Budget 2025: बजट 2025 से आर्थिक स्थिरता, समाजिक समावेशन और रोजगार की उम्मीद।  

बजट (Budget) एक ऐसा आर्थिक दस्तावेज है, जिसमें समाज के हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ निहित होता है। यह किसी के टैक्स (tax)से जुड़े सवालों का समाधान...

Feb 3, 2025 - 11:49
Feb 3, 2025 - 11:54
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Budget 2025: बजट 2025 से आर्थिक स्थिरता, समाजिक समावेशन और रोजगार की उम्मीद।  

लेखक: विक्रांत निर्मला सिंह 

Budget 2025: बजट एक ऐसा आर्थिक दस्तावेज है, जिसमें समाज के हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ निहित होता है। यह किसी के टैक्स (tax) से जुड़े सवालों का समाधान करता है तो किसी के स्वास्थ्य और अस्पताल सुविधाओं का प्रावधान। यह किसानों की आय बढ़ाने की बात करता है और गृहिणियों के रसोई खर्चों का भी हिसाब रखता है।  यही कारण है कि भारत में क्रिकेट और चुनाव के बाद बजट सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बनता है। बजट 2025 (Budget 2025) को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। 

पुरानी टैक्स (Old tax) व्यवस्था में सुधार और विभिन्न क्षेत्रों में भारी निवेश की संभावनाएं चर्चा में हैं। लेकिन ये चर्चाएं अल्पकालिक हैं। आज भारत उस मोड़ पर खड़ा है, जहां उसे जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है। ऐसे में यह बजट केवल एक वर्ष का खाका नहीं, बल्कि आने वाले दशक का आर्थिक रोडमैप प्रस्तुत करे। इस बजट को आर्थिक स्थिरता, सामाजिक समावेशन, रोजगार सृजन और निवेश आधारित विकास जैसे चार प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित होना चाहिए। 

बजट 2025 (Budget 2025) का प्राथमिक उद्देश्य आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना होना चाहिए, जो आर्थिक वृद्धि और महंगाई के बीच संतुलन स्थापित करे और रोजगार को प्राथमिकता दे। वर्ल्ड बैंक की ग्लोबल इकोनॉमिक प्रॉस्पेक्ट्स 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था अगले दो वित्तीय वर्षों में 6.7% की स्थिर दर से बढ़ने की संभावना है, जो वैश्विक औसत 2.7% से कहीं अधिक है. यह भारत की आर्थिक मजबूती और वैश्विक भूमिका को रेखांकित करता है। हालांकि, दूसरी तिमाही में 5.4% की धीमी वृद्धि दर ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए बजट में पूंजीगत व्यय बढ़ाकर बुनियादी ढांचे का विकास करना आवश्यक है। साथ ही, निजी निवेश को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव से प्रोत्साहित करना होगा। 

आज आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए कर सुधारों के माध्यम से खपत बढ़ाने पर ध्यान देना भी जरूरी है। इस प्रयास में महंगाई पर नियंत्रण भी जरुरी होगा। इस तरह का नियंत्रण आर्थिक सुधारों का लाभ समाज के सभी वर्गों को पहुंचाने में सहायक होगा. इसके अतिरिक्त, बजट में रोजगार के लिए एक स्पष्ट रोडमैप प्रस्तुत किया जाना चाहिए। पिछले बजट में सरकार ने इंटर्नशिप योजनाओं और नई नौकरियों के सृजन हेतु विनिर्माण क्षेत्र के लिए कई प्रोत्साहन घोषित किए थे। हालांकि, अब भी एक व्यापक और प्रभावी रोजगार योजना का अभाव महसूस होता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि इस बजट में रोजगार सृजन के ठोस उपायों और दीर्घकालिक योजनाओं को प्राथमिकता दी जाए, ताकि देश के युवाओं को बेहतर अवसर मिल सकें और बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो। 

अब दूसरे पहलू पर बात करें तो किसी भी बजट की सफलता का आधार सामाजिक समावेशन पर निर्भर करता है।  यह आर्थिक विकास को समावेशी बनाते हुए वंचित तबकों को मुख्यधारा में लाने का माध्यम है. मोदी सरकार के पिछले बजटों में स्वच्छ भारत अभियान, जन धन योजना और उज्ज्वला योजना जैसे प्रयासों से समाज के कमजोर वर्गों का जीवन स्तर सुधरा है। अब जरूरत है कि इन प्रयासों का विस्तार किया जाए और समाज के अन्य पिछड़े वर्गों को भी इनसे जोड़ा जाए। आज की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए 'बॉटम ऑफ द पिरामिड' यानी समाज के सबसे निचले तबके पर ध्यान देना आवश्यक है। केवल बुनियादी जरूरतों से आगे बढ़कर रोजगार और आय सृजन को प्राथमिकता देनी होगी।

मनरेगा जैसी योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए तीन कदम उठाए जा सकते हैं: कार्यदिवसों की संख्या बढ़ाना, न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि करना, और ग्रामीण क्षेत्रों में नए कार्यक्षेत्र जोड़ना। इनसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायित्व मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इसके साथ ही, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देना होगा. मुफ्त सुविधाओं से आगे बढ़कर ऐसी योजनाएं बनानी होंगी, जो उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करें। महिला नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों को स्थानीय विनिर्माण और उद्यमशीलता से जोड़कर प्रोत्साहन दिया जा सकता है. इससे न केवल महिलाओं की आय बढ़ेगी, बल्कि वे देश की आर्थिक प्रगति में सक्रिय भागीदार बनेंगी। 

इस बजट Budget का एक और महत्वपूर्ण कार्य नई स्टार्टअप नीति का निर्माण होना चाहिए. वर्ष 2016 में "स्टार्टअप इंडिया" पहल के माध्यम से भारत ने एक नया स्टार्टअप मॉडल प्रस्तुत किया, जिसने पिछले दशक में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाई है। दिसंबर 2024 तक 118 यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स के साथ, भारत अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है. हालांकि, बदलती आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए अब स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देने के लिए एक सशक्त और सुविचारित नीति की आवश्यकता है. बजट 2025 Budget 2025 में इस दिशा में तीन प्रमुख कदम उठाए जाने चाहिए।

पहला, टैक्स रियायतें और प्रक्रियाओं का सरलीकरण, जिससे स्टार्टअप्स पर वित्तीय बोझ कम हो और उनके विकास के लिए अनुकूल माहौल बने. दूसरा, नवाचार के लिए शुरुआती वित्तीय सहायता, जिसमें क्रेडिट और पूंजी तक आसान पहुंच सुनिश्चित की जाए. तीसरा, रेगुलेटरी सुधार, जिससे स्टार्टअप्स का संचालन सरल और पारदर्शी बने. इन सुधारों के लिए एक समर्पित नीति तैयार की जानी चाहिए और इसे बजट Budget में शामिल किया जाना चाहिए. यह नीति न केवल भारत की स्टार्टअप इकॉनमी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में भी योगदान देगी। इसके अलावा एआई, मशीन लर्निंग, स्पेस टेक, गेमिंग और अन्य उन्नत तकनीकों वाले स्टार्टअप पर विशेष ध्यान देना जरूरी है. बजट 2025 (Budjet 2025) भारत को वैश्विक स्टार्टअप हब बनाने का अवसर है, जो नीति सुधार, समर्पित फंडिंग और प्रगतिशील दृष्टिकोण से भारत को वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा। 

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अंत में, यह बजट निवेश आधारित विकास पर केंद्रित होना चाहिए। पिछले वर्षों में मोदी सरकार ने पूंजीगत व्यय में अभूतपूर्व वृद्धि की, जिसके परिणामस्वरूप रेलवे और हाईवे में बड़े सुधार हुए हैं. भविष्य में इसी तर्ज पर अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता देना आवश्यक है. जैसे, इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती मांग को देखते हुए चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाना महत्वपूर्ण है. हर 5-10 किलोमीटर पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना इस बजट में शामिल की जानी चाहिए. इसके साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा सेंटर और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में निवेश से तकनीकी नवाचार और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।

हालांकि राजकोषीय घाटा एक बड़ी बाधा हो सकता है, लेकिन कुशल वित्तीय प्रबंधन ने इसे नियंत्रित किया है. 2021 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.2% था, जो अब घटकर 4.9% हो गया है. ऐसे में निवेश को बढ़ाने में वित्तीय संकट का कोई बड़ा कारण नहीं है। इसके अलावा, सरकार हर जिले में केंद्रीय संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव भी ला सकती है. इन कदमों से रोजगार सृजन, स्थानीय विकास और राष्ट्रीय संपत्तियों का निर्माण होगा, जो भारत को दीर्घकालिक आर्थिक प्रगति की ओर अग्रसर करेगा। 

(लेखक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउरकेला में शोधार्थी और फाइनेंस एंड इकोनॉमिक्स थिंक काउंसिल के संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं)

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