Lucknow : योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी से पिपरहवा में बौद्ध अवशेषों के लिए स्तूप जैसा भवन बनाने का अनुरोध किया

जयवीर सिंह ने पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि 1898 में ब्रिटिश काल में विलियम क्लैक्स्टन पेप्पे नामक सिविल इंजीनियर ने बर्डपुर (वर्तमान पिपरहवा) के एक स्तूप के उत्ख

Sep 25, 2025 - 00:16
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Lucknow : योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी से पिपरहवा में बौद्ध अवशेषों के लिए स्तूप जैसा भवन बनाने का अनुरोध किया
योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी से पिपरहवा में बौद्ध अवशेषों के लिए स्तूप जैसा भवन बनाने का अनुरोध किया

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पिपरहवा (कपिलवस्तु) से प्राप्त भगवान बुद्ध की अस्थि कलश और अन्य अवशेषों को उनके मूल स्थान पर रखने का अनुरोध किया है। उन्होंने संस्कृति मंत्रालय से स्तूप के आकार का भवन बनवाकर इन अवशेषों को सुरक्षित रखने का सुझाव दिया। साथ ही, भूमि उपलब्ध होने की जानकारी भी दी।

यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश भगवान बुद्ध से जुड़े पवित्र स्थलों के लिए जाना जाता है। बुद्ध का अहिंसा, करुणा और मैत्री का संदेश पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण है। राज्य में बुद्ध के जीवन से जुड़े छह प्रमुख स्थल हैं। इनमें सिद्धार्थनगर जिले का कपिलवस्तु सबसे खास है, जो बौद्ध धर्म का मुख्य तीर्थ स्थल है। कपिलवस्तु शाक्य गणराज्य की राजधानी था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रारंभिक जीवन के 29 वर्ष यहीं बिताए।

जयवीर सिंह ने पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि 1898 में ब्रिटिश काल में विलियम क्लैक्स्टन पेप्पे नामक सिविल इंजीनियर ने बर्डपुर (वर्तमान पिपरहवा) के एक स्तूप के उत्खनन के दौरान पत्थर के कलश में माणिक्य, नीलम, पुखराज, मूंगा और स्फटिक रत्नों के साथ बुद्ध के अस्थि अवशेष प्राप्त किए थे। एक स्वर्ण पटिका पर पाली भाषा में लिखा था कि ये भगवान बुद्ध के अवशेष हैं। बाद में ये रत्न पेप्पे के वंशजों को मिले। 127 वर्ष बाद ये हांगकांग में सॉदबी की नीलामी में सामने आए। भारत सरकार ने नीलामी रद्द कराई और जुलाई 2025 में इन्हें वापस लाया। इससे पूरे प्रदेश के लोग प्रधानमंत्री के प्रति आभारी हैं।

पिपरहवा कपिलवस्तु की पवित्र भूमि है, जहां से ये अवशेष मिले। इन्हें यहां प्रदर्शित करना सबसे उपयुक्त होगा। कपिलवस्तु से लुंबिनी (नेपाल में बुद्ध की जन्मस्थली) सिर्फ 26 किलोमीटर दूर है, जहां विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। अवशेषों के प्रदर्शन से देश-विदेश के बौद्ध पर्यटक आस्था से यहां आकर्षित होंगे। इससे पर्यटन बढ़ेगा, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि अवशेषों की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार सभी व्यवस्थाएं करेगी। इससे वैश्विक स्तर पर बौद्ध अनुयायी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से भारत की इन धरोहरों से जुड़ सकेंगे और पर्यटन को बल मिलेगा।

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