Agra: ताज लिटरेचर क्लब की काव्य संध्या में ब्रजभाषा और हिंदी काव्य का संगम।
ताज लिटरेचर क्लब द्वारा मंगलवार को क्लब के आगरा कार्यालय में वर्ष 2025 की अंतिम काव्य संध्या का सफल आयोजन किया
प्रभु दत्त उपाध्याय ने ये पंक्तियां सुना कर श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया।-
मजहबी उन्माद कुछ फैला है ऐसा देश में।
भेडिये हैं घूमते यहाँ आदमी के भेष में।
बेटियां काफिर की हैं तो ये भी काफिर बन गये।
हरण सीता का करें ये साधुओं के भेष में।
डॉ रामेंद्र शर्मा रवि ने कुंडलियां प्रस्तुत की -
'रवि' की कुण्डलिया...
कुण्डलिया नित लिखि रयौ, लै वाणी कौ नाम।
मोकूँ इतनी सक्ति दै, करूँ सृजन अविराम।
करूँ सृजन अविराम, बैठि चरननि में त्यारे।
तन वृन्दावन होइ, हृदय में स्याम हमारे।
बोलै जग ब्रजभास, है 'रवि' नै प्रण लयौ।
तामारै हूँ नित्य, ब्रज कुण्डलिया लिखि रयौ।
डॉ अरविंद कपूर द्वारा कविता 'मौन प्रीति ' प्रस्तुत की गई
यहाँ मौन है चिरस्थायी सा
मंत्र मुग्ध कली शर्मायी सा
पवन बहती है उनसे पूछ पूछ
पत्ता ना विलग हो बेल अल्साई का
मौन मंत्रों ने बांध दिया बादल
ओस ठहर गई हो ध्यान मगन
तरुवर भी स्थिर शांत चित यहाँ
यहाँ खेल नहीं किसी तमाशाई का
डॉ ऊषा गिल ने कविता पतझड़ सुनाई -तुझ बिन पतझड और वीराने
दोस्त बने सभी अनजाने
सुनते है कई आयी बहारें
सहज तेरा आना मुश्किल है
और सभी कुछ सह सकते है
घुटन का सहना मुश्किल है
सच को सुनना और सुनाना
आज भी कितना मुश्किल है........
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