में इस क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसके बाद दोनों देशों ने अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा दी थी। इस बाढ़ की घटना ने इस क्षेत्र में तैनात सैनिकों और सीमा सुरक्षा बलों के लिए भी चुनौतियां बढ़ा दी हैं।
सेना और सीमा सुरक्षा बल ने इस घटना के बाद क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है। साथ ही, राहत और बचाव कार्यों में सेना की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह क्षेत्र सामरिक महत्व का होने के कारण किसी भी प्राकृतिक आपदा का असर न केवल स्थानीय लोगों और पर्यटकों पर पड़ता है, बल्कि सैन्य गतिविधियों पर भी प्रभाव डालता है। पैंगौंग झील के आसपास के गांव, जैसे मेराक और स्पंगमिक, पर्यटन पर निर्भर हैं। इस घटना ने स्थानीय लोगों में चिंता पैदा की है, क्योंकि बाढ़ और प्राकृतिक आपदाएं उनके व्यवसाय को प्रभावित कर सकती हैं। मेराक गांव, जो भारत-चीन सीमा पर आखिरी गांव है, पैंगौंग झील से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में बाढ़ की चेतावनी प्रणाली को और मजबूत किया जाए। यह घटना हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की तैयारियों पर सवाल उठाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि हिमनद झीलों की निगरानी और बाढ़ चेतावनी प्रणाली को और प्रभावी करने की जरूरत है। इसके लिए उपग्रह और ड्रोन आधारित तकनीकों का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। साथ ही, स्थानीय लोगों और पर्यटकों को प्रशिक्षण देने की भी जरूरत है ताकि वे ऐसी आपदाओं में सही कदम उठा सकें। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने बाढ़ से बचाव के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इनमें शामिल हैं: मौसम की जानकारी रखना, आपातकालीन किट तैयार रखना, और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से दूर रहना। लद्दाख प्रशासन ने भी लोगों से अपील की है कि वे नदी-नालों के किनारे सावधानी बरतें और अनावश्यक यात्रा से बचें।
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