Agra News: सेंट जोन्स कॉलेज में डॉ. सुजॉय गुहा का प्रेरक व्याख्यान, RISUG के जरिए जनसंख्या नियंत्रण में क्रांति की उम्मीद

डॉ. गुहा ने RISUG की कार्यप्रणाली को समझाते हुए बताया कि यह एक जेल है, जिसे शुक्रवाहिका में इंजेक्ट किया जाता है। यह जेल शुक्राणु के नकारात्मक विद्युत आवेश को प्रभावित कर उनकी झिल्ली को नष्ट...

May 19, 2025 - 22:19
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Agra News: सेंट जोन्स कॉलेज में डॉ. सुजॉय गुहा का प्रेरक व्याख्यान, RISUG के जरिए जनसंख्या नियंत्रण में क्रांति की उम्मीद

By INA News Agra.

आगरा: सेंट जोन्स कॉलेज, आगरा में 'प्रोफेसर पं. अंबिका चरण शर्मा मेमोरियल व्याख्यान श्रृंखला' के तहत आयोजित एक कार्यक्रम में भारत में बायोइंजीनियरिंग के जनक और पद्मश्री सम्मानित प्रो. सुजॉय के. गुहा ने अनियंत्रित जनसंख्या को देश की सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए इसके समाधान के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया।

अमृत विद्या-एजुकेशन फॉर इम्मोर्टैलिटी सोसाइटी और सेंट जोन्स कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ. गुहा ने अपनी क्रांतिकारी पुरुष गर्भनिरोधक विधि 'RISUG' (रिवर्सिबल इनहिबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस) पर विस्तृत चर्चा की, जो जनसंख्या नियंत्रण के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है।

पुरुष गर्भनिरोधक: एक नई दिशा

डॉ. गुहा ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए अब तक के महिला-केंद्रित उपाय पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने बताया, "पुरुषों को भी प्रजनन नियंत्रण में सक्रिय भागीदार बनना होगा।" उन्होंने 50 वर्षों के अपने शोध के आधार पर विकसित इंजेक्शन-आधारित गर्भनिरोधक विधि RISUG के बारे में जानकारी दी, जो एक बार उपयोग करने पर लंबी अवधि तक प्रभावी रहती है और इसे उलटा (रिवर्सिबल) भी किया जा सकता है।इस विधि का कोई दुष्प्रभाव नहीं है, और इसे भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) ने सभी धर्मों के लिए स्वीकार्य घोषित किया है। डॉ. गुहा ने इसे वैश्विक गर्भनिरोधक विधियों में क्रांतिकारी कदम बताते हुए कहा कि यह तकनीक न केवल मानव जनसंख्या नियंत्रण में मदद करेगी, बल्कि बंदरों और कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने में भी प्रभावी होगी।

RISUG का तकनीकी आधार

डॉ. गुहा ने RISUG की कार्यप्रणाली को समझाते हुए बताया कि यह एक जेल है, जिसे शुक्रवाहिका में इंजेक्ट किया जाता है। यह जेल शुक्राणु के नकारात्मक विद्युत आवेश को प्रभावित कर उनकी झिल्ली को नष्ट कर देती है, जिससे प्रजनन क्षमता अस्थायी रूप से रुक जाती है। उन्होंने गर्व के साथ कहा, "यह पहली बार है कि भारत में विकसित कोई दवा विदेशों में मांग की जा रही है।" डॉ. गुहा को उम्मीद है कि ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया जल्द ही इसके व्यावसायिक उत्पादन को मंजूरी देगा। उन्होंने इसे "ब्रह्मास्त्र" की संज्ञा दी, जो अपने लक्ष्य पर सटीकता से काम करता है।

डॉक्यूमेंट्री और जागरूकता

कार्यक्रम में मिथुन प्रमाणिक द्वारा निर्देशित 32 मिनट की डॉक्यूमेंट्री 'द साइंटिस्ट हू रन्स एट नाइट' का प्रदर्शन किया गया, जो डॉ. गुहा के शोध संघर्ष और RISUG के विकास को दर्शाती है। यह फिल्म CBC के 'द नेचर ऑफ थिंग्स' कार्यक्रम और यूट्यूब पर उपलब्ध है, और इसे 'वन वर्ल्ड मीडिया अवार्ड' के लिए नामांकित किया गया है।स्क्रीनिंग के बाद डॉ. गुहा ने प्रबुद्धजनों के साथ संवाद सत्र में अपने शोध की चुनौतियों और इसकी वैश्विक स्वीकार्यता पर चर्चा की। मिथुन प्रमाणिक ने कहा, "महिला गर्भनिरोधक दवाएं बाजार में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं, लेकिन पुरुष गर्भनिरोधक की कमी है। RISUG इस कमी को पूरा करेगा और सामाजिक सोच को बदलेगा।"

सेंट जोन्स कॉलेज का योगदान

सेंट जोन्स कॉलेज की डॉ. विनी जैन और प्रिंसिपल डॉ. एस.पी. सिंह ने डॉ. गुहा का स्वागत करते हुए उनकी शोध यात्रा को युवाओं के लिए प्रेरणादायक बताया। डॉ. जैन ने कहा, "डॉ. गुहा ने बायोइंजीनियरिंग की नींव रखी और पुरुष गर्भनिरोधक के क्षेत्र में पांच दशक तक काम किया। हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वे हमारे इनोवेशन सेंटर से जुड़कर छात्रों को मार्गदर्शन दें।" उन्होंने बताया कि कॉलेज की IQAC समिति, डॉ. सुसन वर्गिस के नेतृत्व में, शोध और नवाचार को बढ़ावा दे रही है।

प्रो. अंबिका चरण शर्मा स्मृति व्याख्यान

अमृत विद्या सोसाइटी के सचिव अनिल शर्मा ने बताया कि यह व्याख्यान श्रृंखला 2017 से आयोजित की जा रही है, जिसका पहला वक्ता 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना थे। उन्होंने डॉ. गुहा के आविष्कार को सामाजिक परिवर्तन का वाहक बताते हुए कहा, "यह पुरुष नसबंदी से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ेगा और जन्म नियंत्रण का दायित्व पुरुषों और महिलाओं के बीच समान रूप से बांटेगा।"

आयोजन का समापन

कार्यक्रम का संचालन डॉ. विजय शर्मा ने किया, और डॉ. सुसन वर्गिस ने धन्यवाद ज्ञापित किया। छाँव फाउंडेशन और कुंदन सोप ने आयोजन को सफल बनाने में सहयोग दिया। डॉ. संजय टंडन ने डॉ. गुहा को शाल पहनाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में डॉ. संदीप अग्रवाल, डॉ. हेमेंद्र चतुर्वेदी, डॉ. शिरोमणी सिंह, राजीव सक्सेना, असलम सलीमी, और राजश्री बस्ती की 30 महिलाओं सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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