Politics: तेजस्वी के बयान पर बीजेपी का हमला, संविधान और आरक्षण पर छिड़ी जंग, बिहार में वक्फ कानून पर सियासी तूफान। 

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी माहौल गरमा गया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने हाल ....

Jul 1, 2025 - 12:33
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Politics: तेजस्वी के बयान पर बीजेपी का हमला, संविधान और आरक्षण पर छिड़ी जंग, बिहार में वक्फ कानून पर सियासी तूफान। 

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी माहौल गरमा गया है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने हाल ही में वक्फ संशोधन कानून को लेकर एक बड़ा बयान दिया, जिसने सियासत में भूचाल ला दिया। उन्होंने पटना के गांधी मैदान में आयोजित ‘वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ’ रैली में कहा कि अगर उनकी पार्टी महागठबंधन के साथ सत्ता में आई, तो वह वक्फ संशोधन कानून को “कूड़ेदान में फेंक देंगे।” इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखा पलटवार किया है। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने तेजस्वी पर संसद और संविधान का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि आरजेडी और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे दल समाजवाद का मुखौटा पहनकर “नमाजवादी” बन रहे हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या विपक्ष बिहार में शरिया कानून लागू करना चाहता है? इस बयानबाजी ने बिहार की सियासत में संविधान, आरक्षण और वक्फ कानून को लेकर नई बहस छेड़ दी है। 

यह विवाद 29 जून 2025 को उस समय शुरू हुआ, जब तेजस्वी यादव ने पटना के गांधी मैदान में एक विशाल रैली को संबोधित किया। यह रैली इमारत-ए-शरिया नामक मुस्लिम संगठन ने आयोजित की थी, जिसमें वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ विरोध जताया गया। तेजस्वी ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाया गया यह कानून असंवैधानिक और अल्पसंख्यक विरोधी है। उन्होंने दावा किया कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 13, 14, 25, 26 और 300ए का उल्लंघन करता है। तेजस्वी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी ने संसद के दोनों सदनों में इस बिल का पुरजोर विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट में भी इसके खिलाफ याचिका दायर की है। उन्होंने रैली में मौजूद लोगों से अपील की कि वे नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को जिताएं, ताकि यह कानून रद्द किया जा सके। तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की नीतियां अल्पसंख्यकों के खिलाफ हैं और यह कानून मस्जिदों और कब्रिस्तानों पर कब्जा करने की साजिश है।

इस बयान के जवाब में बीजेपी ने 30 जून 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तेजस्वी पर जोरदार हमला बोला। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि तेजस्वी का यह बयान संसद और न्यायपालिका का अपमान है, क्योंकि वक्फ संशोधन कानून को संसद के दोनों सदनों ने 3 और 4 अप्रैल 2025 को पास किया था, और राष्ट्रपति ने 5 अप्रैल को इसे मंजूरी दी थी। त्रिवेदी ने तेजस्वी के बयान को 1975 की आपातकाल की मानसिकता से जोड़ा, जब संविधान को कमजोर करने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि गांधी मैदान में उसी जगह, जहां आपातकाल के दौरान लाखों लोग संविधान की रक्षा के लिए जुटे थे, तेजस्वी ने संसद के कानून को कूड़ेदान में फेंकने की बात कही। त्रिवेदी ने यह भी पूछा कि क्या आरजेडी और इंडिया गठबंधन बिहार में शरिया कानून लागू करना चाहता है, जो सऊदी अरब, इंडोनेशिया या तुर्की जैसे देशों में भी नहीं है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी तेजस्वी पर निशाना साधा और कहा कि आरजेडी समाजवादी नहीं, बल्कि “नमाजवादी” है। उन्होंने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। सिंह ने कहा कि संसद द्वारा पारित कानून का विरोध केवल वही लोग कर सकते हैं, जो संविधान का सम्मान नहीं करते। बीजेपी ने यह भी दावा किया कि वक्फ कानून में संशोधन से पारदर्शिता आएगी और इसका लाभ गरीब मुस्लिम समुदाय को मिलेगा, लेकिन आरजेडी और सपा जैसे दल कुछ प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं के हितों की रक्षा करना चाहते हैं।

तेजस्वी ने बीजेपी के इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उनकी पार्टी संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने जमुई में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “जो असंवैधानिक है, उसे लागू नहीं होने देंगे। क्या केवल मोदी जी ही कानून को कूड़ेदान में डाल सकते हैं?” उनका इशारा 2020 के कृषि कानूनों की वापसी की ओर था, जब किसानों के विरोध के बाद केंद्र सरकार ने उन्हें रद्द कर दिया था। तेजस्वी ने यह भी कहा कि बीजेपी धार्मिक और जातिगत राजनीति कर रही है, लेकिन बिहार की जनता इसका जवाब देगी। उन्होंने खुद को भगवान कृष्ण का वंशज बताते हुए बीजेपी पर तंज कसा कि अगर कोई यादव या पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति भगवद गीता का पाठ करता है, तो बीजेपी को आपत्ति होती है।

इस रैली में तेजस्वी के साथ कांग्रेस से संबद्ध स्वतंत्र सांसद पप्पू यादव और एआईएमआईएम के बिहार अध्यक्ष अख्तरुल इमान भी मौजूद थे। रैली में हजारों लोग शामिल हुए, जिनमें से कई ने काले बैंड पहनकर विरोध जताया। कुछ लोगों ने तिरंगा और जमीअत उलेमा-ए-हिंद का झंडा लहराया। रैली में आए एक शख्स ने कहा कि बीजेपी की नीतियां एनआरसी, तीन तलाक और अब वक्फ कानून के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बना रही हैं।

इस विवाद ने बिहार की सियासत में नया मोड़ ला दिया है। जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने कहा कि आरजेडी का अल्पसंख्यकों के प्रति चिंता दिखाना केवल वोट बैंक की राजनीति है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता परिवारवाद और भ्रष्टाचार को अच्छी तरह समझती है। दूसरी ओर, आरजेडी ने दावा किया कि बीजेपी इस मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम रंग देकर नफरत फैलाने की कोशिश कर रही है।

सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा छाया हुआ है। X पर एक यूजर ने लिखा, “तेजस्वी ने वक्फ कानून को कूड़ेदान में फेंकने की बात करके सही मुद्दा उठाया। यह कानून संविधान के खिलाफ है।” वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, “बीजेपी की पारदर्शिता की बात हास्यास्पद है। वे सिर्फ वोटों के लिए धार्मिक तनाव बढ़ा रहे हैं।” यह विवाद बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले संविधान, आरक्षण और अल्पसंख्यक अधिकारों को लेकर सियासत को और गर्म कर सकता है। बीजेपी का दावा है कि वह बाबा साहब अंबेडकर के संविधान की रक्षा कर रही है, जबकि आरजेडी का कहना है कि वह गरीबों और अल्पसंख्यकों के हक की लड़ाई लड़ रही है।

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