गोलगप्पे के ठेले से ISRO तक, पढ़िए महाराष्ट्र के रामदास हेमराज मारबदे की प्रेरणादायक सफलता की कहानी
रामदास ISRO में पंप-ऑपरेटर-कम-मैकेनिक के पद पर कार्यरत हैं, जहां वे अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़े सूक्ष्म तकनीकी पहलुओं पर काम कर रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और ...
महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के एक छोटे से गांव खैरबोड़ी के नंदन नगर में रहने वाले रामदास हेमराज मारबदे (Ramdas Hemraj Marbade) की कहानी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास का जीता-जागता उदाहरण है। दिन में गोलगप्पे बेचकर परिवार का गुजारा करने वाले इस युवक ने रात में पढ़ाई कर अपने सपनों को पंख दिए और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में टेक्नीशियन के पद पर नौकरी हासिल की। 19 मई 2025 को श्रीहरिकोटा में जॉइनिंग लेटर लेकर पहुंचे रामदास अब पंप-ऑपरेटर-कम-मैकेनिक के रूप में ISRO के अंतरिक्ष केंद्र में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे गोंदिया जिले को गौरवान्वित किया है। यह कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को हकीकत में बदलने का हौसला रखता है।
एक साधारण शुरुआत
रामदास हेमराज मारबदे (Ramdas Hemraj Marbade) का जन्म गोंदिया जिले के तिरोड़ा तहसील के खैरबोड़ी गांव में एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता एक स्कूल में चपरासी थे और मां गृहिणी। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण रामदास को कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। उन्होंने गांव-गांव गोलगप्पे का ठेला लगाकर पानी-पुरी बेचना शुरू किया। दिनभर मेहनत के बाद भी रामदास ने अपनी पढ़ाई को कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने स्थानीय स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और बाद में नासिक के वाईसीएस कॉलेज से बीए (प्राइवेट) की डिग्री हासिल की। दिन में गोलगप्पे बेचने और रात में पढ़ाई करने की उनकी दिनचर्या ने उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाया।
रामदास की कहानी उन लाखों भारतीय युवाओं की कहानी है, जो आर्थिक तंगी के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करते हैं। गोलगप्पे का ठेला लगाना कोई आसान काम नहीं था। सुबह से शाम तक गांव-गांव घूमकर पानी-पुरी बेचना, ग्राहकों की मांग पूरी करना और फिर रात को थकान के बावजूद किताबें खोलकर पढ़ाई करना—यह सब रामदास की मेहनत और लगन का परिणाम है।
ISRO तक का सफर
रामदास का ISRO तक का सफर आसान नहीं था। 2023 में ISRO ने अप्रेंटिस ट्रेनी पदों के लिए भर्ती निकाली। रामदास ने इस अवसर को अपने जीवन को बदलने का मौका माना। उन्होंने ISRO की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से आवेदन किया। 2024 में उन्होंने नागपुर में लिखित परीक्षा दी और उसे सफलतापूर्वक पास किया। इसके बाद अगस्त 2024 में वे श्रीहरिकोटा स्थित ISRO केंद्र में स्किल टेस्ट के लिए पहुंचे। इस टेस्ट में भी उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और अंततः उनका चयन ISRO के टेक्नीशियन विभाग में हो गया। 19 मई 2025 को रामदास ने श्रीहरिकोटा में जॉइनिंग लेटर के साथ अपने सपनों की उड़ान शुरू की।
वर्तमान में रामदास ISRO में पंप-ऑपरेटर-कम-मैकेनिक के पद पर कार्यरत हैं, जहां वे अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़े सूक्ष्म तकनीकी पहलुओं पर काम कर रहे हैं। उनकी इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और सही दिशा में प्रयास किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।
रामदास की इस सफलता से उनके परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई है। उनके पिता, जो एक स्कूल में चपरासी के रूप में रिटायर हुए, और उनकी मां, जो हमेशा उनके लिए प्रेरणा का स्रोत रहीं, इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं। गोंदिया जिले के लोग भी रामदास की इस उपलब्धि को लेकर उत्साहित हैं। स्थानीय समुदाय में उनकी कहानी एक प्रेरणा के रूप में देखी जा रही है। सोशल मीडिया पर भी उनकी कहानी वायरल हो रही है। एक यूजर ने लिखा, “रामदास ने साबित कर दिया कि मेहनत और हौसले के आगे कोई मुश्किल टिक नहीं सकती।” एक अन्य यूजर ने कहा, “गोलगप्पे बेचने से ISRO तक का सफर—यह कहानी हर युवा को प्रेरित करेगी।”
गोलगप्पे से ISRO तक: रामदास हेमराज मारबदे (Ramdas Hemraj Marbade) की प्रेरणादायक कहानी
परिचय
महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के रामदास हेमराज मारबदे (Ramdas Hemraj Marbade) ने गोलगप्पे बेचने से लेकर ISRO में टेक्नीशियन बनने तक का प्रेरणादायक सफर तय किया है। उनकी कहानी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास का प्रतीक है।
प्रारंभिक जीवन
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जन्मस्थान: खैरबोड़ी, तिरोड़ा तहसील, गोंदिया, महाराष्ट्र।
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परिवार: पिता रिटायर्ड स्कूल चपरासी, मां गृहिणी।
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शिक्षा: स्थानीय स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा, नासिक के वाईसीएस कॉलेज से बीए (प्राइवेट)।
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आजीविका: दिन में गोलगप्पे बेचना, रात में पढ़ाई।
ISRO तक का सफर
- 2023: ISRO ने अप्रेंटिस ट्रेनी पदों के लिए भर्ती निकाली।
- 2024: नागपुर में लिखित परीक्षा उत्तीर्ण, अगस्त में श्रीहरिकोटा में स्किल टेस्ट पास।
- 19 मई 2025: ISRO के श्रीहरिकोटा केंद्र में पंप-ऑपरेटर-कम-मैकेनिक के रूप में जॉइनिंग।
सामाजिक और प्रेरणादायक संदेश
रामदास की कहानी केवल एक व्यक्ति की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है, जो कठिन परिस्थितियों में भी अपने सपनों को नहीं छोड़ते। भारत जैसे देश में, जहां आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां युवाओं के लिए बाधा बन सकती हैं, रामदास जैसे लोग यह साबित करते हैं कि मेहनत और आत्मविश्वास से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। ISRO, जो भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों का प्रतीक है, में एक गोलगप्पे बेचने वाले युवक का चयन न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह देश के युवाओं के लिए एक बड़ा संदेश है कि शिक्षा और मेहनत के दम पर कोई भी ऊंचाई छुई जा सकती है।
इसके अलावा, रामदास की कहानी शिक्षा और कौशल विकास के महत्व को भी रेखांकित करती है। ISRO जैसे प्रतिष्ठित संगठन में चयन के लिए न केवल शैक्षणिक योग्यता, बल्कि तकनीकी कौशल और समर्पण की भी आवश्यकता होती है। रामदास ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ तकनीकी कौशल को भी निखारा, जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया।
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