Pilibhit News: शोधकर्ताओं ने नदी पारिस्थितिकी और मगरमच्छ आकलन का पढ़ा पाठ।
तरुण नायर ने नदी पारिस्थितिकी पर सत्र आयोजित किया। उन्होंने नदी तंत्र के विभिन्न घटकों, जल गुणवत्ता, जलीय जीवों की भूमिका....

पीलीभीत। स्कूल ऑफ़ एक्वाटिक वाइल्डलाइफ बायोलॉजी एंड कंज़र्वेशन की पाठशाला में प्रतिभागियों ने नदी पारिस्थितिकी, मगरमच्छ जनसंख्या आकलन और प्रकृति अवलोकन जैसे महत्वपूर्ण विषयों में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
तरुण नायर ने नदी पारिस्थितिकी पर सत्र आयोजित किया। उन्होंने नदी तंत्र के विभिन्न घटकों, जल गुणवत्ता, जलीय जीवों की भूमिका, खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिक संतुलन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। प्रतिभागियों को यह समझने का अवसर मिला कि नदी पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में जैव विविधता और संरक्षण प्रयास कितने महत्वपूर्ण हैं।
उन्होने बेहद रचनात्मक और प्रभावी तरीके से मगरमच्छ जनसंख्या आकलन पर भी सत्र लिया। प्रतिभागियों को मगरमच्छ गणना, ट्रैकिंग तकनीक और उनकी स्थिति का आकलन करने की विधियां सिखाईं। इस व्यावहारिक सत्र में उन्होंने मॉडल्स, रचनात्मक दृश्य तकनीक और फील्ड डेमोंस्ट्रेशन के माध्यम से आकलन प्रक्रिया को सरल और रोचक बनाया, जिससे प्रतिभागियों को संरक्षण तकनीक को बेहतर ढंग से समझने का अवसर मिला।
पीटीआर के डिप्टी फील्ड डायरेक्टर मनीष सिंह ने पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के इतिहास और संरक्षण प्रयासों पर विस्तृत जानकारी दी। उनके मार्गदर्शन और सहयोग से यह कार्यक्रम संभव हो सका है। प्रतिभागियों ने फील्ड वर्क, संरक्षण तकनीक और सांस्कृतिक गतिविधियों का अनुभव किया। साथ ही साथ शारदा नदी और वेटलैंड्स के पास बर्डवॉचिंग जिसका नेतृत्व नीरज श्रीवास्तव, भारतीय पक्षी संरक्षण नेटवर्क (IBCN) ने किया। प्रतिभागियों ने 20 से अधिक पक्षी प्रजातियों की पहचान और फोटोग्राफी की, जिससे उनकी फील्ड मॉनिटरिंग और अवलोकन क्षमता को निखारने का मौका मिला। डॉ. शैलेन्द्र सिंह, निदेशक, TSAFI ने गंगा डॉल्फिन रेस्क्यू और रेडियो-टेलीमेट्री पर व्यावहारिक सत्र आयोजित किया।
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प्रतिभागियों ने डॉल्फिन बचाव तकनीक और उनके ट्रैकिंग सिस्टम की प्रक्रिया को फील्ड में समझा।शाम को प्रतिभागियों ने अपने असाइनमेंट और फिल्म प्रस्तुतियां जूरी सदस्यों के सामने दीं। जूरी में शामिल भारत कुमार डीके (डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर), डॉ. अरुणिमा सिंह, सुश्री अंजलि अग्रहरि, और वैशाली बरनवाल ने प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों का मूल्यांकन किया। प्रतिभागियों ने संरक्षण आधारित प्रोजेक्ट्स और फील्ड अनुभवों को रचनात्मक रूप में प्रस्तुत किया।कार्यक्रम का समापन टीम बाघ एक्सप्रेस द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक के साथ हुआ, जिसमें पारंपरिक माध्यम से वन्यजीव संरक्षण का संदेश दिया गया। इस दौरान प्रतिभागियों ने सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आनंद उठाया, जिससे कार्यक्रम में उत्साह और जोश का संचार हुआ।
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