Agriculture News: क्यों अब जहर उगलने लगीं हैं हमारे पूर्वजों की स्वच्छ जमीनें? 

खेतों में अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से उत्पन्न हो रहा खाद्यान्न  प्राणी मात्र के लिए नुकसानदायक है। रसायनों के ....

Oct 16, 2024 - 12:54
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Agriculture News: क्यों अब जहर उगलने लगीं हैं हमारे पूर्वजों की स्वच्छ जमीनें? 

लेखक परिचय

अरविन्द सुथार पमाना ♦वरिष्ठ कृषि एवं पर्यावरण पत्रकार, अनार एवं बागवानी विशेषज्ञ, कृषि सलाहकार, मोटिवेटर एवं किसानों के मार्गदर्शक


       [जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग के लिए पूर्णत: खेती जिम्मेदार नहीं है लेकिन खेती व इसके दायरे से जुङे औद्योगिक क्षेत्रों के क्रियाकलापों पर मंथन होना आवश्यक है] कहीं कुछ उत्पाद और कार्यप्रणालियां प्रकृति को नापसंद तो नहीं?)

         यह अध्ययन किया जा चुका है कि विश्व में अधिकांशत बीमारियां पोषण में आ रहे असंतुलन व गुणवत्ता युक्त खाद्य पदार्थों के अभाव से उत्पन्न हो रही है। लोग अधिकांश बाजार पर निर्भर हैं। खेतों में अंधाधुंध रसायनों के प्रयोग से उत्पन्न हो रहा खाद्यान्न  प्राणी मात्र के लिए नुकसानदायक है। रसायनों के प्रभाव से पारिस्थितिकी तंत्र बाधित हो रहा है। इसका प्रत्यक्ष असर लोगों के स्वास्थ्य के अलावा ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर देखा जा रहा है। जैविक खेती से पर्यावरण व इंसान दोनों को बचाया जा सकता है।

यह वह कृषि पद्धति है जिसमें जैविक तरीकों को अपनाकर पूरे विश्व के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखकर पर्यावरण परिवर्तन के खतरों से मानव समाज को बचाया जाता है। जैविक खाद्य उत्पाद अर्थात बिना रसायनों से उपजा हुआ कृषि उत्पादन हमें अनिवार्य रूप से खाद्य के रूप में काम में लेना होगा। और रसायनों के प्रयोग को पाबंदी लगा देनी होगी। जैविक खाद्य उत्पाद का उपभोग करने से मानव में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होगा। बच्चे, युवा व बुजुर्ग सभी श्रेणी के इंसान अपनी शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता से हर बीमारी को झेल सकेंगे। अत: जैविक खेती समय की मांग है। इसे अपनाना बहुत जरूरी हो गया है।

  • जहरीली होती जा रही जमीनें

लम्बे समय से हरित क्रान्ति और यंत्रीकरण के प्रभाव से बीज, उपज, जमीन, पानी और पर्यावरण की दशा बिगड़ने से उपज की गुणवत्ता दिनोंदिन घटती गई। खानपान में जहरीले तत्वों के आने से प्राणी मात्र के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा कई असाध्य बीमारियां पैदा हुई देश में खाद्यान्न की तीव्र पूर्ति के लिए खेती में रसायनों के प्रयोग कर रसायन आधारित कृषि पद्धतियों को अपनाने से ना सिर्फ जमीन विष युक्त हुई अपितु जमीन की उर्वरता और उत्पादकता में ह्रास हुआ। उत्पादन की कमी को दूर करने के लिए खेती में कई रासायनिक उर्वरकों व फसल सुरक्षा की दवाइयों के लिए किसान पूर्ण रूप से बाजार पर निर्भर हो गया। लागत इतनी अधिक बढ़ गई कि कई किसानों ने खेती करना ही छोड़ दिया नई पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जमीन और खेती का प्राकृतिक अस्तित्व में बने रहना आज के समय की मांग हो गई है।

किसान के उत्पादन को बढ़ाने की बजाय अधिक लागत को कम करने पर ध्यान दिया जाना ही आज की खेती की परम आवश्यकता है। किसान जो बाजार पर निर्भर है इनकी मानसिकता में प्रकृति की ओर लौटने की भावना जागृत करने की सलाह देना व नई पीढ़ी के किसानों को प्राकृतिक खेती की और लौटाना अति आवश्यक है।  इस प्रकार की खेती में किसान बाजार पर निर्भर ना रहकर अपने खेत पर निर्भर रहता है। खाद बीज फसल सुरक्षा की युक्तियां सभी प्रकार के क्रियाकलाप खेत पर उपलब्ध संसाधनों की सहायता से पूर्ण करता है। किसान को बाजार कि नहीं अपितु बाजार को किसान की आवश्यकता रहती है।

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इसके लिए किसान के पास पशुपालन का होना अति आवश्यक है। पशुपालन के उचित सामंजस्य से किसान कम लागत में उतना उत्पादन ले सकता है जितना कि बाजार पर निर्भर रह कर भी नहीं ले पाता है। इससे भी अच्छी बात यह है कि खेत पर निर्भर किसान स्वयं के जुगाड़बंदी कार्यों से उच्च गुणवत्ता युक्त उपज प्राप्त करने में सफल रहता है। जिसमें शुद्धता प्रतिशत अधिक होता है और पर्यावरण को किसी प्रकार का खतरा नहीं होता है। साथ ही रसायनों के प्रयोग से मानव जाति के स्वास्थ्य पर बढ रहा खतरा भी रूक जाता है। यह मानव मात्र के लिए वरदान है। जिसके प्रसार प्रचार की महत्ती आवश्यकता है।

  • पारिस्थितिकी सुरक्षा हेतु जैविक खेती आवश्यक

जैविक खेती के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कई सारे लाभ हैं। यह इंसान मात्र को स्वस्थ रखती है। जैविक उत्पादों का रासायनिक खेती के उत्पादों की अपेक्षा बाजार मूल्य अधिक होता है। भूमि की उर्वरा शक्ति बढती है। जैविक उत्पादों की भौतिक व बायोलोजिकल गुणवत्ता अच्छी होती है। जैविक खेती निर्यात का अच्छा विकल्प प्रदान करती है जिससे विदेशी मुद्रा का अर्जन किया जा सकता है। जैविक खेती से पारिस्थितिक तन्त्र पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है जिससे पर्यावरण प्रदूषण की सम्भावना कम हो जाती है जिससे जलवायु परिवर्तन के खतरे सम्पूर्ण विश्व में कम पड़ सकते हैं।

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जैविक खेती में बहुत कम लागत आती है जिससे किसान को अच्छी उपज मिल सकती है व किसान अपनी आय दुगुनी कर सकता है। यह वनस्पति, पशुओं, सूक्ष्म जीवों व सम्पूर्ण मानव जाति के लिए वरदान सिद्ध होने वाली है। इसके विपरित रासायनिक खेती से भूमि, वनस्पति, जीव जन्तुओं पर विपरित प्रभाव पड़ता है व भूमि दिनों दिन उर्वरता को खेती हुई बंजर होती जा रही है। रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से एक तो किसानों की लागत बढती है दूसरा किसान परिवार सहित सभी जीव जन्तुओं के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

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