सम्भल में 24 कोसीय परिक्रमा की धूम, बाल योगी दीनानाथ ने दिया बड़ा संदेश, परिक्रमा से मिलता है भवसागर से पार होने का वरदान।
उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में शनिवार को पौराणिक चौबीस कोसी परिक्रमा का शुभारंभ श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में हुआ। बेनीपुरचक स्थित श्रीवंशगोपाल तीर्थ से आरंभ हुई यह परिक्रमा
उवैस दानिश, सम्भल
उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में शनिवार को पौराणिक चौबीस कोसी परिक्रमा का शुभारंभ श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में हुआ। बेनीपुरचक स्थित श्रीवंशगोपाल तीर्थ से आरंभ हुई यह परिक्रमा दो दिनों तक चलेगी और पंचमी तिथि को वंशगोपाल तीर्थ पर ही संपन्न होगी।
सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ तीर्थ नगरी में उमड़ी रही। भक्त परिक्रमा मार्ग पर पड़ने वाले 68 तीर्थ स्थलों और 19 पवित्र कूपों पर शीश नवाते हुए दर्शन कर रहे हैं। श्रद्धालु स्नान कुंडों में पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। वहीं जगह जगह भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। पूरे सम्भल में धार्मिक उत्सव का माहौल बना हुआ है। इस अवसर पर नैमिषारण्य तीर्थ के प्रमुख बाल योगी दीनानाथ महाराज ने परिक्रमा पर श्रद्धालुओं को बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को तीर्थ नगरी सम्भल की परिक्रमा करने का विशेष महत्व है।
बाल योगी दीनानाथ ने बताया कि इसी तिथि पर महर्षि दधीचि ने प्रथम बार भव्य परिक्रमा की थी। उन्होंने कहा भगवान का चिंतन करते हुए चौबीस कोसी परिक्रमा करने से मनुष्य भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने उन श्रद्धालुओं से भी आह्वान किया जो वार्षिक परिक्रमा में शामिल नहीं हो पाए, कि वे मासिक परिक्रमा में भाग लेकर तीर्थ नगरी सम्भल का पुण्य लाभ प्राप्त करें। योगी दीनानाथ ने परिक्रमा की व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन और सरकार का आभार जताया और बताया कि इस वर्ष करीब पांच लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है।
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