Sitapur : नैमिषारण्य तीर्थ स्थित आदि शक्ति पीठ माँ श्री ललिता देवी मंदिर में नवरात्रों को लेकर तैयारियां पूर्ण  

जब प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था. जिसमें सभी देवताओं एवं ऋषिगणों कॊ आमंत्रित किया मगर भगवान शंकर कॊ नही बुलाया था जिससे माता सती अपने पति का अपमान देखा न गया

Oct 3, 2024 - 22:44
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Sitapur : नैमिषारण्य तीर्थ स्थित आदि शक्ति पीठ माँ श्री ललिता देवी मंदिर में नवरात्रों को लेकर तैयारियां पूर्ण  

आराधना और पूजन अर्चन से बीतेंगे शारदीय नवरात्री के नौ दिन माँ भगवती के, माँ ललिता देवी पूरी करती हैं भक्तों की सभी मनोकामनाएं

Naimisharanya- Sitapur News INA.

नैमिषारण्य तीर्थ स्थित शक्ति पीठ ललिता देवी मंदिर में नवरात्रों को लेकर तैयारियां शुरू हो गयी हैं. शारदीय नवरात्र में नौ दिन देवी की आराधना और पूजन अर्चन से बीतेंगे. साधना के उद्देश्य से यह नौ दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. नैमिषारण्य में नवरात्रि के नौ दिन अति विशिष्ट माने जाते हैं, इन दिनों मां ललिता देवी के दरबार में विभिन्न प्रदेशों से भक्तगण आकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं. नवरात्रि व्रत समापन पर सभी देवी भक्त करोड़ों वेदमंत्रों से देवी के हवन में आहुतियां देते हैं और अपने परिवार के कल्याण हेतु कामना करते हैं.

मंदिर में दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु 
विश्व विख्यात तीर्थ नैमिषारण्य सनातन धर्म के तीर्थों की नगरी है. यहां पर स्थित आदि शक्ति मां ललिता देवी का अति प्राचीन मंदिर है. जिसका महत्व देवीभागवत पुराण के अनुसार मिलता कहा जाता जब राजा जन्मेजय ने व्यास महराज जी से देवी के पुनीत जाग्रत स्थानों के बारे में पूछा तो उन्होंने जिन 108 शक्तिपीठों का वर्णन किया था. उनमें से नैमिष तीर्थ स्थित मां ललिता देवी का दरबार भी है,देवी भागवत में माँ के इस रूप को इस शक्ति को लिंगधारिणी भी कहा गया है.नवरात्र के दिनों में यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता हैं. भंडरा ,कुवारी कन्या का भोज कीर्तन, भजन , जागरण ,मुंडन संस्कार आदि शुभ कार्य होते रहते हैं.

ब्रह्मनोमय चक्र कुण्ड 
नैमिष महात्म्य के अनुसार स्वर्ग लोक के देवता गण भस्मासुर नामक राशस से लड़ते लड़ते जब वो थक गया थे तब सभी देवता भगवान ब्रम्हा जी के पास पहुचे और उनसे विनीति की भगवन हम देवतों की रक्षा हेतु कोई उपाय बताये तब भगवन विष्णु जी के द्वारा भेजा गया ब्रह्मनोमय चक्र पृथ्वी के साढ़े छ:पाताल भेद चुका था. तब देवों और ऋषियों की विनती पर मां ललिता ने ही उसे अपनी दाहिनी भुजा से उसको रोका. तबसे इनको चक्रधारिणी नाम से भी जाना जाता है. 

देवी भागवत मान्यता के अनुसार , जब प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था. जिसमें सभी देवताओं एवं ऋषिगणों कॊ आमंत्रित किया मगर भगवान शंकर कॊ नही बुलाया था जिससे माता सती अपने पति का अपमान देखा न गया और क्रोधित होकर पिता दक्ष के यज्ञ मे कूद गई थीं. तब शिव ने सती के वियोग में माता सती के शव कॊ लेकर वायु मंडल मैं घूमने लगे. जिससे भगवान विष्णु ने सती के वियोग कॊ भंग करने के लिये अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर कॊ एक सौ आठ टुकडों मे बांट दिया जहा पर माता का अंग गिरा वो शक्ति पीठ के नाम से कहलाय,  यहां पर माता का ह्रदय अंग गिरा. जिससे नैमिषारण्य तीर्थ मैं मां ललिता देवी शक्तिपीठ के नाम से विख्यात हुईं.

देवी भागवत पुराणों के अनुसार मुख्य रूप से जो दस महाविद्याओं का उल्लेख किया गया है. वह सभी मां ललिता का ही स्वरूप बतलाए गए हैं  . इस धार्मिक पौराणिक मंदिर की बनावट अपने आप में अद्भुत है. इसके चारों कोनों पर छोटे छोटे गुम्बद बने हुए हैं. मंदिर के अंदर लिंगधारिणी मां ललिता देवी का श्री विग्रह रूप विराज् मान है और पास में ही श्री ललितेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित है. वहीं मन्दिर के मुख्य गर्भगृह में ऊपर दुर्गा और काली की मूर्तियां बनी हुई है. मंदिर की पूर्व की ओर पंचप्रयाग तीर्थ स्थापित है.जो पाच प्रयाग तीर्थ का जल मिश्रित करके इसका नाम पंचप्रयाग पड़ा

रिपोर्ट: सुरेन्द्र कुमार INA NEWS नीमसार

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