बहराइच के अस्पताल में सांड का हंगामा- ओपीडी में कागज चबाने का वीडियो वायरल, स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल। 

Bahraich Hospital: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई एक अजीब घटना ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। इस घटना...

Aug 15, 2025 - 11:48
Aug 15, 2025 - 11:55
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बहराइच के अस्पताल में सांड का हंगामा- ओपीडी में कागज चबाने का वीडियो वायरल, स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल। 
बहराइच के अस्पताल में सांड का हंगामा- ओपीडी में कागज चबाने का वीडियो वायरल, स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल। 

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हुई एक अजीब घटना ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया है। इस घटना का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक सांड अस्पताल के आउट पेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) में घुसकर डॉक्टर की कुर्सी के पास पहुंचता है और मेज पर रखे कागज चबाने लगता है। यह वीडियो न केवल मजेदार है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को भी सामने लाता है। वीडियो में साफ दिखता है कि अस्पताल पूरी तरह खाली है, न कोई डॉक्टर, न नर्स, और न ही कोई अन्य कर्मचारी मौजूद है। इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था की कमी को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

यह घटना बहराइच के सुजौली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की है। वीडियो में दिखता है कि एक सांड बिना किसी रुकावट के अस्पताल के ओपीडी कमरे में घुस जाता है। वहां वह डॉक्टर की कुर्सी के पास पहुंचता है और मेज पर रखे दस्तावेजों को चबाने लगता है। वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने इस दौरान यह भी बताया कि दोपहर का समय होने के बावजूद अस्पताल में कोई कर्मचारी या मरीज नहीं था। यह दृश्य देखने में जितना अजीब और मजेदार है, उतना ही यह सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति को लेकर चिंता पैदा करता है। वीडियो को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने साझा किया, और इसने जल्द ही लाखों लोगों का ध्यान खींचा। सोशल मीडिया पर इस वीडियो को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।

कुछ लोगों ने इसे मजाकिया अंदाज में लिया और टिप्पणी की कि “सांड अब डॉक्टर की भूमिका निभा रहा है।” एक यूजर ने लिखा, “विकसित भारत में संसाधनों पर पहला हक सांड का है, और यह देखकर अच्छा लगा कि वह कागजी काम का पूरा फायदा उठा रहा है।” वहीं, कई लोगों ने इसे गंभीरता से लिया और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाए। एक अन्य यूजर ने लिखा, “जब अस्पताल में कोई कर्मचारी ही नहीं है, तो मरीजों का इलाज कैसे होगा?” समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी इस वीडियो को अपने एक्स हैंडल पर साझा किया और तंज कसते हुए लिखा, “मुख्यमंत्री आरोग्य मेले का औचक निरीक्षण करने चौपाया पहुंचा, लेकिन डॉक्टर ही नहीं आया। किसी ने पूछा, ‘डॉक्टर कब आएगा?’ जवाब मिला, ‘लगता है सरकार बदलेगी, तब आएगा।’” यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग पर एक व्यंग्य थी।

इस वीडियो ने न केवल लोगों का ध्यान खींचा, बल्कि यह सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों की अनुपस्थिति और सुरक्षा की कमी जैसे गंभीर मुद्दों को सामने लाया। वीडियो में साफ दिखता है कि ओपीडी के पास रजिस्ट्रेशन काउंटर भी खाली है। यह स्थिति उस समय की है, जब अस्पताल में मरीजों के लिए कर्मचारियों का मौजूद होना जरूरी था। इस घटना ने यह सवाल उठाया कि अगर अस्पताल में कोई कर्मचारी ही नहीं है, तो मरीजों को इलाज कैसे मिलेगा?

बहराइच के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को इस घटना की जानकारी होने के बावजूद उन्होंने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया और न ही कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई। यह चुप्पी स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही की कमी को दर्शाती है। यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में इस तरह की घटना सामने आई है। इससे पहले भी बरेली में दो सांडों की लड़ाई का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने एक चाय की दुकान को तहस-नहस कर दिया था। इसके अलावा, रायबरेली के जिला अस्पताल में भी एक सांड के घुसने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं, जिसमें वह एक वार्ड में मरीजों के बीच खड़ा दिखा। ये घटनाएं न केवल अस्पतालों में सुरक्षा की कमी को दिखाती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि आवारा पशुओं की समस्या उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में गंभीर है।

इस घटना ने उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का आधार होते हैं, लेकिन इस तरह की लापरवाही मरीजों के लिए खतरनाक हो सकती है। अगर अस्पताल में कर्मचारी ही मौजूद नहीं होंगे, तो मरीजों को समय पर इलाज कैसे मिलेगा? इसके अलावा, अस्पताल में सांड जैसे जानवरों का बेरोकटोक घुसना सुरक्षा की गंभीर कमी को दर्शाता है। अगर कोई मरीज उस समय ओपीडी में मौजूद होता, तो स्थिति और खतरनाक हो सकती थी। इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर बहस छेड़ दी है। कई लोगों ने मांग की है कि जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। कुछ यूजर्स ने यह भी सुझाव दिया कि अस्पतालों में सुरक्षा गार्ड और सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए। यह भी सच है कि इस तरह की घटनाएं केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि यह सरकार और प्रशासन के लिए एक चेतावनी हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या कोई नई बात नहीं है। सड़कों, बाजारों और अब अस्पतालों में भी इनका घुसना आम हो गया है। यह समस्या न केवल लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह प्रशासन की नाकामी को भी दर्शाती है। सरकार ने आवारा पशुओं को नियंत्रित करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जैसे गौशालाओं का निर्माण, लेकिन इनका प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हो पाया है। बहराइच जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां संसाधन पहले ही सीमित हैं, इस तरह की समस्याएं और गंभीर हो जाती हैं।

इस घटना ने समाज में कई अन्य मुद्दों को भी सामने लाया है। पहला, सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों की जवाबदेही की कमी। अगर कर्मचारी समय पर ड्यूटी पर होते, तो शायद यह घटना नहीं होती। दूसरा, अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था का अभाव। अगर अस्पताल में गार्ड या अन्य सुरक्षा उपाय होते, तो सांड को अंदर घुसने से रोका जा सकता था। तीसरा, सोशल मीडिया की भूमिका। इस वीडियो ने जहां स्वास्थ्य विभाग की कमियों को सामने लाया, वहीं यह भी दिखाता है कि सोशल मीडिया आज के समय में समस्याओं को उजागर करने का एक बड़ा मंच है।

स्वास्थ्य विभाग को इस घटना से सबक लेते हुए तुरंत कदम उठाने चाहिए। सबसे पहले, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कर्मचारियों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम बनाए जाने चाहिए। इसके लिए बायोमेट्रिक सिस्टम या अन्य निगरानी उपाय अपनाए जा सकते हैं। दूसरा, अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना जरूरी है। सीसीटीवी कैमरे, सुरक्षा गार्ड और उचित बाड़बंदी जैसे कदम इस तरह की घटनाओं को रोक सकते हैं। तीसरा, आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए सरकार को और प्रभावी योजनाएं लागू करनी होंगी। इस घटना ने लोगों में स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति अविश्वास भी पैदा किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग पहले ही सीमित स्वास्थ्य सुविधाओं पर निर्भर हैं। अगर इन सुविधाओं में भी इस तरह की लापरवाही होगी, तो लोगों का भरोसा और कम हो जाएगा। सरकार को चाहिए कि वह इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से ले और तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए।

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वायरल विडियो - https://youtube.com/shorts/P2b8iuDhZfU?si=m2dak4_pZTV-Ez0w

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