Lucknow : अब 10 दिसंबर तक किसान खरीद सकेंगे अनुदानित बीज, कृषि मंत्री ने की बुंदेलखंड में प्राकृतिक/जैविक खेती योजनाओं की समीक्षा
बैठक में तय किया गया कि विश्व मृदा दिवस पर राज्य स्तर पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें मिट्टी जांच के परिणामों का विश्लेषण होगा और प्राकृतिक तथा जैविक
उत्तर प्रदेश के किसानों को रबी मौसम के लिए अनुदान पर दिए जा रहे बीज खरीदने की तिथि तीस नवंबर से बढ़ाकर दस दिसंबर कर दी गई है। पिछले दिनों मौसम में बदलाव से खरीफ फसलों की कटाई में देरी हुई थी। इस फैसले से सभी किसान बिना किसी दिक्कत के बुवाई के लिए बीज खरीद सकेंगे। इसी क्रम में मंत्री की अध्यक्षता में बुंदेलखंड क्षेत्र में चल रही प्राकृतिक और जैविक खेती की योजनाओं की गहन समीक्षा बैठक हुई। बैठक में प्रदेश के किसानों को पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्ध कराने और जैविक उत्पादों के बिक्री तथा प्रमाणन को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश दिए गए। मंत्री ने प्रदेश के प्राकृतिक और जैविक उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए एक राज्य स्तर का ब्रांड विकसित करने के निर्देश दिए।
बैठक में बताया गया कि बुंदेलखंड में प्राकृतिक और जैविक खेती कुल एक हजार तिहत्तर क्लस्टर में बयालीस हजार दो सौ पचास हेक्टेयर क्षेत्र में सफलतापूर्वक चल रही है। इससे इस क्षेत्र के पैंसठ हजार सात सौ नब्बे किसान सीधे लाभ ले रहे हैं। योजना के लिए स्वीकृत कुल एक सौ पांच करोड़ बाईस लाख रुपये की धनराशि के मुकाबले पिछले चार वर्षों में सतहत्तर करोड़ बासठ लाख छियासी हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। मंत्री ने योजना के बेहतर और पारदर्शी संचालन के लिए निर्देश दिए कि योजना में चुने गए चार सौ सत्तर चैंपियन किसान और नौ सौ छियानबे सीआरपी या कृषि सखी द्वारा किए गए प्राकृतिक और जैविक खेती के कार्यों का विभिन्न स्तरों से जरूर सत्यापन कराया जाए।
मंत्री ने प्राकृतिक और जैविक उत्पादों के लिए बाजार व्यवस्था सुनिश्चित करने पर जोर दिया। उन्होंने मंडी निदेशक को निर्देश दिए कि हर जिले के मुख्यालय पर इन उत्पादों की बिक्री के लिए जगह चिन्हित की जाए। इस पर मंडी निदेशक ने बताया कि हर मंडी में जैविक खेती के लिए जगह प्रीमियम पर नहीं बल्कि सिर्फ किराए पर दी जाती है और मंडी लाइसेंस भी दिया जाता है। साथ ही इन उत्पादों को ई-नाम प्लेटफॉर्म से भी जोड़ा जा सकता है। मंत्री ने फसलों में किसी भी तरह के हानिकारक तत्वों के अवशेष की जांच के लिए लैब टेस्ट राज्य की सरकारी संस्थाओं से मेरठ, वाराणसी, अयोध्या, लखनऊ, झांसी और बांदा में कराने के निर्देश दिए।
बैठक में तय किया गया कि विश्व मृदा दिवस पर राज्य स्तर पर एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसमें मिट्टी जांच के परिणामों का विश्लेषण होगा और प्राकृतिक तथा जैविक खेती के क्लस्टर के किसान व चैंपियन किसानों को शामिल किया जाएगा। इसी तरह जिला स्तर पर भी बड़े पैमाने पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए। मंत्री ने जैविक और प्राकृतिक खेती में अब तक किए कार्यों का प्रभाव मूल्यांकन कराने के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव कृषि ने निर्देश दिए कि झांसी मंडल में यह मूल्यांकन रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी से तथा बांदा मंडल में बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा से कराया जाए। गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने सुझाव दिया कि गौशालाओं से गोबर और गोमूत्र इकट्ठा करके जीवामृत, घनजीवामृत या प्रम बनाकर किसानों द्वारा उपयोग किया जा सकता है। इससे रासायनिक उर्वरक का उपयोग कम होगा।
अंत में मंत्री ने निर्देश दिए कि योजना का संचालन पूरी तरह पारदर्शी और समय से हो। लाभ लेने वाले किसानों को प्रमाणन से उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिले। साथ ही एफपीओ के माध्यम से प्राकृतिक और जैविक खेती के खुदरा स्टोर खोलने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
समीक्षा बैठक में गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता, प्रमुख सचिव कृषि रवींद्र, सचिव कृषि इंद्रविक्रम सिंह, विशेष सचिव कृषि टीके शिबू, कृषि निदेशक पंकज त्रिपाठी, निदेशक सीमा हरेन्द्र उपाध्याय, निदेशक यूपीसोका टीपी चौधरी, अपर निदेशक रमेश कुमार मौर्य, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय झांसी के प्रोफेसर योगेश्वर सिंह, बांदा कृषि विश्वविद्यालय के सहायक निदेशक नरेंद्र सिंह और संयुक्त कृषि निदेशक अनिल कुमार यादव शामिल थे।
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