राहुल गांधी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी, कोर्ट ने जारी किया आदेश, अमित शाह पर टिप्पणी से जुड़ा मानहानि मामला

2018 में शुरू हुई इस कानूनी लड़ाई ने कई मोड़ लिए। फरवरी 2020 में झारखंड हाईकोर्ट के निर्देश पर यह मामला रांची के MP-MLA कोर्ट में स्थानांतरित किया गया, लेकिन बाद...

May 24, 2025 - 21:55
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राहुल गांधी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी, कोर्ट ने जारी किया आदेश, अमित शाह पर टिप्पणी से जुड़ा मानहानि मामला

मुख्य बिंदु:

  • 2018: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कांग्रेस (Congress) सत्र में अमित शाह (Amit Shah) पर टिप्पणी की, जिसे भाजपा कार्यकर्ता प्रताप कटियार ने अपमानजनक बताया।
  • 9 जुलाई 2018: कटियार ने चाईबासा CJM कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया।
  • 2020: मामला रांची के MP-MLA कोर्ट में स्थानांतरित, फिर चाईबासा लौटा।
  • अप्रैल 2022: जमानती वारंट जारी।
  • मार्च 2024: झारखंड हाईकोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज की।
  • कारण: बार-बार समन के बावजूद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की गैर-हाजिरी।
  • कोर्ट का आदेश: 26 जून 2025 को व्यक्तिगत पेशी।
  • 28 अप्रैल 2025: गवाह की क्रॉस-एग्जामिनेशन अधूरी रही।

झारखंड के चाईबासा में MP-MLA विशेष कोर्ट ने 24 मई 2025 को कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ एक मानहानि मामले में गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया है। यह मामला 2018 में तत्कालीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के खिलाफ कथित तौर पर की गई अपमानजनक टिप्पणी से संबंधित है। कोर्ट ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को 26 जून 2025 को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। इस घटना ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचाई है, बल्कि यह न्यायिक प्रक्रिया और राजनेताओं की जवाबदेही पर भी सवाल उठाती है।

क्या था मामला?

यह विवाद 2018 में कांग्रेस (Congress) के एक पूर्ण सत्र के दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) द्वारा की गई टिप्पणी से शुरू हुआ। चाईबासा के निवासी और भाजपा कार्यकर्ता प्रताप कटियार ने शिकायत दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा था, “कांग्रेस (Congress) में कोई हत्यारा राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन सकता। कांग्रेस (Congress) कार्यकर्ता हत्यारे को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे, यह केवल भाजपा में संभव है।” यह टिप्पणी तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) पर लक्षित थी। कटियार ने इसे अमित शाह (Amit Shah) और भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए अपमानजनक बताते हुए 9 जुलाई 2018 को चाईबासा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया।

2018 में शुरू हुई इस कानूनी लड़ाई ने कई मोड़ लिए। फरवरी 2020 में झारखंड हाईकोर्ट के निर्देश पर यह मामला रांची के MP-MLA कोर्ट में स्थानांतरित किया गया, लेकिन बाद में इसे फिर से चाईबासा के MP-MLA कोर्ट में भेज दिया गया। कोर्ट ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को कई बार समन जारी किए, लेकिन उनकी ओर से बार-बार व्यक्तिगत पेशी से छूट की मांग की गई। अप्रैल 2022 में कोर्ट ने उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था, जिसे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने मार्च 2024 में उनकी याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद निचली अदालत में सुनवाई फिर से शुरू हुई।

गैर-जमानती वारंट का कारण

चाईबासा कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट इसलिए जारी किया, क्योंकि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) बार-बार समन के बावजूद कोर्ट में पेश नहीं हुए। उनके वकील काशी प्रसाद शुक्ला ने व्यक्तिगत पेशी से छूट की मांग की थी, जिसे विशेष जज शुभम वर्मा ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए 24 मई 2025 को गैर-जमानती वारंट जारी किया और राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को 26 जून को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया। इससे पहले, 28 अप्रैल 2025 को हुई सुनवाई में शिकायतकर्ता के गवाह अनिल मिश्रा की क्रॉस-एग्जामिनेशन हुई थी, लेकिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के वकील इसे पूरा नहीं कर सके थे।

शिकायतकर्ता के वकील संतोष कुमार पांडे ने बताया कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की टिप्पणी ने न केवल अमित शाह (Amit Shah), बल्कि पूरे भाजपा संगठन की छवि को धूमिल किया। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए कठोर कदम उठाया। गैर-जमानती वारंट का मतलब है कि अगर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 26 जून को कोर्ट में पेश नहीं होते, तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।

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इस घटना ने राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। भाजपा नेताओं ने इसे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की “गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों” का परिणाम बताया। सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर बहस छिड़ी हुई है। एक यूजर ने लिखा, “राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को अपनी टिप्पणियों पर नियंत्रण रखना चाहिए। कोर्ट का यह कदम सही है।” वहीं, कांग्रेस (Congress) समर्थकों का कहना है कि यह “राजनीतिक प्रतिशोध” का हिस्सा है। एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, “यह बीजेपी की साजिश है, ताकि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बदनाम किया जाए।”

कांग्रेस (Congress) प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने इस मामले को “राजनीति से प्रेरित” करार देते हुए कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कानूनी प्रक्रिया का पालन करेंगे और कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा इस तरह के मामलों का इस्तेमाल विपक्ष को चुप कराने के लिए कर रही है। दूसरी ओर, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को अपनी टिप्पणियों के लिए जवाबदेही स्वीकार करनी चाहिए।

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के खिलाफ अन्य मामले

यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को मानहानि के मामले में कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। सुल्तानपुर में भी उनके खिलाफ एक मानहानि का मामला चल रहा है, जो भाजपा नेता विजय मिश्रा द्वारा दायर किया गया था। इसके अलावा, पुणे में वीर सावरकर पर उनकी टिप्पणियों को लेकर सत्यकी सावरकर द्वारा दायर मानहानि मामले में उन्हें फरवरी 2025 में जमानत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में समन पर रोक लगा दी थी, लेकिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को ऐसी टिप्पणियों से बचने की चेतावनी भी दी थी।

राष्ट्रीय हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और सोनिया गांधी के खिलाफ जांच चल रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हाल ही में इस मामले में उनकी संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की है। ये सभी मामले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की कानूनी मुश्किलों को और बढ़ा रहे हैं।

इस मामले ने राजनेताओं की सार्वजनिक टिप्पणियों और उनकी जवाबदेही पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनेताओं को अपनी बयानबाजी में संयम बरतना चाहिए, खासकर जब वे किसी व्यक्ति या संगठन की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। यह मामला यह भी दर्शाता है कि न्यायिक प्रणाली में कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है।

दूसरी ओर, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के मामले विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने का एक तरीका बन सकते हैं। भारत में मानहानि के मामले अक्सर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा बन जाते हैं, जिससे कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होने का खतरा रहता है। इस मामले में भी, कांग्रेस (Congress) ने इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” करार दिया है।

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