बागपत के लहचौड़ा गांव में आवारा सांड ने 85 वर्षीय शिवदत्त शर्मा पर हमला किया, सीसीटीवी में कैद हुई घटना।
Viral News: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में आवारा सांडों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के थाना चांदीनगर क्षेत्र के लहचौड़ा गांव में 8 अगस्त 2025 को....
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में आवारा सांडों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के थाना चांदीनगर क्षेत्र के लहचौड़ा गांव में 8 अगस्त 2025 को एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई, जिसमें एक आवारा सांड ने 85 वर्षीय बुजुर्ग शिवदत्त शर्मा पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। यह पूरी घटना पास में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस घटना ने एक बार फिर आवारा पशुओं की समस्या को लेकर प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं। घायल शिवदत्त को तुरंत ई-रिक्शा के जरिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन सांड हमला करने के बाद मौके से भाग गया।
लहचौड़ा गांव, जो बागपत जिले के खेकड़ा तहसील में स्थित है, एक शांत ग्रामीण क्षेत्र है। यह गांव यमुना नदी के तट पर बसा है और ज्यादातर लोग खेती और छोटे-मोटे व्यवसायों पर निर्भर हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में आवारा सांडों और अन्य पशुओं की संख्या बढ़ने से ग्रामीणों का जीवन खतरे में पड़ गया है। 8 अगस्त 2025 की सुबह करीब 8 बजे, शिवदत्त शर्मा अपने घर के पास सड़क पर टहल रहे थे। तभी अचानक एक आवारा सांड ने उन पर हमला कर दिया। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई देता है कि सांड ने पहले शिवदत्त को अपने सींगों से टक्कर मारी, फिर उन्हें हवा में उठाकर जमीन पर पटक दिया। इस हमले में बुजुर्ग को सिर, छाती और पैरों में गंभीर चोटें आईं। आसपास के लोगों ने तुरंत दौड़कर उनकी मदद की और उन्हें ई-रिक्शा से नजदीकी अस्पताल पहुंचाया।
डॉक्टरों के अनुसार, शिवदत्त की हालत गंभीर लेकिन स्थिर है। उन्हें सिर में गहरी चोट और कई जगह हड्डियों में फ्रैक्चर हुआ है। अस्पताल में उनकी स्थिति पर नजर रखी जा रही है। इस घटना ने गांव में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी लहचौड़ा गांव और आसपास के क्षेत्रों में आवारा सांड कई लोगों पर हमला कर चुके हैं। कुछ महीने पहले, 5 जुलाई 2025 को, लहचौड़ा गांव में ही एक अन्य घटना में मंदिर से लौट रही 60 वर्षीय राजकली पर सांड ने हमला किया था, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। उस घटना के बाद ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया था और आवारा पशुओं की समस्या से निपटने की मांग की थी।
लहचौड़ा गांव के निवासियों का कहना है कि आवारा सांडों और बंदरों का आतंक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़कों, खेतों और गांव के आसपास सैकड़ों आवारा पशु घूमते हैं, जो न केवल लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं, बल्कि फसलों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। खेतों में काम करने वाले किसान, सुबह टहलने वाले बुजुर्ग और स्कूल जाने वाले बच्चे सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। एक ग्रामीण, देवेंद्र शर्मा ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में कई लोग सांडों के हमले में घायल हुए हैं, लेकिन प्रशासन ने इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला। ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन और चांदीनगर थाने में शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
शिवदत्त शर्मा पर हुए हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों में आक्रोश और बढ़ गया है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि सांड ने बिना किसी उकसावे के अचानक हमला किया। यह घटना उस समय हुई जब सड़क पर ज्यादा भीड़ नहीं थी, जिसके कारण आसपास के लोग तुरंत मदद के लिए नहीं पहुंच सके। वायरल वीडियो ने न केवल बागपत बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या को फिर से चर्चा में ला दिया है। सोशल मीडिया पर लोग प्रशासन से सवाल कर रहे हैं कि आखिर इस समस्या का समाधान कब होगा। एक यूजर ने लिखा, “आवारा सांड सड़कों पर यमदूत बनकर घूम रहे हैं। सरकार को अब जागना चाहिए।”
बागपत जिला, जो गन्ने की खेती के लिए जाना जाता है, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का हिस्सा है। यह जिला दिल्ली से करीब 40 किलोमीटर और मेरठ से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जिले की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है, और गन्ना, गेहूं और सब्जियां यहाँ की प्रमुख फसलें हैं। लेकिन आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या ने किसानों और स्थानीय लोगों के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। सड़कों पर घूमते सांड न केवल लोगों की जान को खतरे में डाल रहे हैं, बल्कि सड़क हादसों का कारण भी बन रहे हैं।
चांदीनगर थाने के प्रभारी (एसएचओ) ने इस घटना की पुष्टि की और बताया कि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि आवारा सांड को पकड़ने के लिए स्थानीय प्रशासन और पशुपालन विभाग को सूचित किया गया है। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी घटनाओं के बाद प्रशासन केवल आश्वासन देता है, लेकिन जमीन पर कोई बदलाव नहीं होता। चांदीनगर थाने के तहत आने वाले क्षेत्रों में पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।
उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या कोई नई बात नहीं है। पूरे राज्य में सड़कों, खेतों और गलियों में आवारा सांड और गायों की मौजूदगी आम हो गई है। अमेठी, उन्नाव, एटा और अन्य जिलों में भी ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। उदाहरण के लिए, उन्नाव में जून 2025 में एक सांड ने सुशील बाजपेयी नाम के व्यक्ति पर हमला कर उनकी जान ले ली थी। इसी तरह, अमेठी में नवंबर 2024 में एक सांड ने आधा दर्जन लोगों पर हमला किया, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों का कहना है कि आवारा पशुओं की समस्या का मुख्य कारण गौशालाओं की कमी, पशुओं की अनियंत्रित संख्या और उनके लिए चारे की अपर्याप्त व्यवस्था है। कई गौशालाएं कागजों में तो चल रही हैं, लेकिन उनकी स्थिति खराब है। बागपत जिले में भी कुछ गौशालाएं हैं, लेकिन उनकी क्षमता सीमित है। इसके अलावा, पशुओं को सड़कों पर छोड़ देने की प्रवृत्ति ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन गौशालाओं की संख्या बढ़ाए और आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए नियमित अभियान चलाए।
इस घटना के बाद लहचौड़ा गांव के लोगों ने एक बार फिर प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो वे सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। जिला प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि वे इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं और जल्द ही एक विशेष अभियान शुरू किया जाएगा। जिला मजिस्ट्रेट जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए पशुपालन विभाग के साथ मिलकर एक योजना तैयार की जा रही है।
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