नई श्रम संहिताओं को लागू करने पर ट्रेड यूनियनों ने जताया तीव्र विरोध, कहा- मजदूरों के अधिकार छीने जाएंगे
ऑल इंडिया बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन के नेता आरके पाण्डेय ने कहा कि इन संहिताओं से स्थायी नौकरियों का ढांचा खत्म हो जाएगा और ठेका मजदूरी तथा फिक्स्ड
केंद्र सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को खत्म कर चार नई श्रम संहिताओं को देशभर में लागू कर दिया है। ये चार संहिताएं हैं- वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य दशा संहिता। इनके लागू होने का गजट अधिसूचना शुक्रवार को जारी किया गया।
कई केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और श्रमिक संगठनों ने इसे मजदूर विरोधी कदम बताया है और इसे ‘ब्लैक डे’ करार दिया है। उनका कहना है कि नई संहिताएं मजदूरों के मौजूदा अधिकारों को कमजोर करती हैं और नियोक्ताओं व बड़े कॉरपोरेट घरानों को मनमानी करने की खुली छूट देती हैं।
ऑल इंडिया बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन के नेता आरके पाण्डेय ने कहा कि इन संहिताओं से स्थायी नौकरियों का ढांचा खत्म हो जाएगा और ठेका मजदूरी तथा फिक्स्ड टर्म रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। करोड़ों युवाओं का सुरक्षित रोजगार छिन जाएगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि 2019 और 2020 में ये संहिताएं संसद से बिना पर्याप्त चर्चा और एकतरफा तरीके से पारित की गई थीं। उस समय भी मजदूर संगठनों ने बड़े स्तर पर विरोध किया था और कई देशव्यापी हड़तालें हुई थीं, लेकिन सरकार ने उन प्रदर्शनों को अनसुना कर दिया।
नई संहिताओं में महिलाओं को रात की पाली और खतरनाक काम करने की अनुमति देने का प्रावधान किया गया है। ट्रेड यूनियन नेताओं का कहना है कि इसे लैंगिक समानता का नाम देकर महिलाओं के शोषण का रास्ता खोला जा रहा है, जिससे उनकी सुरक्षा और कम खतरे में पड़ जाएगी।
आरके पाण्डेय ने कहा कि सरकार ने तराजू पूरी तरह पूंजीपतियों के पक्ष में झुका दिया है। सभी बड़े केंद्रीय ट्रेड यूनियन इस फैसले से गुस्से में हैं और अब मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन को और तेज करने का फैसला किया गया है। बड़े प्रदर्शन और हड़तालों की तैयारी शुरू कर दी गई है। यूनियनों ने नई श्रम संहिताओं को तुरंत वापस लेने की मांग की है।
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