धर्म की नगरी में मां बनी पिशाचिनी, अपनी 13 साल की मासूम बेटी को दरिंदों के आगे परोस दिया और ... कहां गयीं वो ममतामयी मां

हरिद्वार, उत्तराखंड की धर्मनगरी, जो गंगा के तट पर बसी है और अपनी पवित्रता के लिए जानी जाती है, आज एक ऐसी घटना से दहल उठी है, जिसने माँ-बेटी के पवित्र रिश्ते को कलंकि....

Jun 6, 2025 - 21:54
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धर्म की नगरी में मां बनी पिशाचिनी, अपनी 13 साल की मासूम बेटी को दरिंदों के आगे परोस दिया और ... कहां गयीं वो ममतामयी मां

हरिद्वार, उत्तराखंड की धर्मनगरी, जो गंगा के तट पर बसी है और अपनी पवित्रता के लिए जानी जाती है, आज एक ऐसी घटना से दहल उठी है, जिसने माँ-बेटी के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया। अनामिका शर्मा, जो कभी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महिला मोर्चा की हरिद्वार जिला अध्यक्ष रह चुकी थीं, पर अपनी ही 13 वर्षीय नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म करवाने का आरोप लगा है। यह घटना केवल एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि मानवता, नैतिकता और सामाजिक मूल्यों के पतन की एक ऐसी तस्वीर पेश करती है, जो समाज को आत्ममंथन के लिए मजबूर करती है।

घटना का खुलासा और मां की ममता पर काला धब्बा

यह दिल दहलाने वाली घटना तब सामने आई, जब पीड़ित नाबालिग बेटी ने अपने पिता को अपनी आपबीती सुनाई। हरिद्वार पुलिस के अनुसार, पीड़िता ने बताया कि उसकी माँ, अनामिका शर्मा, ने अपने प्रेमी सुमित पटवाल और उसके दोस्त शुभम के साथ मिलकर उसे कई बार यौन शोषण का शिकार बनाया। यह सब जनवरी 2025 से शुरू हुआ, जब अनामिका अपनी बेटी को घुमाने के बहाने भेल स्टेडियम ले गई थी। वहाँ सुमित और शुभम ने शराब के नशे में उसकी सहमति से नाबालिग के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इसके बाद यह घिनौना कृत्य हरिद्वार, आगरा और वृंदावन के होटलों में भी दोहराया गया। पीड़िता को धमकी दी गई कि अगर उसने यह बात किसी को बताई, तो उसे और उसके पिता को जान से मार दिया जाएगा।

पिता ने जब अपनी बेटी को गुमसुम और डरी हुई देखा, तो उससे बात की। बेटी के खुलासे ने उनके पैरों तले जमीन खिसका दी। तुरंत रानीपुर कोतवाली में शिकायत दर्ज की गई, और पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अनामिका शर्मा और सुमित पटवाल को 4 जून 2025 को शिवमूर्ति चौक के पास युग रेजिडेंसी होटल से गिरफ्तार कर लिया। यह होटल सुमित ने लीज पर लिया था, जहाँ अनामिका अपनी बेटी को लेकर रह रही थी। मेडिकल जांच में यौन शोषण की पुष्टि हुई, और पीड़िता के बयान को कोर्ट में दर्ज किया गया। तीसरा आरोपी, शुभम, बाद में मेरठ के शाहपुर से गिरफ्तार किया गया।

डिजिटल युग और नैतिक पतन

आज का डिजिटल युग, जहाँ एक ओर सूचना और तकनीक ने जीवन को आसान बनाया है, वहीं दूसरी ओर यह सामाजिक और नैतिक मूल्यों के क्षरण का भी गवाह बन रहा है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया है, लेकिन इसके साथ ही अनियंत्रित इच्छाओं और यौन फंतासियों को भी हवा दी है। अनामिका शर्मा का मामला इस बात का प्रतीक है कि कैसे व्यक्तिगत हवस और स्वार्थ एक माँ को अपनी बेटी को दरिंदों के सामने परोसने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।यह प्रश्न उठता है कि एक माँ, जो अपनी बेटी की रक्षक होनी चाहिए, ऐसी क्रूरता कैसे कर सकती है? क्या यह केवल यौन फंतासी का परिणाम है, या इसके पीछे गहरे सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और पारिवारिक कारण हैं? अनामिका का अपने पति से लंबे समय से चला आ रहा विवाद, उसका प्रेमी सुमित पटवाल के साथ रहना, और उसकी बेटी को इस घिनौने कृत्य में शामिल करना, यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत असंतुलन और नैतिक पतन ने उसे इस हद तक गिरा दिया कि उसने ममता को तार-तार कर दिया।

सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, इस तरह की घटनाएँ कई बार गहरे मानसिक विकारों, जैसे नार्सिसिज्म, साइकोपैथी, या अनियंत्रित यौन इच्छाओं का परिणाम हो सकती हैं। अनामिका शर्मा के मामले में, यह संभव है कि उसने अपनी बेटी को एक वस्तु के रूप में देखा, जिसे वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल कर सकती थी। यह व्यवहार समाज में बढ़ती स्वार्थपरता और व्यक्तिगत सुख की चाहत को दर्शाता है, जो पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों को नष्ट कर रही है।

डिजिटल युग में, अश्लील सामग्री और अनैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने वाले कंटेंट की आसान उपलब्धता ने भी इस तरह की प्रवृत्तियों को बढ़ावा दिया है। सोशल मीडिया पर अनामिका के भाजपा नेताओं के साथ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जो यह दर्शाती हैं कि वह सामाजिक और राजनीतिक मंचों पर सक्रिय थी। फिर भी, उसका यह कृत्य दर्शाता है कि बाहरी छवि और आंतरिक चरित्र में कितना बड़ा अंतर हो सकता है।

समाज में पहले ऐसी घटनाएँ क्यों कम थीं?

पहले के समय में, सामाजिक संरचना और पारिवारिक मूल्य अधिक मजबूत थे। संयुक्त परिवार, सामुदायिक निगरानी, और नैतिक शिक्षा ने लोगों को अनैतिक कार्यों से रोकने में मदद की। लेकिन आज, व्यक्तिवाद, शहरीकरण, और डिजिटल दुनिया ने लोगों को एकाकी और स्वार्थी बना दिया है। पहले माँ-बेटी का रिश्ता एक पवित्र बंधन माना जाता था, लेकिन आज के दौर में, यह रिश्ता कई बार स्वार्थ और हवस की भेंट चढ़ रहा है। यह घटना इस बात का सबूत है कि जब नैतिकता और मानवता हार जाती है, तो कोई भी रिश्ता सुरक्षित नहीं रहता।

भाजपा की प्रतिक्रिया और सामाजिक जिम्मेदारी

इस मामले के सामने आने के बाद, भाजपा ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अनामिका शर्मा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया। हरिद्वार भाजपा के जिला अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने स्पष्ट किया कि अनामिका को अगस्त 2024 में ही सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया गया था, और अब उनके पास पार्टी में कोई पद नहीं था। यह कदम पार्टी की छवि को बचाने के लिए जरूरी था, लेकिन यह भी सवाल उठाता है कि क्या राजनीतिक संगठनों को अपने कार्यकर्ताओं की पृष्ठभूमि और व्यवहार की गहन जाँच करनी चाहिए?

समाज को जागरूक करने की जरूरत

यह घटना समाज के लिए एक चेतावनी है। हमें अपने बच्चों को सुरक्षित रखने, नैतिक शिक्षा देने, और डिजिटल युग की चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करना होगा। कुछ कदम जो समाज को जागरूक करने में मदद कर सकते हैं:

  1. नैतिक शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों और समुदायों में बच्चों को नैतिकता, सम्मान, और व्यक्तिगत सीमाओं के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। माता-पिता को भी अपने बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए ताकि वे अपनी समस्याएँ साझा कर सकें।
  2. डिजिटल साक्षरता: डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए बच्चों और वयस्कों को डिजिटल साक्षरता सिखानी चाहिए। अश्लील सामग्री और अनैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने वाले कंटेंट पर सख्त निगरानी जरूरी है।
  3. महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षा: यौन शोषण के मामलों में त्वरित और सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। पुलिस और कानूनी व्यवस्था को पीड़ितों के लिए संवेदनशील और सुलभ बनाना होगा।
  4. मनोवैज्ञानिक सहायता: पीड़ितों को काउंसलिंग और पुनर्वास की सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिए। इस मामले में, पीड़ित नाबालिग की मानसिक स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है, जो एक सकारात्मक कदम है।

अनामिका शर्मा का यह कृत्य न केवल एक अपराध है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है। डिजिटल युग में, जहाँ सूचनाएँ और अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं नैतिकता और मानवता को बनाए रखना एक चुनौती बन गया है। एक माँ द्वारा अपनी 13 साल की बेटी को दरिंदों के सामने परोस देना, यह दर्शाता है कि हवस और स्वार्थ के आगे ममता भी पराजित हो सकती है। समाज को इस घटना से सबक लेते हुए, अपने बच्चों की सुरक्षा, नैतिक शिक्षा, और सामाजिक मूल्यों को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा। यह समय है कि हम अपने समाज को जागरूक करें और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए एकजुट हों, ताकि कोई और बेटी इस तरह की हैवानियत का शिकार न बने।

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