Lucknow : योगी आदित्यनाथ ने मुख्य न्यायाधीशों के 26वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में वैश्विक चुनौतियों के समाधान पर जोर दिया
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान भारत की सोच से निकाला जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हु
लखनऊ। सिटी मॉन्टेसरी स्कूल द्वारा आयोजित विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 26वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि न्याय, नैतिकता और अंतरराष्ट्रीय कानून विश्व शांति और मानव सभ्यता को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन के माध्यम से न्याय और मानवता से जुड़ी समस्याओं के समाधान का रास्ता खोजकर पूरी दुनिया को जागरूक करने की जरूरत है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों का समाधान भारत की सोच से निकाला जा सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी के घर में आग लगी हो, तो हमें चैन से नहीं बैठना चाहिए। यदि हम उसकी मदद नहीं करेंगे, तो वह आग हमारे घर तक पहुंच सकती है। इसी तरह, यदि कोई देश या समाज जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा या आतंकवाद जैसे मुद्दों पर आंखें बंद कर रहा है, तो यह संकट उसे भी निगल लेगा। कोविड महामारी ने इसकी सच्चाई सबके सामने रख दी है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि आज की कोई समस्या केवल एक देश की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की है। विश्व को एकजुट होकर इनका समाधान ढूंढना होगा। जब दुनिया भर के न्यायाधीश इस सम्मेलन में एकत्र हुए हैं, तो न्याय कैसे मानवता की समस्याओं का हल बन सकता है, इस पर विचार करना चाहिए। न्याय न केवल समानता का आधार बने, बल्कि हर नागरिक की सुरक्षा, स्वावलंबन और उज्ज्वल भविष्य की गारंटी भी दे।
योगी आदित्यनाथ ने उभरती तकनीक का जिक्र करते हुए कहा कि यह जीवन को आसान बना रही है, लेकिन इससे साइबर अपराध, डेटा चोरी जैसी नई चुनौतियां भी पैदा हो रही हैं। ऐसे अस्थिर दौर में न्याय, नैतिकता और अंतरराष्ट्रीय कानून ही विश्व शांति और मानव सभ्यता को मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने भारत के मूल सिद्धांत 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। भारत हजारों वर्षों से दुनिया को एक परिवार मानता आया है। संकट के समय भारत ने सभी मत, धर्म और समुदाय के लोगों को शरण और संरक्षण देकर सहारा दिया है।
उन्होंने कहा कि दुनिया की असली समस्या की जड़ में एक-दूसरे से संवाद की कमी है। कभी-कभी वर्चस्व की होड़ में संवाद को बाधित किया जाता है। यह सम्मेलन खुद संवाद का एक माध्यम है। यहां सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के मंच पर एकत्र होकर हमें संयुक्त राष्ट्र की उस घोषणा को याद रखना चाहिए, जिसमें सतत विकास लक्ष्यों पर दुनिया के देशों से आह्वान किया गया था। संयुक्त राष्ट्र ने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, जल संसाधन, रोजगार, कौशल विकास, पर्यावरण और वन संरक्षण समेत 17 सतत विकास लक्ष्यों को रखा था। इनमें शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। हमें विश्व के 250 करोड़ से अधिक बच्चों को अच्छी शिक्षा देने और स्कूल बैग के बोझ से होने वाले तनाव को दूर करने पर विचार करना होगा।
योगी आदित्यनाथ ने डॉ. जगदीश गांधी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि डॉ. जगदीश गांधी ने वैश्विक एकता, शांति और न्याय के लिए इस मुख्य न्यायाधीशों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत की, ताकि एक-दूसरे को समझा जा सके और नया संदेश दिया जा सके। यह सम्मेलन आपसी संवाद का माध्यम है। मानवता को बढ़ावा देने और विश्व में अशांति व अराजकता फैलाने वाले कारकों पर विचार करने के लिए दुनिया के न्यायविद् यहां आए हैं। न्याय और मानवता से जुड़ी समस्याओं के समाधान का रास्ता कैसे निकाला जाए, इस सम्मेलन से दुनिया को बताने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि व्यक्ति, समाज या राष्ट्र स्तर पर संवाद तभी स्थापित हो सकता है, जब हम शिक्षा के मूल भाव पर ध्यान दें। शिक्षा के जरिए हर छात्र-छात्रा के मन में यह भाव जगाया जा सकता है, लेकिन यह आज भी एक चुनौती है। जहां विश्व में अशांति, अराजकता और वर्चस्व की होड़ है, वहां शिक्षा, स्वास्थ्य और सतत विकास के लक्ष्य हासिल नहीं हो सकते। इसलिए इन समस्याओं के हल के लिए हर स्तर पर प्रयास जरूरी हैं। हम भी इसमें भागीदार बन सकते हैं।
योगी आदित्यनाथ ने संयुक्त राष्ट्र की 80 वर्ष पुरानी घोषणा पर पुनर्विचार की बात कही। उस समय संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि दुनिया को एक न्यायपूर्ण, समावेशी और जवाबदेह वैश्विक व्यवस्था की जरूरत है। यह घोषणा आज भी प्रासंगिक है। हमें पुरानी बातों तक सीमित न रहकर वर्तमान की जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, स्वास्थ्य संकट और वैश्विक आतंकवाद जैसी समस्याओं पर भी खुलकर बोलना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों का बेहतर उपयोग करें। एक व्यावहारिक और प्रभावी गठबंधन को मजबूत बनाने की जरूरत है।
इस संदर्भ में उन्होंने भारत की प्राचीन व्यवस्था का जिक्र किया, जहां पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश इन पांच तत्वों की पूजा को जीवन का आधार माना गया है। भारत की परंपरा ने हमेशा इनकी पवित्रता, सुरक्षा और संरक्षण को प्राथमिकता दी है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस सम्मेलन में जो भी प्रस्ताव पास हों, उन्हें संयुक्त राष्ट्र तक पहुंचाना चाहिए, ताकि संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से पूरी दुनिया में फैलाया जा सके। भारतीय संस्कृति के 'वसुधैव कुटुम्बकम्' भाव के अनुसार दुनिया में शांति, करुणा और मित्रता का संदेश फैलाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मुख्य न्यायाधीश, उप मुख्य न्यायाधीश, सिटी मॉन्टेसरी स्कूल की संस्थापक निदेशक डॉ. भारती गांधी, प्रबंधक प्रो. गीता गांधी किंग्डन सहित अन्य प्रमुख व्यक्ति मौजूद थे।
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