बदलापुर रेप केस: अगर स्कूल सुरक्षित नहीं तो कहां जाएंगी बच्चियां, HC ने की सख्त टिप्पणी

Aug 23, 2024 - 01:11
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बदलापुर रेप केस: अगर स्कूल सुरक्षित नहीं तो कहां जाएंगी बच्चियां, HC ने की सख्त टिप्पणी

बदलापुर रेप केस: अगर स्कूल सुरक्षित नहीं तो कहां जाएंगी बच्चियां, HC ने की सख्त टिप्पणी

मुंबई।
बदलापुर मामले पर मुंबई हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जज ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर स्कूल भी सुरक्षित नहीं हैं तो फिर बच्चियां कहां जाएंगी। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने एफआईआर दर्ज करने में देरी के लिए पुलिस को भी फटकार लगाई। पीठ ने मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी को 27 अगस्त तक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। पीठ ने कहा जिस तरह से पुलिस ने मामले को संभाला उससे वह बिल्कुल भी खुश नहीं हैं। अदालत ने सरकार से पूछा कि क्या राज्य सरकार तब तक आगे नहीं बढ़ेगी जब तक जनता में इस तरह का आक्रोश नहीं होगा। पीठ ने कहा कि यह देखकर आश्चर्य हुआ कि बदलापुर पुलिस ने मामले की उचित जांच नहीं की। पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पुलिस तंत्र तब तक हरकत में नहीं आया जब तक जनता विरोध और आक्रोश के साथ सड़कों पर नहीं उतरी। अदालत ने सवाल किया कि ऐसे गंभीर मामले में, जहां तीन और चार साल की बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न किया गया, पुलिस इतने हल्के में कैसे ले सकती है। अदालत ने पूछा कि अगर स्कूल सुरक्षित जगह नहीं हैं तो बच्चे क्या करें ? पीठ ने पुलिस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जिस तरह से बदलापुर पुलिस ने मामले को संभाला, उससे वह बिल्कुल भी खुश नहीं है। हम केवल यह देखना चाहते हैं कि पीड़ित लड़कियों को न्याय मिले और पुलिस को भी इसमें रुचि लेनी चाहिए।

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अदालत ने कहा कि यदि उसे पता चला कि मामले को दबाने का प्रयास किया गया है तो वह संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने में संकोच नहीं करेगी। उच्चन्यायालय ने कहा कि हमें यह भी बताएं कि लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है। सरकार का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि एक लड़की का बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कर लिया गया है तथा दूसरी पीड़ित लड़की का बयान गुरुवार को दर्ज किया जाएगा। सराफ ने अदालत को बताया कि बदलापुर थाने के दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। उच्चन्यायालय के अनुसार लोगों को पुलिस व्यवस्था या न्यायिक व्यवस्था पर भरोसा नहीं खोना चाहिए। अगर लोगों को सड़कों पर उतरना पड़े तो भविष्य के बारे में सोचना पड़ेगा। अदालत ने एफआईआर देरी में दर्ज करने के लिए पुलिस से जवाब मांगा। साथ ही हैरानी जताई कि दूसरी पीडि़ता से अभी तक बयान क्यों नहीं लिया गया। अदालत ने अफसोस जताते हुए कहा कि पुलिस इस संगीन मामले को इतने हल्के में कैसे ले सकती है? बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को बदलापुर में अपने स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों पर यौन उत्पीडऩ को ‘बेहद चौंकाने वाला’ बताया और कहा कि लड़कियों की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि घटना की जानकारी होने के बावजूद रिपोर्ट नहीं करने के लिए स्कूल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

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अदालत के दस्तावेजों के अनुसार, मामले में एफआईआर 16 अगस्त को दर्ज की गई थी और आरोपी को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। पीठ ने कहा कि पुलिस मशीनरी तब तक नहीं जागी, जब तक जनता विरोध और आक्रोश के साथ सडक़ों पर नहीं उतरी। अदालत ने पूछा कि जब तक जनता में जोरदार आक्रोश नहीं होगा, मशीनरी आगे नहीं बढ़ेगी। क्या राज्य इस तरह सार्वजनिक आक्रोश फूटने तक आगे नहीं बढ़ेगा? यदि स्कूल भी सुरक्षित नहीं होंगे, तो बच्चियां कहां जाएंगी? पीठ ने कहा कि यह जानकर हैरानी हुई कि बदलापुर पुलिस ने मामले की ठीक से जांच नहीं की। अदालत ने सवाल किया कि ऐसे गंभीर मामले जहां तीन और चार साल की लड़कियों का यौन उत्पीडऩ किया गया है…पुलिस इसे इतने हल्के में कैसे ले सकती है।

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