Sambhal : सम्भल जामा मस्जिद सर्वे हिंसा मामले में हाईकोर्ट की बड़ी राहत, जफर अली के खिलाफ कार्रवाई पर रोक
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जफर अली की याचिका को जियाउर्रहमान की याचिका के साथ जोड़ने का आदेश दिया। दोनों मामलों में समान मुद्दे होने के कारण अब इन या
Report : उवैस दानिश, सम्भल
सम्भल के चर्चित जामा मस्जिद सर्वे के दौरान हुई हिंसा मामले में मस्जिद कमेटी चेयरमैन जफर अली को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। जफर अली ने अपने खिलाफ दर्ज चार्जशीट को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जफर अली के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने साफ किया कि जब तक मामले की पूरी सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक जफर अली के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने जफर अली की याचिका को जियाउर्रहमान की याचिका के साथ जोड़ने का आदेश दिया। दोनों मामलों में समान मुद्दे होने के कारण अब इन याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जाएगी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया है। साथ ही, कोर्ट ने रिजॉइंडर दाखिल करने का भी आदेश दिया है, ताकि सभी पक्षों की दलीलों के आधार पर न्यायिक निर्णय लिया जा सके।
जफर अली की ओर से दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि उन पर राजनीतिक और सामाजिक दबाव के चलते झूठा मुकदमा दर्ज किया गया है। उनका कहना है कि वह जामा मस्जिद कमेटी के चेयरमैन होने के नाते मस्जिद की संपत्ति और धार्मिक गतिविधियों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। सर्वे के दौरान हुई हिंसा में उनका कोई सीधा संबंध नहीं है, इसके बावजूद उन्हें चार्जशीट में शामिल किया गया है। इसी आधार पर उन्होंने चार्जशीट रद्द करने की मांग की है।
गौरतलब है कि जामा मस्जिद परिसर में कुछ समय पहले सर्वे के दौरान माहौल गरमा गया था। पुलिस पर पथराव और विरोध प्रदर्शन के चलते इलाके में तनाव की स्थिति बन गई थी। इस घटना में कई लोगों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिनमें जफर अली और जियाउर्रहमान का नाम भी शामिल है।
अब इस पूरे मामले की अगली सुनवाई अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में होगी। हाईकोर्ट का यह अंतरिम आदेश जफर अली के लिए फिलहाल बड़ी राहत माना जा रहा है, जबकि राज्य सरकार को अब अपने पक्ष में ठोस सबूत और तर्क पेश करने होंगे। इस फैसले ने सम्भल के राजनीतिक और धार्मिक हलकों में नई हलचल पैदा कर दी है।
Also Click : Sambhal : धार्मिक ग्रंथों व आस्थाओं पर टिप्पणी करने वालों पर सख्त कानून बने - AIMIM
What's Your Reaction?